MP की राजनीति में 'बेशरम रंग' बदल रहा सियासी पारा , 2023 में मंदिरों-मदरसों के सहारे साधेंगे वोटबैंक?
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MP की राजनीति में 'बेशरम रंग' बदल रहा सियासी पारा , 2023 में मंदिरों-मदरसों के सहारे साधेंगे वोटबैंक?

MP News: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही विकास की बात कम और धर्म के नाम पर आरोपों की तलवारें ज्यादा चलते दिख रही हैं. पहले शाहरुख खान की फिल्म पठान के गाने बेशरम रंग पर विवाद हुआ. उसके बाद मदरसों के सिलेबस पर सवालिया निशाव खड़े हुए तो माहौल गर्मा गया. कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कह डाला कि सिर्फ मदरसों की ही जांच क्यों हो, शिशु मंदिरों की भी जांच की जानी चाहिए. वहां RSS के लोग तैयार होते हैं. 

MP की राजनीति में 'बेशरम रंग' बदल रहा सियासी पारा , 2023 में मंदिरों-मदरसों के सहारे साधेंगे वोटबैंक?

MP Election 2023: जैसे- जैसे मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे सियासी सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं. बीजेपी कांग्रेस एक दूसरे पर रोज कोई नए आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं. अब वोटर्स को रिझाने के लिए काम को छोड़, धर्म की राजनीति ज्यादा हो रही है. हालांकि ये कुछ नया नहीं है. चुनाव पास आते ही राजनीति में इस तरह के आरोप लगना आम है. ताजा परिदृश्य देखें संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा कि कहीं मदरसों में देशद्रोहिता की शिक्षा तो नहीं दी जा रही. बयान आया तो माहौल गर्मा गया. तुरंत पलटवार करते हुए कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि सिर्फ मदरसों की ही जांच क्यों हो, शिशु मंदिरों की भी जांच की जानी चाहिए. इस तरह के भड़काऊ बयानों को देखकर लग रहा है कि मध्य प्रदेश में आने वाले चुनाव में विकास की नहीं मंदिर मदरसे और बेशरम रंग जैसे मुद्दों के भरोसे रहेंगी राजनीतिक पार्टियां

पठान फिल्म को लेकर शुरू हुई बहसबाजी
हाल में ही शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण की फिल्म पठान का एक गाना लॉन्च हुआ 'बेशरम रंग' . उसमें दीपिका पादुकोण के भगवा रंग के कपड़े पहनने पर एमपी में जमकर बवाल शुरू हो गया. जिसके बाद से इस गाने को लेकर देश सहित प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया. भाजपा समर्थकों का कहना है कि ये भगवा रंग और हिंदुओं, सनातन का अपमान है तो वहीं गैर हिंदुओं का कहना है कि ये महज राजनीतिक षड्यंत्र खड़ा किया जा रहा है. फिल्म का नाम पठान होने की वजह से इस फिल्म को लोग बैन करवाना चाहते हैं. एमपी की राजनीति में शाहरुख खान के गाने को भी भुनाने की कोशिश दिखाई दे रही है.

बेशर्म रंग परिधान या गाना?
बेशरम रंग गाने पर खड़े हुए विवाद के सियासी समीकरण देखें तो हिन्दू तबका ये कह रहा है कि इस गाने के माध्यम से सनातन धर्म का मजाक उड़ाया गया है . बता दें कि रंग का शाब्दिक अर्थ होता है आंखो को अनुभव होने वाला पदार्थ. इस लिहाज से हिन्दुओं का कहना है कि हमारी आंखों में इस गाने के माध्यम से भगवा रंग को बेशर्म बताया गया है. वहीं पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए गैर हिन्दू लोगों का कहना है कि ये महज एक गाना है लेकिन शाहरुख खान की भूमिका अहम होने की वजह से इसका बहिष्कार किया जा रहा है. अगर हम गाना लिखने और गाने वाले कि मानें तो उनका कहना है कि हमारा मकसद किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था,ये महज इत्तेफाक था.

मदरसों, मंदिरों और शिशु मंदिर पर भी कलह
प्रदेश में मदरसों की पढ़ाई को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. मदरसं का सिलेबस जांच के घेरे में है.  गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के मदरसों की जांच की बात कही तो उनका विरोध शुरू हो गया. कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि सस्वती शिशु मंदिर की भी जांच होनी चाहिए.आरिफ मसूद ने कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर में संघ के लोगों को तैयार किया जाता है. संघ की विचाराधारा को पढ़ाया जाता है, इसलिए सिर्फ मदरसों को टारगेट न किया जाए. सरस्वती शिशु मंदिर की भी जांच होनी चाहिए. मदरसों में आपत्तिजनक सामग्री पढ़ाने का मामला संज्ञान में आया था. इससे पहले संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने भी मदरसों में पढ़ाई को लेकर सवाल उठाए थे और मदरसों में मानव तस्करी का भी आरोप लगाया था. मामला शुरू हुआ था जब कुछ समय पहले बाल संरक्षण आयोग की टीम ने औचक निरीक्षण किया था, जिसमें कई खामियां मिली थी.

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