Chaitra Navratri 2023: इस साल 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही है. ऐसे में हम आज आपको नवरात्रि में माता की पूजा में वास्तु से संबंधित वास्तू के बारे में बताएंगे, जिससे आपकी प्रार्थना सफल होगी.
नवरात्रों में अगर वास्तु का ध्यान रख पूजा घर तैयार किया जाए तो प्रार्थना सफल होगी और घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहेगी. आज हम वास्तु शास्त्र के अनुसार उन्हीं टिप्स के बारे में बात करेंगे.
कब से कब तक है नवरात्रि: 22 मार्च 2023 से 31 मार्च 2023 तक चैत्र नवरात्री रहेगी. इस दौरान 9 स्वरूपों मां भगवती की अलग-अलग दिन पूजा होगी. इसमें कई नियम और व्रतों का पालन करना होता है. इन्हें में से हैं यहां बताए गए वास्तु टिप्स जो आपकी पूजा को सफल बनाएंगे.
घर के मुख्य द्वार का वास्तु: नवरात्रि के नौ दिन घर के मुख्य द्वार पर दोनों और चूने व हल्दी से स्वास्तिक बनाकर, आम व अशोक के पत्तों का तोरण भी लगाएं. ये सकारात्मक ऊर्जा देते हैं. नवरात्र में इनका इस्तेमाल करने से शुभता बनी रहेगी और घर में वास्तु दोषों का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.
मूर्ति स्थापना की दिशा: अगर अखंड ज्योति जलाई जाती है तो इसे आग्नेय कोण में जलाएं, प्रतिमा या कलश की स्थापना ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व के कोने में करें. उत्तर-पूर्व को पुराणों में देवताओं का स्थान माना गया है. इस कारण से यहां स्थापना शुभ होगी. इससे शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होगी.
आसन के लिए चंदन की चौंकी: प्रतिमा या कलश स्थापना चंदन की चौकी में करना शुभ होता है. अगर आप चाहें तो चंदन की चौकी पर ही कलश और प्रतिमा रखा जा सकता है. चंदन के प्रभाव से पूजा स्थान सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बन जाएगा और वास्तु दोषों का शमन होगा.
पूजा करने वाले की मुख्य की दिशा: पूजन के समय जो मुख्य पूजा में बैठता है उसका मुख पूर्व या उत्तर दिशा में हो. पूर्व दिशा के स्वामी सूर्यदेव है. इस कारण ये शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है. पूर्व या उत्तर दिशा में मुख कर पूजा करने से घर के सदस्यों की प्रसिद्धि बढ़ती है और दीनता दूर होती है.नवरात्रों में अगर वास्तु का ध्यान रख पूजा घर तैयार किया जाए तो प्रार्थना सफल होगी और घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहेगी. आज हम वास्तु शास्त्र के अनुसार उन्हीं टिप्स के बारे में बात करेंगे.
पूजा घर में रंगों का वास्तु: पूजा घर को सजाने के लिए और पूजा के लिए लाल रंग के फूलों का उपयोग करना चाहिए. ये रंग माता रानी को अत्यंत प्रिय हैं. माना जाता है इस रंग का फूल चढ़ाने से माता रानी प्रसन्न होती है. लाल रंग की रोली, चंदन, साड़ी, चुनरी का प्रयोग भी किया जा सकता है.
काले रंग से बनाएं दूरी: सनातम मान्यता और हिंदू संस्कारों के अनुसार पूजा में काले रंग का उपयोग नहीं होता. इसी कारण चैत्र नवरात्रि की पूजा में समय काले रंग के कपड़ों के उपयोग से बचा जाता है. इससे मन में अशुद्धि की भावना आती है और ध्यान में मन नहीं लगता.
(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्याताओं और सोशल मीडिया पर उपलब्ध जानकारियों से ली गई है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है. आप अपने आचार्य और पूजा विशेषज्ञों से इस संबंध में ज्यादा जानकारी ले सकते हैं.)
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