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गाय क्यों बन गया तेंदुआ! खुद को ऐसे भूला की लोगों ने कर ली सवारी; अब कारण आया सामने

Indore News: कोई तेंदुआ ना घूर्रए, ना चीखे और ना ही खाने को लपके. और तो और वो इतना शांत हो की उसकी पीठ पर लोग सवारी करने लगे. ऐसा सायद ही आपने कभी सुना और देखा हो. लेकिन, इंदौर में इन दिनों ऐसा तेंदुआ आया है. आइए डॉक्टरों से जानते हैं इसके पीछे का असली कारण क्या है.

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इंदौर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में इन दिनों एक ऐसे तेंदुआ आया है, जो कतई हिंसात्मक नहीं है. इसका वीडियो कुछ दिनों पहले देवास के सोनकच्छ से वायरल हुआ था, जब लोग उसकी पीठ की सवारी कर रहे थे. ऐसा तेंदुए की दिमागी हालत के कारण हुआ है. डॉक्टरों से जानिए तेंदुए ऐसा क्यों कर रहा है.

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तेंदुआ का नाम सुनकर आपके मन में एक हिंसात्मक जानवर की तस्वीर सामने आती है. परंतु इन दिनों इंदौर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में एक ऐसा तेंदुआ मौजूद है जो ना तो चीखता है, ना किसी को खाने के लिए लपकता है. इसी तेंदुए के साथ देवास के सोनकच्छ के ग्रामीणों ने सेल्फी लेते हुए वीडियो भी बनाया था, जिसके बाद इसको इलाज के लिए इंदौर चिड़ियाघर में लाया गया है.

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डॉक्टरों से तेंदुआ के बारे जानकारी ली गई तो प्रारंभिक तौर पर उनका का कहना है की तेंदुआ दिमागी बीमारी की वजह से खुद कि पहचान भूल चुका है. इस वजह से वो हिंसात्मक प्रवृति को भुला चुका है.

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देवास जिले के सोनकच्छ के गांव इकरोता में कुछ दिनों पहले एक बीमार तेंदुए के साथ लोगो की सेल्फ़ी लेते और उस पर सवारी करते हुए वीडियो वायरल हुआ था. फिलहाल उसका इलाज इंदौर के चिडि़याघर में जारी है. उसके ब्लड के सेंपल लेकर जांच के लिए बाहर भेजे गए हैं. अभी उसकी हालत सुस्त है और ज्यादातर समय सोया रहता है.

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डॉक्टर उत्तम यादव ने जी मीडिया को बताया कि तेंदुए के इलाज के लिए जबलपुर से भी डाक्टरों की टीम आयी थी जो ब्लड सैंपल लेकर गई है. उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही बीमारी का पता चल पाएगा. संभवत: इसने किसी जानवर का शिकार किया है जो किसी संक्रमण का शिकार था. इस कारण संक्रमण तेंदुए के शरीर में भी फैल गया.

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दिमागी तौर पर तेंदुआ स्वस्थ्य नहीं है. वह अपनी आक्रमकता खो चुका है. यही वजह है कि जब गांव में लोग उसके आसपास खड़े थे या उसे छू रहे थे तो उनसे हमला नहीं किया. 

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बता दें कि ये तेंदुआ सोनकच्छ के गांव से रेसक्यू कर यहां लाया गया है. वह मानसिक रूप से बीमार है और ठीक से चल भी नहीं पा रहा है. जिस वजह से उसने ग्रामीणों के सामने हिंसक व्यवहार नहीं दिखाया. इसी कारण ग्रामीणों को बीमार तेंदुए से उन्हें कोई खतरा नहीं महसूस हुआ तो फिर वे तेंदुए के साथ पालतू जानवर की तरह बर्ताव करने लगे.

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किसी ने तेंदुए की पीठ पर बैठकर सवारी की तो किसी ने उसके साथ सेल्फी भी ली. ग्रामीणों ने तेंदुए के पास बैठकर ग्रुप फोटो भी खिंचवाया. इसकी जानकारी मिलने के बाद वन विभाग की टीम गांव पहुंची थी और तेंदुए को लेकर इंदौर आई, जहां उसका इलाज जारी है.