RTI के दायरे में मैहर का शारदा मंदिर, सूचना आयुक्त ने जारी किया आदेश
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RTI के दायरे में मैहर का शारदा मंदिर, सूचना आयुक्त ने जारी किया आदेश

मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध मैहर के मां शारदा देवी मंदिर की जानकारी आरटीआई अधिनियम (RTI Act) के तहत आम जनता ले सकती है. ये फ़ैसला राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सुनाया है. उन्होंने सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा को आदेशित किया है कि वे मंदिर की जानकारी RTI अधिनियम के तहत सुचारू रूप से मिल सके इसकी व्यवस्था प्रशासक के स्तर पर सुनिश्चित करें.

RTI के दायरे में मैहर का शारदा मंदिर, सूचना आयुक्त ने जारी किया आदेश

भोपाल: राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध मैहर के मां शारदा देवी मंदिर की जानकारी आरटीआई अधिनियम (RTI Act) के तहत मांगे जाने पर बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने एक आदेश जारी कर कहा है कि मंदिर की जानकारी आम जनता ले सकती है. सूचना आयुक्त ने इस संबंध में सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा को आदेशित किया है. इसमें कहा गया है कि कलेक्टर मंदिर की जानकारी RTI अधिनियम के तहत सुचारू रूप से मिल सके इसकी व्यवस्था प्रशासक के स्तर पर सुनिश्चित करें.

किस मामले के कारण लिया गया फैसला
एडवोकेट आनंद श्रीवास्तव आरटीआई आवेदन दायर कर प्रबंध समिति में शासन के नियमों के अनुरूप की गई नियुक्ति की जानकारी मांगी गई थी. साथ ही निकाय में कार्यरत कर्मचारियों के नाम पर समूह बीमा योजना के तहत जो राशि जमा की गई उसकी जानकारी भी मांगी गई थी. असके अलावा मध्य प्रदेश प्रतिकार नियम 1995 के तहत शासन की कोष में जमा की गई राशि की जानकारी भी मांगी गई थी, लेकिन उनके इस RTI आवोदन को मंदिर के प्रशासक और मैहर एसडीएम धर्मेंद्र मिश्रा ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि मंदिर प्रबंध समिति या मंदिर आरटीआई अधिनियम के दायरे में नहीं आता है.

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आवेदन निरस्त करने के पीछे SDM का तर्क
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सुनवाई करते हुए जब एसडीएम धर्मेंद्र मिश्रा से पूछा कि आपने आरटीआई आवेदन निरस्त क्यों किया तो मिश्रा ने आयोग के समक्ष लिखित में कहा कि मंदिर की प्रबंध समिति के ऊपर आरटीआई अधिनियम लागू ही नहीं होता है. मिश्रा ने अपने पक्ष में तर्क दिया कि मंदिर में मां शारदा देवी की जो मूर्ति है वह अव्यस्क है. कलेक्टर को उसका संरक्षक नियुक्त किया गया है. इसका मतलब यह नहीं है की मां शारदा देवी कलेक्टर के अधीन है. मिश्रा ने ये भी कहा कि मां शारदा देवी मंदिर को शासन से कोई अनुदान नहीं मिलता है. शासन का कोई नियंत्रण या कानून मां शारदा देवी मंदिर पर प्रभावी नहीं है. इसलिए आरटीआई अधिनियम मंदिर पर लागू नहीं है.

शरदा मंदिर RTI के आधीन कैसे?
इसके बाद उन्होंने कहा कि मंदिर पर सूचना का अधिकार अधिनियम प्रभावी है. मंदिर की प्रबंध समिति मां शारदा देवी मंदिर मैहर अधिनियम 2002 के तहत गठित है. इस कारण ये सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 के तहत लोक प्राधिकारी की श्रेणी में आता है. जबलपुर हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने स्वयं मंदिर को पूरी तरह से राज्य शासन के नियंत्रण में माना है. शासन के नियंत्रण में होने से स्पष्ट है की मंदिर पर आरटीआई एक्ट लागू होगा. इसके साथ ही सूचना आयुक्त ने अपने आदेश में कहा कि मंदिर को वर्ष 2016-17 में करीब 49 लाख रुपए की राशि राज्य शासन से प्राप्त हुई थी. सूचना का अधिकार अधिनियम में मप्र के नियम के अनुसार शासन द्वारा 50000 रुपए तक की राशि जिस भी संस्था में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लगी हो वह आरटीआई अधिनियम लागू होता है.

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एसडीएम पर लगा 25000 रुपए का जुर्माना
राज्य  सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने धर्मेंद्र मिश्रा के आरटीआई आवेदन निरस्त करने के निर्णय को विधि विरुद्ध बताते हुए कहा कि उनके द्वारा जानबूझकर जानकारी छुपाने की नियत से आवेदन निरस्त किया गया. उन्हें एसडीएम होने के नाते ही मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक का पद मिला है. शासन से उनका काम एक रेगुलेटरी अथॉरिटी के रूप में मंदिर प्रबंध समिति में है. ताकि मंदिर की प्रबंध समिति शासन के नियमों के अनुसार कार्य कर सकें.

सूचना आयोग ने कहा कि एसडीम धर्मेंद्र मिश्रा आयोग के समक्ष एक बार फोन पर हाजिर हुए और जानकारी नहीं देने के पक्ष में जवाब प्रस्तुत किया. उसके बाद तीन बार आयोग द्वारा उन्हें सुनवाई का संबंध में  नोटिस दिया गया, लेकिन मिश्रा ने आयोग के किसी भी नोटिस का जवाब नहीं दिया. इस कारण राज्य सूचना आयुक्त ने अपना फैसला सुनाते हुए मिश्रा के पर 25000 का व्यक्तिगत जुर्माना लगाया है.

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मंदिर की जानकारी क्यों आनी चाहिए सामने?
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने यह भी कहा कि मंदिर भगवान का घर है और भगवान के घर में किस बात का पर्दा. भगवान पर पहला हक भगवान के श्रद्धालुओं का है. यह श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, यहां वैसे भी नियम विरुद्ध गलत कार्य या घोटाला होने की कोई गुंजाइश नहीं है. मंदिर में चढ़ावे के तौर पर हजारों-लाखों रुपए आते हैं. शासन के अनुमोदन के पश्चात ही अधिकारी कर्मचारियों की नियुक्ति होती है ऐसे में यह जरूरी है कि मंदिर के प्रबंध समिति की कार्यप्रणाली कानून अनुरूप पारदर्शी और भ्रष्टाचार निरोधी हो. आरटीई एक्ट के तहत जानकारी देने से मन्दिर प्रबंध समिति जनता के प्रति जवाबदेह भी बनेगी.

इन तीन मंदिरों के लिए बना अधिनियम
मध्यप्रदेश में तीन मंदिर के लिए राज्य शासन द्वारा अधिनियम लागू कर प्रबंध समिति का गठन किया गया है. इसमें मैहर का मां शारदा देवी मंदिर के लिए  मां शारदा देवी मंदिर अधिनियम 2002, उज्जैन के महाकाल मंदिर के लिए मध्यप्रदेश महाकाल मंदिर अधिनियम 2002 और इंदौर के खजराना गणेश मंदिर के लिए मध्यप्रदेश खजराना गणेश मंदिर अधिनियम 2003 लागू है.

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