एक ऐसा गांव जहां पिछले 11 साल से लोग रोज अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं. हर पल इस डर में जीने पर मजबूर हैं कि ना जाने कब उन्हें अपनी जान से हाथ से जान ना धोना पड़े लेकिन पापी पेट के लिए यहां के ग्रामीण रोज अपनी जान को मुश्किल में डालने पर मजबूर हैं.
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कांकेर: किरगापाटी एक ऐसा गांव जहां बारिश के आने के पहले पूरे गांव के लोगों माथे पर चिंता की लकीरें खींच जाती है.बता दें कि ग्रामीणों के चिंता का कारण एक पुल है जो ग्यारह सालों में नही बना है. ग्रामीण हर साल बारिश के आने के पहले देशी जुगाड लगाते हैं.वो बांस बल्ली लकड़ी का उपयोग कर काम चलाने लायक पुल का निर्माण करते. पुल के निर्माण में पूरा गांव शिद्दत से जुट जाता है. ग्रामीण पुल की मांग करते करते थक चुके हैं लेकिन अभी तक एक पुल नही बन पाया है. दरअसल ग्यारह साल पहले आई बाढ़ में पुल बह गया. पुल को लेकर ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और नेताओं को आवेदन दिए पर नतीजा सिफर रहा. इतना ही नहीं बारिश के दिनों में स्कूली बच्चों को टीचर एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचाते हैं.
1 1साल से ग्रामीण पुल निर्माण की कर रहे मांग : इस पुरे मामले को लेकर ग्रामीणों का कहना है अगर जुगाड का पुल नही बनाएंगे तो एक किलोमीटर के बजाए अतिरिक्त दस किलोमीटर का सफर तय करना होगा ऐसे में इस पुल के निर्माण की बहुत आवश्यकता है इस मसले पर कांकेर कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि इस पुल के बारे में जानकारी मिली है प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत पुल का निर्माण किया जाना है इसके सर्वे के लिए अधिकारी को बताने के बाद जो यथा संभव होगा वो किया जाएगा ताकि पुल का निर्माण किया जा सके.
देश को आजाद हुए 70 साल से भी ज्यादा बीत चुके है लेकिन आज भी किरगापाटी जैसे कई गांव विकास की नहीं बल्कि मूलभूत सुविधाओं के लिए भी जूझ रहे हैं.