मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग देने का पंजाब सरकार द्वारा विरोध करने पर गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने प्रतिक्रिया जाहिर की है. उन्होंने सरकार को आड़ें हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस हमेशा किसान विरोधी रही है.
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भोपाल: मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग देने का पंजाब सरकार द्वारा विरोध करने पर भारतीय जनता पार्टी के नेता और प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सरकार को आड़ें हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस हमेशा किसान विरोधी रही है. उन्होंने कभी किसानों का भला नहीं चाह है.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पंजाब सरकार प्रदेश के किसानों पर कुठाराघात कर रही है. बासमती चावल के GI टैग पर आपत्ति लगाती है. उस पर कमलनाथ मौन क्यों हैं? जब-जब किसान की बात आती है, मप्र कांग्रेस के सारे नेता खामोश रहते हैं. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने किसानों से झूठे वादे करके ही सरकार बनाई थी.
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वहीं नरोत्तम मिश्रा के वार पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है. कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता नेकहा कि एमपी के बासमती चावल को जीआई टैग देने पर बीजेपी सरकार का दावा हमेशा कमजोर रहा है. उन्होंने पूछा कि इस मामले में बीजेपी कोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाती है. एमपी की शिवराज सरकार जनता को गुमराह कर रही है.
आपको बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मध्य प्रदेश के बासमती चावल की जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैगिंग देने पर आपत्ति जताई है. उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उन्होंने इस पर रोक लगाने की मांग की है. कैप्टन की इस नाराजगी पर सीएम शिवराज ने भी जवाब दिया था. उन्होंने ट्वीट कर पूछा था आखिर उनकी मध्यप्रदेश के किसान बन्धुओं से क्या दुश्मनी है? यह मध्यप्रदेश या पंजाब का मामला नहीं, पूरे देश के किसान और उनकी आजीविका का विषय है.
क्या होता है जीआई टैग?
जीआई टैग या भौगोलिक संकेत (Geographical Indication) किसी भी उत्पाद के लिए एक प्रतीक चिन्ह के समान होता है. यह उत्पाद की विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति, विशेष गुणवत्ता और पहचान के आधार पर दिया जाता है. जीआई टैग उस उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी विशेषता को दर्शाता है. भारत में जीआई टैग का विनियमन वस्तुओं के भौगोलिक सूचक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 1999 के अंतर्गत किया जाता है. जीआई टैग का अधिकार हासिल करने के लिए चेन्नई स्थित जी आई डेटाबेस में अप्लाई करना पड़ता है. एक बार जीआई टैग का अधिकार मिल जाने के बाद 10 वर्षों तक जीआई टैग मान्य होते हैं. इसके उपरांत उन्हें फिर रिन्यू कराना पड़ता है.
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