Ratlam News: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में मुहर्रम के पर्व पर बीते 30 सालों से मोहन सद्भावना का संदेश देते आ रहे हैं. इस पर्व के लिए वे खुद अपनी दुकान में एक ताजिया बनाते हैं.
Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में मुहर्म पर्व पर गंगा-जमुनी तहजीब का का उदाहरण देखने को मिलता है, जो समाज को सद्वभावना का संदेश देता है. जिले के मोहन सिसोदिया 30 सालों से खुद एक ताजिया बनाते आ रहे हैं. यही नहीं वे इस ताजिया को अपनी दुकान में भी 3 दिनों के लिए रखते हैं. इससे बनाने में उन्हें करीब एक महीना लग जाता है.
इस साल 7 जुलाई से मुहरर्म का महीना शुरू हो गया है. ये इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है, जिसका दसवां दिन बहुत खास माना जाता है. इस महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी. ऐसे में इस महीने के 10वें दिन उनकी याद में लोग मातम मनाते हैं, जिसे आशूरा भी कहा जाता है.
मुहर्रम महीने के 10वें दिन मुस्लिम समाज के लोग देशभर में जुलूस निकालते हैं. साथ ही इस दिन ताजियादारी की जाती है.
मुहर्रम पर मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में गंगा-जमुनी तहजीब का उदाहरण देखने को मिलता है. शहर के मोचिपुरा क्षेत्र में मोहन सिसोदिया 30 साल से खुद ताजिया बनाते आ रहे हैं. वे ताजिया अपनी दुकान में 3 दिन के लिए रखते हैं.
मोहन सिसोदिया की इस पहल के कारण क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम एकता की झलक देखने को मिलती है. वे 4 फीट का ताजिया बनाते हैं, जो फाइबर से बनता है. वे खुद इसमें कारीगरी करते है, जिसे बनाने में उन्हें लगभग 1 महीना लग जाता है.
ताजिया को लेकर मोहन सिसोदिया का कहना है कि उनकी दुकान इस क्षेत्र में बरसो से है. ऐसे में जब यहां सभी मोहर्रम पर्व पर ताजिया बनाते हैं और निकालते हैं तो उनके साथ इस पर्व में वे भी ताजिया बनाकर शरीख होते हैं.वे सभी को संदेश देना चाहते हैं कि सभी को आपसी भाईचारे के साथ मिलजुलकर सभी त्योहार मनाना चाहिए.
इनपुट- रतलाम से चंद्रशेखर सोलंकी की रिपोर्ट, ZEE मीडिया
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