Ratlam Tree Man: पर्यावरण को हराभरा बनाने के लिए शासन प्रशासन करोड़ों रूपये खर्च करता है. बड़े स्तर पर पौधे लगाने का अभियान चलाया जाता है. सरकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में इस काम में जुटते हैं. बड़ी संख्या में पौधे रोपे जाते हैं, बावजूद इसके कई बार करोड़ों खर्च करने के बाद भी पौधे वृक्ष नहीं बनते. ऐसे में रतलाम के ट्री मैन भेरूलाल धाकड़ लोगों के लिए प्रेरणा बनकर सामने आए हैं.
यह तस्वीर रतलाम के नोगांवा में देखने को मिलती है. जहां बुजुर्ग किसान भेरूलाल धाकड़ ने गांव के पास एक बंजर पहाड़ी को हरियाली से भर दिया. इस पर इतने बड़े और घने पेड़ हैं कि कुछ जगह जाने पर लगता है मानो जंगल में आ गए हों.
पूरे पहाड़ पर चारों तरफ न सिर्फ बांस और अन्य हरे भरे पेड़ बल्कि सबसे ज्यादा फलदार पेड़ इस पहाड़ी पर हैं और अब तो यह जगह लोगों के लिए पिकनिक स्पॉट बन गयी हैं.
शहर और अन्य जिले के नगरों से लोग इस पहाड़ी पर पिकनिक मनाने आते हैं. स्कूली बच्चे पर्यावरण की इस हरियाली भरी तस्वीर को देख पौधा रोपण और पर्यावरण के लिए प्रेरीत होते हैं.
इतना ही नहीं अधिकारी भी यहां आकर बुजुर्ग किसान भेरूलाल धाकड़ की सराहना करते हैं. रतलाम कलेक्टर राजेश बाथम ने भी इस जगह का 2 दिन पहले दौरा किया.
इस पहाड़ी पर 20 बीघा में बांस उगाये गए हैं. 6 बीघा में आम के घने पेड़ हैं. इसके अलावा अनार के भी पेड़ अब बड़े होने लगे हैं. किसान भैरूलाल की खुद की खेती बाड़ी भी है.
कुछ साल पहले जब उन्होंने अपने खेत के पास इस पथरीले बंजर पहाड़ को देखा, तो पर्यावरण की ऐसी चिंता ने घेरा की बुजुर्ग किसान भेरूलाल ने किसी भी जन समूह और किसी भी अभियान के बगैर ही इस पहाड़ी को हरियाली से ढकने का संकल्प ले लिया. किसान भेरूलाल ने जिस पहाड़ी पर हजारों पेड़ तैयार किये है वह शासकीय भूमि है.
आज इस पहाड़ पर लगे आम का स्वाद हर कोई व्यक्ति आकर चख रहा है, लेकिन अब इन गुठलियों का असल दाम भी समझ रहा है और इन आम की गुठलियों से अपने अपने इलाके में पर्यावरण को सुंदर बनाने के लिए वृक्ष तैयार करने का संकल्प भी ले रहा है.
किसान भेरूलाल धाकड़ ने दिखा दिया है कि पर्यावरण के लिए अभियान से ज्यादा प्रत्येक व्यक्ति के खुद से संकल्प की ज्यादा जरूरत है. 1 बुजुर्ग पूरी पहाड़ी को हरियाली से भर सकता है तो प्रत्येक व्यक्ति कुछ ही पौधे बड़े कर पेड़ बनाकर पर्यावरण को सुंदर और इस धरती को हरियाली से लबरेज कर सकते हैं. रतलाम से चंद्रशेखर सोलंकी की रिपोर्ट
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