Cancer Patient Psychology: कैंसर की बीमारी और उसके मरीजों को तो आपने देखा होगा और इनके बारे में काफी कुछ जानते भी होंगे. लेकिन, क्या आपको पता है कि इलाज के दौरान इनकी स्थिती कैसी होती है. आइये इस बारे में सबकुछ जानते हैं.
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Cancer Patient Psychology: दुनिया भर में तेजी से कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं. इनके बारे में लोग तो काफी कुछ जानते भी हैं. लेकिन, सबसे खास बात ये होती है कि, इलाज के दौरान मरीज की मानसिक स्थिति कैसी होती है. इस दौरान उसके दिमाग में कई बातें एक साथ चलती हैं, जिसे कैंसर रोगी का क्यूओएल भी कहा जाता है. इस बारे में कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. तेजिंदर कटारिया ने विस्तार से बताया है.
तनाव में होता है मरीज
इलाज शुरू होते ही मरीज मानसिक तनाव में आ जाता है. ऐसे में सबसे पहला काम उसका मानसिक तनाव दूर करना होता है. ताकि वह अपने इलाज के लिए पूरी तरह से तैयार हो सके. कैंसर मरीज के साथ शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक स्थितियां जुड़ी होती हैं. उन्हें अलग-अलग इलाज से गुजरना पड़ता है जिसके अलग-अलग तरीके होते हैं, ऐसे में मरीज के लिए अस्पताल के साथ-साथ उसके घर और उसके ऑफिस में उनके लिए अनुकूल स्थिती होना जरूरी है.
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कैसे प्रभावित होता है मरीज का क्यूओएल
डॉ. तेजिंदर कटारिया बताते हैं कि कैंसर मरीज के साथ इलाज के दौरान संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है. क्योंकि इलाज के तौर पर सर्जरी, कीमोथेरेपी या अन्य तरह का ट्रीटमेंट होता है. इसकी प्रक्रिया लंबी और कठिन होती है, जिससे मरीज का क्यूओएल लगातार काफी प्रभावित होता है.
कैसे सुधारें क्यूओएल?
इस गंभीर समस्या से गुजरने वाले व्यक्ति की सहायता के लिए, परिवार, चिकित्सा देखभाल करने वालों और पेशेवर सहयोगियों की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है. इस दौरान आप मरीज की देखभाल के साथ-साथ उसके रवैये को समझकर सहानुभूति रखते हैं तो उकके क्यूओएल में सुधार हो सकता है.
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जल्द ठीक होता है मरीज
इलाज के दौरान पर्याप्त पोषण, शारीरिक पुनर्वास और भौतिक चिकित्सा मरीज की स्थिति में सुधार करने में मदद करता है. इसके अलावा मनोवैज्ञानिक परामर्श, परिवार और दोस्तों का साथ मरीज के ठीक होने के संकल्प को मजबूत करता है. ये सभी चीजें उसके जीवन में अर्थ को जोड़ती हैं. उसे जब ऐसा फील होता है कि कोई है उसके लिए तो भावनात्मक तौर पर मजबूत होता है.
ये उपाय कारगर
इलाज के दौरान, कैंसर मरीज कई तरह से टूट जाता है. ऐसे में उसका टेंशन फ्री रहना जरूरी है. इसके लिए पार्टी, संगीत, मनोरंजन से उसे जोड़कर रखना जरूरी है. ताकि, उसे कुछ समय के लिए इस बात से दूर रखा जाए की वो इतनी गंभीर बीमारी से लड़ रहा है. गुड़गांव स्थित मेदांता अस्पताल में विकिरण कैंसर विज्ञान सैंटर की चेयरपर्सन डॉ. तेजिंदर कटारिया के अनुसार, अच्छी देखभाल के चलते बड़ी संख्या में मरीज कैंसर से ठीक भी होते हैं. उसके क्यूओएल ठीक होने से उसके लंबे समय तक जीने के चांस बढ़ जाते हैं.
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