Aghori Baba Life Unknown Secret: आज हम आपको अघोरी के जीवन से जुड़ी बहुत सी रहस्यमई बातें बताएंगे. जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं जिसमें यह भी शामिल है कि वह लाशों के साथ संबंध के बनाते हैं.
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Aghori Life Unknown Secret In Hindi: अघोरी शब्द के बारे में तो आपने सुना ही होगा, लेकिन ज्यादातर लोगों को इसके बारे में जानकारी सीमित है. गौरतलब है कि अघोरी तपस्वियों का समुदाय है जो भारत के दूर-दराज इलाकों में रहते हैं. ये समुदाय अपनी प्रथाओं और मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं, तो आइए हम आपको बताते हैं कि अघोरी का जीवन कैसा होता है और इनके कुछ राज और रहस्य...
तांत्रिक साधनाएं
अघोरी को तंत्र-मंत्र के लिए जाना जाता है. वे आध्यात्मिक परंपरा का पालन करते हैं. अघोरी आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए कर्मकांड और ध्यान पर जोर देते हैं. उनका मानना है कि यदि वे मानव अवशेष खाने जैसी वर्जित प्रथाओं का पालन करते हैं तो वे अपने मृत्यु के भय पर काबू पा सकते हैं और आध्यात्मिक रूप से मुक्त हो सकते हैं.
त्याग
बता दें कि अघोरी एक तरह से सांसारिक दुनिया को पूरी तरह से त्याग देते हैं. वह बहुत ही सरल और तपस्वी जीवन जीते हैं. उनका मानना है कि आध्यात्मिकता से जुड़ने के लिए भौतिक संपत्ति और इच्छाओं को छोड़ना बहुत जरूरी है.
ध्यान
अघोरी गहन ध्यान करते हैं. वे चेतना की परिवर्तित अवस्थाओं को प्राप्त करने के लिए मंत्रों और मुद्राओं का उपयोग करते हैं. माना जाता है कि गहन साधना करने से वे परमात्मा के करीब पहुंच जाते हैं और उन्हें आध्यात्मिक मुक्ति मिल जाती है.
योग करते हैं
कहा जाता है कि अघोरी अपने शरीर और मन को शुद्ध करने और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक आम आदमी की तरह योग करते हैं. अघोरी हठ योग और कुंडलिनी योग सहित योग के विभिन्न रूपों का अभ्यास करते हैं.
कैनबिस का सेवन
बताया जाता है कि अघोरी अक्सर कैनाबिस यानी गांजा या भांग का सेवन करते हैं. उनका मानना है कि इससे उन्हें जागरूकता और आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद मिलती है.
शवों के साथ संबंध बनाते हैं अघोरी
ऐसा माना जाता है कि अघोरी शवों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं.कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके पीछे की वजह बताते हुए अघोरी खुद कहते हैं कि शिव और शक्ति की पूजा का एक तरीका शारीरिक संबंध बनाना भी है.
शरीर विभूति या चिता-भस्म से ढका रहता है
बता दें कि अघोरी ज्यादा कपड़े नहीं पहनते हैं. साथ ही, उनका पूरा शरीर विभूति या चिता-भस्म से ढका रहता है.गौरतलब है कि वस्त्रों का त्याग करना त्याग का प्रतीक है क्योंकि वस्त्र हमारी रक्षा करते हैं और यह मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकता है.
(Disclamer: यहां दी गई समस्त जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)