Alirajpur News: सतपुड़ा और विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित अलीराजपुर जिले का सिद्धेश्वर महादेव मंदिर भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक है. यहां स्थापित स्वयंभू शिवलिंग अपनी चमत्कारी शक्ति के लिए जाना जाता है. मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धालु सच्चे मन से मन्नत मांगकर शिवलिंग को उठाने का प्रयास करता है तो वह सहजता से उठ जाता है. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में.
बता दें कि सिद्धेश्वर महादेव मंदिर अलीराजपुर जिले में आस्था का प्रमुख केंद्र है. मान्यता है कि अगर मनोकामना पूरी होने वाली हो तो शिवलिंग आसानी से उठ जाता है.
सतपुड़ा और विंध्याचल की पहाड़ियों को छूता अलीराजपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर ग्राम उंडारी का अति प्राचीन सिद्धेश्वर महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. यहां स्वयंभू भोलेनाथ प्रतीकात्मक रूप में विराजमान हैं.
इस मंदिर की स्थापना की कोई तिथि ज्ञात नहीं है. लेकिन शिलालेख के अनुसार इसका जीर्णोद्धार तब कराया गया जब जोबट के तत्कालीन महाराजा भीमसिंह (संवत 1997, 1941) को एक बार स्वप्न आया कि उंडारी के नाले में भगवान आशुतोष जाग रहे हैं. उन्हें बाहर निकालकर स्थापित किया जाए. इस पर उन्होंने मूर्ति को बाहर निकालकर नाले के पास खंडहर हो चुके स्थान पर मंदिर बनवाया.
मान्यता है कि सिद्धेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में शिवलिंग पर जौनव अंकित है और यह जलाधारी में स्थापित है.
इस शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि यदि कोई मनोकामना की जाए और इसे बिना कोहनी मोड़े उठाया जाए तो मनोकामना पूर्ण होने की संभावना होने पर यह आसानी से उठ जाता है, अन्यथा यह हाथ से फिसल जाता है.
उंडारी गांव पहुंचने के लिए जोबट से वाहन, जीप और अन्य परिवहन के साधन उपलब्ध हैं. सिद्धेश्वर मंदिर दो पहाड़ियों के बीच स्थित है.
पहाड़ियों की आकृति के अनुसार स्थानीय लोग इन्हें लाडा-लाडी पहाड़ियों के नाम से जानते हैं. इस सिद्धक्षेत्र में वैसे तो साल भर दर्शनार्थी आते रहते हैं, लेकिन खास तौर पर श्रावण मास और महाशिवरात्रि के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़