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मध्य प्रदेश की ये ऐतिहासिक धरोहर देती हैं भारत के स्वर्ण काल की गवाही

Historical monuments MP: मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक धरोहर को देखकर पता चलता है कि भारत को 'सोने की चिड़िया' क्यों कहा जाता था. हर साल देश विदेश से हजारों पर्यटनीय भारत के इन धरोहरों को देखने आते हैं.

 

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भारत का अतीत समृद्ध और गौरवशाली है, जिसकी झलक हमें मध्य प्रदेश में देखने को मिलती है. प्रदेश का हर एक कोना शानदार विरासत की कहानियों से भरा पड़ा है.  सदियों पुराने मंदिरों और राजसी मस्जिदों से लेकर लुभावने महलों और भव्य किलों तक, राज्य की शानदार वास्तुकला दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करती है. 

 

वीर सिंह देव पैलेस, दतिया

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वीर सिंह देव पैलेस, दतिया

वीर सिंह देव पैलेस को दतिया महल के नाम से भी जाना जाता है. बुंदेला राजा और ओरछा के शासक वीर सिंह देव ने इस पैलेस का निर्माण कराया था. मुगल सम्राट जहांगीर के स्वागत में एक श्रद्धांजलि के रूप में निर्मित, यह शानदार सात मंजिला इमारत इंडो-इस्लामिक वास्तुकला की शानदार मिसाल के रूप में खड़ी है. 

 

ताज उल मस्जिद

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ताज उल मस्जिद

भोपाल में स्थित ताज उल मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद में से एक है. ताज उल मस्जिद को  'मस्जिदों का ताज' भी कहा जाता है. दिल्ली की जामा मस्जिद से प्रेरणा लेते हुए, शाहजहां बेगम ने भोपाल में इसकी भव्यता को दोहराने की इच्छा जताई. 

 

रानी रूपमती मंडप

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रानी रूपमती मंडप

रानी रूपमती और सुल्तान बाज बहादुर की महाकाव्य प्रेम कहानी का साक्षी, रानी रूपमती मंडप मांडू में स्थित एक अनमोल वास्तुशिल्प रत्न है. रानी रूपमती मंडप बलुआ पत्थर में अफगान वास्तुकला की एक शानदार अभिव्यक्ति है. 

 

जामी मस्जिद, मांडू

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जामी मस्जिद, मांडू

जामी मस्जिद मांडू की भव्य इमारत में से एक है.  इसका निर्माण होशंग शाह ने शुरू करवाया था और महमूद खिलजी ने 1454 ई. में इसे पूरा करवाया था. 

 

सांची का महान स्तूप

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सांची का महान स्तूप

सांची का स्तूप भारत की सबसे पुरानी पत्थर संरचनाओं में से एक है. इसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक महान ने बनवाया था.  सांची का महान स्तूप UNESCO के विश्व धरोहर में शामिल है. 

 

ग्वालियर किला

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ग्वालियर किला

ग्वालियर किला का निर्माण 6वीं शताब्दी में की गई थी. इसे भारत की सबसे दुर्जेय संरचनाओं में से एक का खिताब मिला है. मुगल बादशाह बाबर, किले को देखकर प्रशंसा से अभिभूत होकर इसे "हिंद के किलों में मोती" कहकर संबोधित करते थे. 

 

खजुराहो मंदिर समूह

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खजुराहो मंदिर समूह

खजुराहो के मंदिर चंदेल वंश के समय काल में बनाए गए थे. यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए जाने जाते है. UNESCO विश्व धरोहर में शामिल खजुराहो के मंदिर को देखने हर साल हजारों लोग आते हैं.