Maharashtra CM Race: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर चले आ रहे संशय का अब पटाक्षेप हो चुका है. राज्य के अगले सीएम के लिए एकनाथ शिंदे ने भाजपा को हरी झंडी दे दी है. एकनाथ शिंदे ने कह दिया है कि भाजपा अपना सीएम बनाए.. शिवसेना उसका समर्थन करेगी.
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Maharashtra CM Race: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर चले आ रहे संशय का अब पटाक्षेप हो चुका है. राज्य के अगले सीएम के लिए एकनाथ शिंदे ने भाजपा को हरी झंडी दे दी है. एकनाथ शिंदे ने कह दिया है कि भाजपा अपना सीएम बनाए.. शिवसेना उसका समर्थन करेगी. ये आज की बात है. लेकिन पर्दे के पीछे लंबे समय से खिचड़ी पक रही थी. मंगलवार की रात इस मसले पर एकनाथ शिंदे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात भी हुई थी. और आज बुधवार को नागपुर में देवेंद्र फडणवीस का हाव-भाव भी यही कह रहा था कि एकनाथ शिंदे भाजपा के लिए आगे की राह आसान कर चुके हैं. आज जब फडणवीस नागपुर पहुंचे तो उनका अंदाज बयां कर रहा था कि राजतिलक का रास्ता साफ हो चुका है!
#WATCH | Former Maharashtra Deputy CM Devendra Fadnavis arrives in Nagpur, from Chhatrapati Sambhaji Nagar. pic.twitter.com/eE2cLuGRPO
— ANI (@ANI) November 27, 2024
देवेंद्र फडणवीस का आत्मविश्वास
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर लंबे समय से चल रहे संशय का अंत हो गया है. एकनाथ शिंदे ने भाजपा को मुख्यमंत्री पद देने पर सहमति जता दी है. यह निर्णय न केवल महायुति सरकार के गठन की राह खोलता है, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में नई संभावनाओं का संकेत भी देता है. मंगलवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिंदे की बातचीत और नागपुर में देवेंद्र फडणवीस के आत्मविश्वास भरे अंदाज ने इस फैसले पर मुहर लगा दी.
शिंदे का ‘त्याग’: एक मजबूरी या रणनीति?
जब 2022 में उद्धव ठाकरे की सरकार गिरी, तो भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री पद देकर बड़ी राजनीतिक चाल चली थी. यह भाजपा के समर्थन के बिना असंभव था. लेकिन इस बार चुनावी नतीजों ने राजनीतिक समीकरण बदल दिए. भाजपा 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदार बन गई. शिंदे को यह समझ आ गया कि भाजपा के दबाव के बीच उनका मुख्यमंत्री बने रहना मुश्किल होगा. इस निर्णय को त्याग कहना सही होगा या इसे एक राजनीतिक रणनीति? यह बहस का विषय है.
नागपुर में फडणवीस का आत्मविश्वास
आज नागपुर में देवेंद्र फडणवीस का खिला चेहरा और उनके हावभाव ने यह स्पष्ट कर दिया कि भाजपा के लिए रास्ता साफ हो गया है. फडणवीस, जो पहले उपमुख्यमंत्री बनकर संतोष करने को मजबूर हुए थे, अब मुख्यमंत्री पद पर वापसी के लिए पूरी तरह तैयार हैं. यह भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए एक बड़ी जीत मानी जाएगी, जो फडणवीस के नेतृत्व में सरकार देखना चाहते थे.
राजनीतिक स्थिरता या नया संघर्ष?
एकनाथ शिंदे का समर्थन भाजपा के मुख्यमंत्री के लिए एक मजबूत संदेश है, लेकिन यह गठबंधन कितना स्थिर रहेगा, यह देखना बाकी है. शिवसेना और भाजपा के बीच मंत्री पदों के बंटवारे को लेकर पहले से ही खींचतान चल रही है. सूत्रों की मानें तो शिंदे ने अपने बेटे डॉ. श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी. यह मांग पूरी होती है या नहीं, यह महायुति की अंदरूनी स्थिरता को प्रभावित कर सकता है.
प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की भूमिका
इस घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका निर्णायक रही. मंगलवार रात शिंदे और मोदी के बीच बातचीत के बाद यह स्पष्ट हो गया कि भाजपा आलाकमान ने शिंदे को मना लिया है. भाजपा की इस रणनीति ने महायुति के भीतर असंतोष को काबू में रखा और सरकार गठन की प्रक्रिया को तेज किया.
फडणवीस की वापसी- 2024 के लिए नई तैयारी
देवेंद्र फडणवीस का मुख्यमंत्री बनना न केवल महाराष्ट्र की राजनीति को स्थिरता देगा, बल्कि भाजपा के 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों को भी मजबूत करेगा. महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में एक अनुभवी नेता की वापसी भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगी. फडणवीस का प्रशासनिक अनुभव और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा उन्हें इस भूमिका के लिए परफेक्ट बनाती है.
शिंदे के लिए आगे की राह
एकनाथ शिंदे के लिए यह फैसला उनके राजनीतिक करियर में एक नई दिशा तय करेगा. मुख्यमंत्री पद छोड़कर भाजपा को समर्थन देना उनके गुट के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा, यह समय बताएगा. शिंदे को अब गठबंधन के भीतर अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए रणनीतिक कदम उठाने होंगे.
महाराष्ट्र की राजनीति का नया अध्याय
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद का फैसला भले ही हो गया हो, लेकिन यह राजनीति के नए अध्याय की शुरुआत है. भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) का गठबंधन कितना मजबूत रहेगा, यह आने वाले महीनों में स्पष्ट होगा. देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने से भाजपा को नई ऊर्जा मिलेगी, लेकिन शिवसेना और एनसीपी के असंतोष को संभालना चुनौतीपूर्ण होगा. राजनीति की इस बिसात पर हर कदम सोच-समझकर उठाना होगा.