Maharashtra Politics: जानकारी के मुताबिक, एकनाथ शिंदे के साथ 21 विधायक हैं. इन विधायकों ने शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सामने शर्त रखी है.
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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे के शिवसेना से नाराज होने के बाद राज्य के सियासी हालात पल-पल बदल रहे हैं. एकनाथ शिंदे अपने समर्थक विधायकों के साथ गुजरात के सूरत के एक होटल में रुके हैं. जानकारी के मुताबिक, शिंदे के साथ 21 विधायक हैं. इन विधायकों ने शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सामने शर्त रखी है.
सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे के साथ वाले सभी विधायकों ने अपनी शर्त रखी है कि कांग्रेस एनसीपी के साथ गठबंधन तोड़े, तो हम शिवसेना में बने रहेंगे. ये विधायक चाहते हैं कि शिवसेना एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बीजेपी के साथ सरकार बनाएं.
सोमवार को हुए विधान परिषद चुनाव के बाद शिवसेना में बड़ी फूट पड़ गई. शिवसेना में नंबर दो के नेता एकनाथ शिंदे अपनी पार्टी से काफी दिनो से नाराज चल रहे थे और सोमवार को विधान परिषद में वोटिंग करने के बाद वो अपने समर्थक विधायकों के साथ गुजरात के सूरत निकल गए, जिसके चलते महाविकास आघाड़ी सरकार खतरे में है.
वहीं इस खबर के बाद से ही राज्य में राजनीतिक भूचाल सा आ गया है. MVA की सहयोगी पार्टियां लगातार बैठक कर इस क्राइसेस से निपटने के लिए विचार कर रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ शिवसेना के कई नेता नाराज एकनाथ शिंदे और अन्य विधायको से संपर्क करने की कोशिश में जुटे हैं ताकि सरकार से खतरा टाला जा सके.
शिवसेना में ये क्राइसेस अचानक नहीं पैदा हुई ,बल्कि कई दिनों से इस एकनाथ शिंदे की नाराजगी सामने आ रही थी, जिसे शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे नजरअंदाज कर रहे थे और अब जाकर उनकी नाराजगी का विस्फोट हुआ है.
एकनाथ शिंदे इस बात को लेकर नाराज थे कि अर्बन डेवलपमेंट विभाग के मंत्री होने के बावजूद भी उनके मंत्रालय में सीएम के इशारे पर दखलंदाजी की जाती थी और यह काम सरकार के दो मंत्री लगातार कर रहे थे. यहां तक कि अर्बन डेवलपमेंट विभाग की फाइल पर साइन करने से पहले सीएम की परमिशन लेने की हिदायत भी एकनाथ शिंदे को विभाग के अधिकारियों द्वारा दी गई थी.
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सूत्रों की मानें तो अधिकारियों को एकनाथ शिंदे तक ये मैसेज देने का निर्देश चीफ मिनिस्टर की तरफ से था. संजय राउत द्वारा मीडिया में शरद पवार को लेकर जो बयानबाजी की जाती थी इसपर भी एकनाथ शिंदे को आपत्ति थी. संजय राउत का शरद पवार के करीब जाने से शिवसेना को नुकसान होने की जानकारी एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को दी थी. काफी शिवसैनिक इस बात से नाराज थे. इसके बावजूद उसपर कुछ स्टेप्स नहीं लिए गए.
राज्यसभा चुनाव में विधायक को एक साथ रखने और चुनाव के दिन शिवसेना के पक्ष में वोटिंग हो इसकी पूरी जिम्मेदारी एकनाथ शिंदे ने ली थी, लेकिन महाविकास आघाड़ी के दो अन्य सहयोगियों से सहयोग ना मिलने के चलते शिवसेना के उम्मीदवार संजय पवार की हार हो गई जिसको लेकर अपनी नाराजगी एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के सामने रखी थी.
राज्यसभा के नतीजों से सबक लेते हुए एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से विधान परिषद चुनाव से पहले सभी विधायकों से बातचीत करने का सुझाव दिया था और जब चुनाव से ठीक पहले विधायकों को होटल में लाया गया तो मुख्यमंत्री, विधायकों से मिलने नहीं गए जिससे विधायक काफी नाराज थे. विधायकों की नाराजगी को एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री को बताया था जिसको उन्होंने नजरअंदाज कर दिया और जब नाराजगी की बात बाहर आ गई तब जाकर उद्धव ठाकरे विधायकों से मिलने होटल गए.
एकनाथ शिंदे को विधान परिषद चुनाव की जिम्मेदारी से दूर रखा गया. उनकी जगह पर आदित्य ठाकरे और वरुण सरदेसाई को जिम्मा सौंपा गया जिससे एकनाथ शिंदे नाराज थे. सरकार के कामकाज में भी एकनाथ शिंदे की बजाय आदित्य ठाकरे और उनके मौसेरे भाई वरुण सरदेसाई की बातों को ज्यादा तवज्जो दी जाती थी. वरुण सरदेसाई शिवसेना के सिर्फ नेता हैं वो ना तो विधायक और ना ही मंत्री हैं. इसके बावजूद उनका हस्तक्षेप करना एकनाथ शिंदे को सही नहीं लगता था.
सरकार बनने के बाद एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री के बीच अच्छे संबंध थे, लेकिन धीरे-धीरे एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री के बीच में संवाद कम हुआ. कई बार एकनाथ शिंदे से मुख्यमंत्री नहीं मिलते थे, जिससे कि एकनाथ शिंदे नाराज चल रहे थे.
एकनाथ शिंदे के अलावा शिवसेना के कई विधायक इस बात से भी नाराज हैं कि सीएम उनके विधानसभा क्षेत्र में काम करने से जुड़े मसले पर भी बातचीत करने के लिए मुलाकात का समय नहीं देते.