Independence Day History: ग्वालियर में आज नहीं फहराया गया था तिरंगा, जानें 10 दिन की देरी से क्यों हुआ आजादी का उत्सव?
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Independence Day History: ग्वालियर में आज नहीं फहराया गया था तिरंगा, जानें 10 दिन की देरी से क्यों हुआ आजादी का उत्सव?

India Independence history: आजादी के 76 साल ( 76 Year of Independence ) पूरे होने पर हम 77वां स्वतंत्रता दिवस ( 77th Independence Day ) मनाकर अगले सफर के लिए चल पड़े हैं. ऐसे में हम यहां बता रहे हैं कि ग्वालियर में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज ( First Flag Hoisted In Gwalior ) यानी तिरंगा झंडा 15 अगस्त 1947 ( 15 August 1947 ) को नहीं बल्कि इसके 10 दिन बाद 25 अगस्त 1947 ( 25 August 1947 ) को फहराया गया था. जानिए आखिर क्यों...

Independence Day History: ग्वालियर में आज नहीं फहराया गया था तिरंगा, जानें 10 दिन की देरी से क्यों हुआ आजादी का उत्सव?

श्यामदत्त चतुर्वेदी/नई दिल्ली: आजाद भारत में 15 अगस्त 1947 के दिन पूरे देश में तिरंगा फहरा कर देश की आजादी का जश्न ( Independence Day Celebration ) मनाया गया. लेकिन इसके बावजूद कई ऐसे भी क्षेत्र थे जो आजाद होने से खुश नहीं थे, जिनमें से एक स्थान ग्वालियर ( Gwalior ) भी था. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पहली बार राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगा झंडा 15 अगस्त 1947 को नहीं बल्कि इसके 10 दिन बाद 25 अगस्त 1947 ( First Flag Hoisted In Gwalior ) को फहराया गया था. आजादी के 76 साल ( 75 Year of Independence ) पूरा होने पर अमृत महोत्सव ( Azadi Ka Amrit Mahotsav ) मौके पर 77वें स्वतंत्रता दिवस ( 76th Independence Day ) पर हम बता रहे हैं इसके पीछ की कहानी...

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सिंधिया विलय होने तक अपना झंडा फहराना चाहते थे
पूरे देश की तरह ग्वालियर भी 15 अगस्त 1947 को ही आजाद हुआ था, लेकिन यहां आजादी 25 अगस्त 1947 को मनाई गई. इसका कारण था ग्वालियर स्टेट ( scindia state ) के महाराज जीवाजीराव सिंधिया विलय होने तक अपने रियासत का झंडा फहराना चाहते थे. ग्वालियर स्टेट के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया ( Jiwaji Rao Scindia ) का कहना था कि जब तक देश का संविधान सामने नहीं आ जाता और रियासतों का स्वरूप स्पष्ट नहीं होता, तब तक रियासत में सिंधिया राजवंश ( Scindia Royal Family ) के स्थापित प्रशासन को ही माना जाएगा.

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जीवाजी राव और कांग्रेसियों के बीच था विवाद
दरअसल महाराजा जीवाजी राव आजादी का जश्न अपने रियासत का झंडा फहरा कर मनाना चाहते थे, लेकिन यह बात कांग्रेसियों ( Congress ) को मंजूर नहीं थी. कांग्रेसी भारत का तिरंगा फहरा कर ही आजादी का जश्न मनाना चाहते थे. विवाद की खबर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ( Jawaharlal Nehru ) और गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ( Sardar Patel ) तक भी जा पहुंची. विवाद और न बढ़े इसके लिए सरदार पटेल ने दोनों पक्षों को अपने तरीके से स्वतंत्रता दिवस मनाने की स्वीकृति दे दी.

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एक साथ फहराए गए थे दो ध्वज
आजादी के दस दिन बाद की यानी 25 अगस्त 1947 ( 25 August 1947 ) को ग्वालियर में दो जगह स्वतंत्रता दिवस समारोह ( Independence Day Program ) आयोजित किया गया. एक समारोह महाराजा जीवाजी राव सिंधिया की अध्यक्षता में सिंधिया राजध्वज फहरा कर नौलखा परेड ग्राउंड ( Naulakha Parade Ground ) में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. वहीं दूसरा समारोह कांग्रसियों द्वारा किलागेट मैदान ( Killgate Ground ) में आाजद भारत के प्रतीक यानी तिरंगे झंडे को फहरा कर मनाया गया.

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