MP News: खेती का धंधा घाटे का सौदा! 30 हजार क्विंटल गेहूं रिजेक्ट, किसानों का लाखों रुपये फंसा
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MP News: खेती का धंधा घाटे का सौदा! 30 हजार क्विंटल गेहूं रिजेक्ट, किसानों का लाखों रुपये फंसा

MP News:  इंदौर के 450 किसानों का 30 हजार क्विंटल गेहूं का भुगतान अटक गया है क्योंकि सरकारी समिति ने ऐसे गेहूं की खरीद कर ली है जो सरकारी आदेश के मापदंड पर नहीं उतरता था आइए जानते हैं मामला...

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MP News: मध्यप्रदेश के इंदौर में 450 किसानों का 30 हजार क्विंटल गेहूं का भुगतान (wheat payment) सरकारी एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी के कारण किसानों की परेशानी बढ़ गयी है. भारतीय खाद्य निगम द्वारा गेहूं के खरीद को लेकर आदेश जारी करने के बावजूद, सरकारी समिति ने ऐसा गेहूं खरीद लिया जो आदेश के मापदंड पूरा नहीं करता था. सरकारी समिति ने ऐसे गेहूं की खरीदी तो कर ली, लेकिन केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम ने इसे  ठीक नहीं माना. ऐसे में किसानों का भुगतान (payment to farmers) फंस गया है क्योंकि पैसे का भुगतान तो 8 से 12 दिनों में निगम ही करता है.

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निगम का आदेश
आदेश के मुताबिक सरकार 30 फीसदी चमकहीन गेहूं खरीद सकती है, हालांकि इसमें भी काले अनाज पर कोई छूट नहीं दी गई है. यानी अगर किसी सैंपल में 2 फीसदी से ज्यादा डैमेज यानी काले दाने पाए जाते हैं तो उसे नहीं लिया जा सकता. यह स्टैंडर्ड मानक है. दरअसल, इंदौर में 20 मार्च से सरकारी खरीद शुरू हो गई थी. पहले चमकहीन गेहूं को लेकर कोई राहत नहीं थी और माल रिजेक्ट हो रहा था. जब नेताओं ने मुद्दा उठाया तो केंद्र ने कहा कि 30 फीसदी तक बिना पॉलिश वाला गेहूं खरीदा जा सकता है और फिर निगम ने आदेश भी जारी कर दिया था.

600 क्विंटल गेहूं रिजेक्ट
केंद्र सरकार इंदौर और आसपास के किसानों से अनाज मंडी में खरीद रही है. इसके लिए देवी अहिल्या समिति को टेंडर दिया गया है. अब तक समिति 450 से अधिक किसानों से 30 हजार क्विंटल गेहूं खरीद चुकी है. ज्यादातर माल सरकारी गोदामों में भेज दिया गया है. अब खबर यह है कि भारतीय खाद्य निगम ने बाजार में खरीदे गए गेहूं का निरीक्षण किया और 600 क्विंटल गेहूं को रिजेक्ट कर दिया क्योंकि यह उचित औसत गुणवत्ता (fair average quality) का नहीं था. यह सामग्री बाजार में पड़ी है और निगम ने अभी तक इसे पास नहीं किया है. ऐसे में उनका पेमेंट फंस सकता है. किसानों को अभी तक यह पता नहीं चल पा रहा है कि किसका माल रिजेक्ट हुआ है, उनके पास सोसायटी को सौंपे गए माल की रसीदें हैं और वे अपने बैंक खातों में भुगतान आने का इंतजार कर रहे हैं.

सोसायटियों की लापरवाही
मदन गजभिए (डिप्टी रजिस्ट्रार सहकारिता)और राज्य सहकारी विपणन संघ (State Cooperative Marketing Federation) दोनों ने सभी समितियों को नोटिस जारी किया था कि वे कम गुणवत्ता वाला गेहूं न खरीदें, इसे एफसीआई द्वारा वापस कर दिया जाएगा. जिससे समितियों को दोगुना नुकसान उठाना पड़ेगा. इस नोटिस के बावजूद समितियों ने गेहूं खरीदी में सावधानी नहीं बरती और गेहूं रिजेक्ट करने की नौबत आ गई है. कलेक्टर आशीष सिंह ने मामले पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि सोसायटियों को अधिकार नहीं है कि वह सोसायटी बंद रखें या गेहूं  लौटाएं.ऐसा करने वाले सोसायटियों के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी.

यहां भी गेहूं वापिस
इंदौर के अलावा देपालपुर और सांवेर की भी छह सोसायटियों का 30 हजार क्विंटल गेहूं वापस कर दिया गया है. ये सोसायटियां चित्तौड़ा, नागपुर, कांकरिया पाल, बडोदिया खान और छड़ोदा की हैं. इसी तरह मऊ की प्राथमिक कृषि सहकारी समिति (काला कुण्ड), सेवा सहकारी समिति (भगोरा) और प्राथमिक सहकारी समिति मानपुर का गेहूं रिजेक्ट कर दिया गया. बघाणा, हैदर, हातोद, कांकरिया बोर्डिया, बसान्द्रा, श्री देवी अहिल्या केंद्र, जम्बूर्डी हप्सी, बेटमा, रंगवासा, दौलताबाद आदि सोसायटियों के गेहूं को भी रिजेक्ट कर दिया गया था.

खराब नहीं हुआ
कृषि जानकारों का कहना है कि मालवा में कोहरे के कारण सैकड़ों किसानों का गेहूं प्रभावित हुआ है. गेहूं खराब नहीं हुआ है. बल्कि धुंधला हुआ है. जनवरी में बारिश और कोहरे के कारण गेहूं  पर हल्का असर पड़ा है,इस कारण दाना काला पड़कर सिकुड़ गया है. साथ ही बड़ी तादाद में चमकविहीन हो गया है.

यह किसानों की समस्या है
किसानों की शिकायत है कि खेतों में गेहूं की छनाई और सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है. जैसे हार्वेस्टर के माध्यम से गेहूं को खेत से साफ किया जाता है. वहीं, किसान गेहूं बेचने के लिए मंडी या समिति के गोदाम पर पहुंचता है. इस बार सरकारी खरीद का लक्ष्य कम रखा गया है, जिससे गुणवत्ता के हिसाब से गेहूं रिजेक्ट हो रहा है. यदि कुछ समितियों ने निम्न गुणवत्ता का गेहूं खरीदा भी तो उन्हें एफसीआई ने अस्वीकार कर दिया.

 

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