Maharashtra Politics: शिवसेना ने 'सामना' के जरिए BJP पर साधा निशाना, जानें महाराष्ट्र सियासी संकट पर क्या कहा
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Maharashtra Politics: शिवसेना ने 'सामना' के जरिए BJP पर साधा निशाना, जानें महाराष्ट्र सियासी संकट पर क्या कहा

Saamana Editorial: शिवसेना ने महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान के बीच अपने मुखपत्र सामना के जरिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधा है और कहा है कि भाजपा वाले महाराष्ट्र की सरकार को गिराने के लिए एक भी मौका नहीं छोड़ते हैं.

Maharashtra Politics: शिवसेना ने 'सामना' के जरिए BJP पर साधा निशाना, जानें महाराष्ट्र सियासी संकट पर क्या कहा

Shiv Sena attack on BJP in Saamana Editorial: महाराष्‍ट्र में जारी राजनीतिक घमासान के बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधा है. सामना में लिखे संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि महाराष्ट्र की सरकार को गिराने के लिए एक भी मौका भाजपा वाले छोड़ते नहीं हैं. ढाई साल पहले अजीत पवार प्रकरण सुबह हुआ था, उसमें सफलता नहीं मिली. अब वही बेचैन आत्माएं एकनाथ शिंदे की गर्दन पर बैठकर 'ऑपरेशन कमल' कर रही है. कुछ भी करके राज्य की सरकार गिराना है इस ईर्ष्या से वे लोग ग्रसित है.

राज्यसभा और एमएलसी चुनाव को लेकर निशाना

शिवसेना ने सामना में आगे लिखा, 'राज्यसभा चुनाव में छठीं सीट भाजपा किसके छिपे कारनामों की वजह से जीती, इसका खुलासा हो रहा है. विधान परिषद में भाजपा को दसवीं सीट जीतने में जिसने मदद की उसने ही राज्यसभा में भाजपा के धनवान उम्मीदवार को विजयी बनाया और शिवसैनिक संजय पवार की हार में भूमिका निभाई.

विधायकों से मार-पीट करने का आरोप

सामना में लिखा गया, 'सोमवार को विधान परिषद की दसवीं सीट जीतते ही शिवसेना के कुछ विधायकों को 'उठाकर' गुजरात ले जाया गया. उनके अगल-बगल कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. इसमें से दो-चार विधायकों ने वहां से निकलने और भाग जाने का प्रयत्न किया. तब उनके साथ शारीरिक हानि होने तक मार-पीट की गई. अकोला के विधायक नितीन देशमुख को इतना मारा गया कि उनको हार्टअटैक आ गया और उनको अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.'

शिवसेना ने आगे कहा, 'विधायक कैलास पाटील घेराबंदी तोड़कर वहां से निकल लिए और भारी बारिश के बीच चलते हुए किसी तरह सड़क पर पहुंचकर मुंबई आए. इस तरह चार-पांच विधायकों ने वहां से भागने का प्रयत्न किया तब गुजरात पुलिस ने उन्हें पकड़कर ‘ऑपरेशन कमल’ वालों के हवाले कर दिया. ये कैसा तरीका है? ऐसे में क्या लोकशाही की इज्जत रहेगी?'

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बेईमानों के मतों पर विजयोत्सव: शिवसेना

संपादकीय में शिवसेना ने लिखा, 'विधान परिषद की दसवीं सीट पर विजय भाजपा ने हासिल की तो शिवसेना के तथाकथित निष्ठावान कहलाने वाले लोगों से बेईमानी कराकर. इस चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे को हराकर भाजपा ने यह जीत हासिल की. हंडोरे मुंबई के दीन-दलित समाज के नेता हैं. ऐसे दीन-दलित को हराकर भाजपा ने बेईमानों के मतों पर विजयोत्सव मनाया. उन्हीं बेईमानों को तुरंत गुजरात की भूमि पर ले जाकर जोरदार तैयारी शुरू हो गई. शिवसेना के दो उम्मीदवार सचिन अहिर और आमशा पाडवी विजयी हुए, लेकिन उनके अधिकृत मतों में भी कमी दिखाई दे रही है. राष्ट्रवादी के दो उम्मीदवार जीते, लेकिन मतों की जोड़-तोड़ करके भाजपा ने जो पांचवीं जगह जीती वह कपट नीति है और यही भाजपा का असली चेहरा है.'

महाराष्ट्र में सत्ता की मस्ती नहीं चलेगी: शिवसेना

सामना में आगे लिखा गया, 'शिवसेना के वर्धापन दिवस पर उद्धव ठाकरे ने एक जोरदार वक्तव्य दिया. महाराष्ट्र में सत्ता की मस्ती नहीं चलेगी. केंद्रीय सत्ता की मस्ती दिखाकर महाराष्ट्र में तोड़-फोड़ की राजनीति शुरू है. मां का दूध बेचनेवाली औलाद शिवसेना में नहीं, ऐसा शिवसेनाप्रमुख हमेशा कहते थे. ऐसे लोग शिवसेना में पैदा हों, यह महाराष्ट्र की मिट्टी से बेईमानी है. शिवसेना ये मां है. उसकी कसमें खाकर राजनीति करनेवालों ने मां के दूध का बाजार शुरू कर दिया. उस बाजार के लिए सूरत का चुनाव किया गया. क्या इसे एक संयोग ही समझा जाए?'

