Dhar Bhojshala ASI Survey Update: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने धार भोजाशाला में जारी सर्वे के लिए ASI टीम को 8 सप्ताह का समय दे दिया है. सोमवार को सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि अब अवधि नहीं बढ़ेगी. साथ ही बेंच ने सर्वे को रोकने के लिए लगाई गई याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
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Dhar Bhojshala ASI Survey Update: धार भोजशाला में जारी ASI सर्वे को लेकर सोमवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में सुनवाई हुई. इस दौरान आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की एप्लीकेशन को एक्सेप्ट करते हुए कोर्ट ने सर्वे के लिए समय बढ़ा दिया है. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि अब सर्वेक्षण के लिए समय अवधि नहीं बढ़ेगी. साथ ही कोर्ट ने सर्वे पर आपत्ति को लेकर लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया. इसके लिए मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही.
ASI को मिला 8 सप्ताह का समय
सोमवार को MP हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में धार भोजशाला को मामले पर सुनवाई हुई. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने सर्वे के लिए 8 हफ्ते का समय मांगते हुआ एप्लीकेशन फाइल की थी. कोर्ट ने इसे मंजूर करते हुए ASI की टीम को 8 सप्ताह का समय दे दिया है. साथ ही कहा कि आगे अब समय अवधि नहीं बढ़ेगी.
4 जुलाई के पहले पेश करनी होगी रिपोर्ट
कोर्ट ने धार भोजशाला सर्वे के लिए ASI टीम को 8 हफ्ते का समय देने के साथ ही 4 जुलाई के पहले फाइनल रिपोर्ट सौंपने की बात कही है. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम को ये रिपोर्ट हाई कोर्ट की इंदौर बेंच को सौंपना होगा.
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सर्वे को रोकने की याचिका खारिज
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने सर्वे को लेकर लगाई गई याचिक खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट की अवमानना और सर्व को रोकने के लिए लगाई गई IA पर बेंच ने इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने का कहा.
क्या है धार भोजशाला विवाद
MP के धार जिले में 11वीं शताब्दी में परमार वंश का शासन था. 1000 से 1055 ई. तक राजा भोज धार के शासक थे. 1034 ई. में राजा भोज ने एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में भोजशाला' के नाम से जाना गया. बताया जाता है कि 1305 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने कथित तौर भोजशाला को ध्वस्त कर दिया था. 1401 ई. में दिलावर खान गौरी ने इसके एक हिस्से में मस्जिद बनवाई. 1514 ई. में महमूद शाह ने भी यहां एक मस्जिद बनवाई. 1875 में यहां से खुदाई करने पर मां सरस्वती की एक प्रतिमा निकली, जिसे बाद में लंदन ले जाया गया. प्रतिमा अब भी वहां मौजूद है.
हिंदू पक्ष भोजशाला को सरस्वती मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष यहां लंबे समय से नमाज अदा करने की परंपरा का दावा करता है. मुस्लिम पक्ष भोजशाला को भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं.ऐसे में ये पता लगाने के लिए कि यहां सरस्वती मंदिर है या मस्जिद ASI की टीम सर्वे कर रही है.
इनपुट- धार से कमल सोलंकी की रिपोर्ट, ZEE मीडिया