मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अब केंद्रीय विभागों को हिंदी में किए गए कामों का हिसाब किताब देना होगा. इसके लिए केंद्रीय राजभाषा समित समीक्षा करने के लिए भोपाल आ रही है.
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भोपाल: केंद्र की मोदी सरकार और मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार लगातार हिंदी के विस्तार और प्रचार के लिए काम कर रही है. इसके लिए तरह-तरह के प्रयोग और जागरुकता अभियान चला रहे हैं. इसी क्रम में अब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित केंद्रीय विभागों को हिंदी में किए गए काम का हिसाब किताब देना होगा. इससे लिए केंद्रीय राजभाषा समित समीक्षा करने के लिए भोपाल आ रही है.
क्या-क्या बताना होगा?
- कितने पत्र हिंदी में लिखे गए
- पत्राचार के लिए कितनी बार हिंदी का इस्तेमाल हुआ
- कितने विभागीय पत्र हिंदी में लिखे गए
- कितने विज्ञापन हिंदी में दिए गए
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समिति में होंगे ये सांसद
मध्य प्रदेश के बैतूल लोकसभा सदस्य दुर्गादास उइके समेत 11 सांसद अलग-अलग केंद्रीय विभागों की जानकारी लेंगे. इसमें राजभाषा समिति उपाध्यक्ष डॉ. भर्तृहरि मेहताब, उप समिति-2 की संयोजक प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी, रंजनबेन धनंजय भट्ट, माला राजलक्ष्मी शाह, मनोज तिवारी, सुशील कुमार गुप्ता, किंजरापु राम मोहन नायडू, दुर्गादास उइके, बालूभाऊ धानोकरकर, ज्योर्तिमय सिंह महतो, संगीता यादव होगे.
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कौन-कौन से विभाग हैं शामिल
केंद्रीय राजभाषा समित के सभी सदस्य बुधवार को भोपाल पहुंच रहे हैं. समीक्षा में वो भोपाल में केंद्र सरकार के कुल 18 उपक्रमों के साथ अन्य दफ्तर और विभागों की समीक्षा करेंगे. इसमें भेल, एम्स, एफसीआई, मौसम विभाग आदि शामिल हैं.
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क्या है राजभाषा समिति ?
राजभाषा समिति की स्थापना 1976 में राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 4 के तहत की गई थी. राजभाषा समिति की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री करते हैं. 1963 के अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, इसमें लोकसभा से 20 सांसद और राज्यसभा के 10 सांसद होते है. इसका काम हिंदी के प्रयोग में हुई प्रगति की समीक्षा करना है. समिति सरकारी संचार में हिंदी के उपयोग को बढ़ाने के लिए सिफारिशें भी कर सकती है. इस संबंध में 1963 के अधिनियम के धारा 4 में व्याख्या की गई है.
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