शिवसेना ने आगे कहा, 'छत्रपति शिवाजी महाराज ने सूरत लूटा था और उसी सूरत में आज महाराष्ट्र की अस्मिता पर घाव करने का प्रयास शुरू है. भारतीय जनता पार्टी की आंख में महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार चुभ रही है. उससे भी ज्यादा शिवसेना चुभ रही है. इसलिए पहले शिवसेना पर वार करो और फिर महाराष्ट्र पर घाव करो. ऐसा राजनीति में स्पष्ट दिखाई दे रहा है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में जिस तरह से तोड़-फोड़ की राजनीति करके सरकार गिराई गई, वही 'पैटर्न' महाराष्ट्र में प्रयोग करना और खुद को ‘किंगमेकर’ कहकर अपनी आरती उतारने का तीन अंकी नाटक शुरू है. ‘विधान परिषद चुनाव के निमित्त हुए मतदान और मतों की तोड़-फोड़ यह तो शुरुआत है. अब हम मुंबई जीतेंगे. मुंबई पर कब्जा करेंगे’, ऐसी भाषा मंगलप्रभात लोढ़ा ने बोली. इसमें ही सब कुछ आ गया.'

सयानेपन में महाराष्ट्र अन्य राज्यों से दो कदम आगे: शिवसेना

सामना में शिवसेना ने कहा, 'मुंबई पर कब्जा करना है तो शिवसेना को अस्थिर करो यही महाराष्ट्र द्रोहियों की नीति है. खुद को मावला कहलाने वाले उन महाराष्ट्र द्रोहियों के छल-कपट में भागीदार होनेवाले होंगे तो शिवराय उनको माफ नहीं करेंगे. महाराष्ट्र ये सयानों का राज्य है. सयानेपन में महाराष्ट्र अन्य राज्यों से दो कदम आगे होगा. दूसरे राज्यों में डेढ़ सयाने होंगे तो महाराष्ट्र में तीन सयाने रहते हैं. दूसरा ऐसा कि महाराष्ट्र में जोर और जोश के साथ दौड़नेवाले ‘सात’ वीरों का इतिहास है. लेकिन वे सात वीर जोश और जोर से दौड़े तो स्वराज्य के लिए, खुद के राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहीं. इसलिए उन वीरों को आज भी मानवंदना दी जाती है.'

शिवसेना ने आगे कहा, 'राजनीति गलत नहीं है, लेकिन सत्ता की अति महत्वाकांक्षा ये जालिम विष साबित होता है. शिवसेना ने ‘मां-बाप’ बनकर असंख्य गरीब लोगों को जो दिया वह दूसरे पक्षों में बड़े-बड़े रसूखदारों को नहीं मिला. शिवसेना के लिए जो भी मावला सीना तानकर खड़ा रहा, उसी के त्याग के कारण भगवा झंडा शान से लहराता रहा. इसलिए विधान परिषद के चुनाव में जिसने मिट्टी खाई उसको महाराष्ट्र की माटी व शिवसैनिक माफ नहीं करेंगे.'

शिवसेना ने बीजेपी पर लगाया महाराष्ट्र को अस्थिर करने का आरोप

संपादकीय में शिवसेना ने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता की राजनीति के लिए शर्मोहया छोड़ दी है. एकाध राज्य में सत्ता नहीं मिली तो राज्य अस्थिर करना, यही उनकी नीति है. लोगों को तोड़ना और उनमें फितूर का बीज बोना, इस फितूर की फसल को पत्थर पर भी उगाने में ये लोग माहिर हैं. लेकिन देश के बेरोजगार ‘अग्निवीर’ सड़क पर उतरे हैं, कश्मीर में हिंदुओं की हत्या हो रही है. लद्दाख में चीनी सेना घुस आई है. उनको बाहर निकालने के लिए किसी तरह की योजना और धमक इनमें नहीं दिखाई देती.'

शिवसेना ने कहा, 'फितूर निर्माण करना और उसके जोर पर राज्य लाना यही उनकी ‘किंगमेकर्स’ कंपनी. ब्रिटिशों की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी उस समय यही किया था. ये ईस्ट इंडिया कंपनी अंत में बोरिया-बिस्तर बांध के चली गई. विधान परिषद परिणाम में उसी ईस्ट इंडिया कंपनी की आत्मा महाराष्ट्र में फड़फड़ाती हुई दिखाई दी. अच्छा हुआ, इस कारण महाराष्ट्र जाग उठा. महाराष्ट्र जागता है तो जल उठता है, यह इतिहास ईस्ट इंडिया कंपनी के फितूर मंडल को ध्यान में रखना चाहिए.'

महाराष्ट्र सरकार का क्या होगा, सवाल नहीं: शिवसेना

शिवसेना ने सामना में कहा, 'महाराष्ट्र की सरकार का क्या होगा, यह सवाल नहीं है. महाराष्ट्र पर वार करनेवाले, महाराष्ट्र से बेईमानी करनेवालों का क्या होगा? फितूर का बीज बोनेवालों का क्या होगा? धर्म के मुखौटे के नीचे अधर्म का साथ देनेवालों को जनता माफ करेगी क्या? ये ज्वलंत सवाल है. संकटों और तूफानों से सामना करने की शिवसेना की आदत है. गुजरात की भूमि पर फड़फड़ानेवाले ये इतिहास एक बार फिर समझ लो! गुजरात में ये मंडली जरूर डांडिया खेले लेकिन महाराष्ट्र में तलवार से तलवार भिड़ेगी ये निश्चित है!'

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