MP GDP: एमपी की कुल जीडीपी का हिस्सा 30 फीसदी है और यहां की 70 फीसदी जनसंख्या खेती के काम में लगी हुई है. इस तरह खेती एमपी की अर्थव्यवस्था का बेहद अहम हिस्सा है.
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भोपालः देश का हार्ट कहे जाने वाले मध्य प्रदेश की गिनती आज तेजी से विकास करने वाले राज्यों में होती है. मध्य प्रदेश क्षेत्रफल के हिसाब से दे का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है और जनसंख्या के हिसाब से 7 करोड़ की जनसंख्या के साथ एमपी देश का पांचवां सबसे बड़ा राज्य है. एमपी में ही देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र करीब 94 हजार स्कवायर किलोमीटर है. साथ ही देश की सबसे बड़ी आदिवासी जनसंख्या भी एमपी में ही निवास करती है. एमपी ऐतिहासिक धरोहरों के लिहाज से भी काफी समृद्ध राज्य है, जहां खजुराहो, भीमबेटका और सांची स्तूल जैसी यूनेस्को हेरिटेज साइट्स मौजूद हैं. इतना समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विविधता के बावजूद मध्य प्रदेश अभी उस जगह नहीं पहुंच पाया है, जहां इसे पहुंचना चाहिए था. आज हम आपको बता रहे हैं कि एमपी किस तरह से देश के अमीर राज्यों में अपनी जगह बना सकता है और समृद्ध और खुशहाल बन सकता है.
निजी सेक्टर को बढ़ावा देकर
एमपी की अर्थव्यवस्था में निजी सेक्टर का योगदान करीब 47 फीसदी है. इनमें खेती और खनन जैसे क्षेत्र भी आते हैं. एमपी में देश का 8 फीसदी कोयला रिजर्व है. साथ ही देश के सबसे बड़े कॉपर रिजर्व भी एमपी के बालाघाट में स्थित हैं. जहां भारत के कुल कॉपर रिजर्व का 41 फीसदी कॉपर मौजूद है. एमपी में फार्मा सेक्टर भी बेहद अहम है. एमपी में दवाईयों की करीब 250 कंपनियां हैं जो खासकर मालवा क्षेत्र में मौजूद हैं. एमपी के कुल निर्यात में से करीब 18 फीसदी दवाईयों का निर्यात होता है. एमपी अपने निजी सेक्टर पर और फोकस करके काफी आगे जा सकता है.
एमपी देश के सबसे बड़े कॉटन उत्पादक राज्यों में शामिल है. यहां से कॉटन का निर्यात किया जाता है. कॉटन उत्पादन में आगे रहने के कारण राज्य की टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी बेहद अहम है. एमपी का हथकरघा उद्योग भी काफी मजबूत है और यहां बनने वाली चंदेरी साड़ियां पूरे देश में पसंद की जाती हैं.
पर्यटन में काफी संभावनाएं
एमपी में तरक्की का एक दूसरा माध्यम पर्यटन है. यहां कई ऐतिहासिक धरोहरों के साथ ही यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी कमाल की है. एमपी विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रंख्लाओं से घिरा हुआ है. इसके चलते यहां प्राकृतिक खूबसूरती भी कमाल की है. यहां कई झरने भी मौजूद हैं.2018 के आंकड़ों के अनुसार, एमपी में स्थानीय और विदेशी पर्यटकों की संख्या क्रमशः 8.4 करोड़ और 3.8 लाख रही. एमपी में कई नेशनल पार्क भी है और टाइगर स्टेट होने के चलते भी यह पर्यटकों के लिए घूमने की पसंदीदा जगह है. एमपी अपनी इस ताकत को पहचान भविष्य में पर्यटन हब के रूप में उभर सकता है.
खेती
एमपी की कुल जीडीपी का हिस्सा 30 फीसदी है और यहां की 70 फीसदी जनसंख्या खेती के काम में लगी हुई है. इस तरह खेती एमपी की अर्थव्यवस्था का बेहद अहम हिस्सा है. खासकर पिछले 10-15 सालों में खेती के मामले में एमपी में कमाल का काम हुआ है. एमपी में 2010 के बाद से जीडीपी में खेती का हिस्सा बढ़ा है. एमपी को 2011 से 2016 तक लगातार पांच साल कृषि सम्मान से नवाजा गया. हाल के सालों में एमपी देश की अनाज को टोकरी बनकर उभरा है और आज यहां पंजाब से भी ज्यादा अनाज का उत्पादन होता है. देश के कुल अनाज उत्पादन में 16 फीसदी की हिस्सेदारी है. एमपी में बड़े पैमाने पर चावल का भी उत्पादन किया जाता है.
सरकार ने सिंचाई योजनाओं पर भी फोकस किया है. उसी का नतीजा है कि पिछले 5 सालों में एमपी का सिंचाई एरिया तीन गुना बढ़कर 20 लाख मीट्रिक हेक्टेयर से ज्यादा हो गया है. सरकार सिंचाई के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिससे किसान के खेतों तक आसानी से पानी पहुंच सके. साथ ही सरकार प्रदेश में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की योजना पर काम कर रही है. इसके लिए राज्य में फूड पार्क भी बनाए जा रहे हैं.