क्रिसमस पर बच्चों को सैंटा नहीं बना पाएंगे स्कूल वाले, जानिए किससे लेनी होगी इजाजत
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क्रिसमस पर बच्चों को सैंटा नहीं बना पाएंगे स्कूल वाले, जानिए किससे लेनी होगी इजाजत

Christmas 2024: मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग ने शिक्षा विभाग ने क्रिसमस को लेकर बड़ा फैसला लिया है. स्कूल वाले बिना अभिभावक की अनुमति के बच्चों को सांता क्लॉस नहीं बन सकेंगे. अगर कोई स्कूल नियम का पालन नहीं करता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. 

क्रिसमस पर बच्चों को सैंटा नहीं बना पाएंगे स्कूल वाले, जानिए किससे लेनी होगी इजाजत

MP News: 2 दिन बाद क्रिसमस का त्योहार है और इस त्योहार की तैयारियां हर जगह शुरू हो गई है. स्कूल, मॉल, ऑफिसों में भी क्रिसमस डेकोरेशन हो चुका है. सभी को क्रिसमस सेलिब्रेट करने का इंतजार है. क्रिसमस सेलिब्रेशन के बीच मध्य प्रदेश के रीवा से बच्चों को लेकर एक मामला सामने आया है, जहां बच्चें स्कूलों  में बिना अभिभावक  की अनुमति के सांता क्लॉस की कॉस्टयूम नहीं पहन सकेंगे. दरअसल, क्रिसमस के मौके पर हर स्कूलों में फैन्सी ड्रेस पहनने का नियम होता है, जिसमें बच्चें 25 दिसंबर को सांता क्लॉस की वेशभूषा में आते है, लेकिन अब बच्चों को पहले अपने अभिभावकों की अनुमति लेनी होगी, बिना अनुमति सांता क्लॉस बनने पर कार्वाई की जाएगी.

अभिभावक करते थे शिकायत
मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग ने शिक्षा विभाग और कलेक्टर्स को आदेश देते हुए कहा है कि, यदि बच्चा किसी भी परिधान को पहनता है उससे पहले उनके परिजनों की लिखित अनुमती होनी जरूरी है क्योंकि पिछले कई साल से अभिभावकों की शिकायते आती रही है. दरअसल, क्रिसमस ईसाई धर्म का त्योहार है और सांता क्लॉस को  ईसाई धर्म का प्रतीक माना जाता है . ऐसे में कई हिंदू अभिभावक फैन्सी ड्रैस में सांता क्लॉस का कॉस्टयूम पहनाने से आपत्ती प्रकट करते है. अभिभावकों का यह भी कहना रहता था की उन्हें स्कूल की ओर से सैंटा की ड्रेस खरीदने को मजबूर किया जाता है.  कई सालों से अभिभावकों की शिकायत बढ़ने पर मध्य प्रदेश के  बाल संरक्षण आयोग ने यह फैसला लिया है. इस आदेश को  मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग ने 12 दिसंबर 2024 को जारी किया था . 

आदेश का उल्लंघन करने पर होगी कार्रवाई
मध्य प्रदेश के बाल संरक्षण आयोग द्वारा दी गई आदेश का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. बच्चों को ऐसे परिधान पहनाने से पहले उनके अभिभावक लिखित में अनुमति दें. ऐसा न करने पर स्कूल के प्राचार्य को जिम्मेदार माना जाएगा और स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध सक्त कारवाई की जायेगी. अब यह स्कूल की बड़ी जिम्मेदारी है. इस नियम का पालन हो सके ताकि फिर किसी अभिभावक को आपत्ती या  शिकायत ना करना पड़े.

कई सालों से आ रही शिकायत 
आपको बता दें की पिछले साल भी बाल संरक्षण आयोग द्वारा  यह आदेश दिया गया था जहां अभिभावकों की लिखित अनुमति देना अनिवार्य था. बिना अभिभावकों की लिखित अनुमति के बच्चे किसी भी वेशभूषा को नहीं धारण कर सकते थे. ऐसा पाए जाने पर स्कूलों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए थे.

रिपोर्ट- अजय मिश्रा रीवा

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