इधर शराब कारोबारियों ने दुकानें खोलने की समय सीमा कम करने और बिड के पुराने रेट को ही बरकरार रखने को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. इससे राज्य सरकार की परेशानी बढ़ गई है.
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भोपाल: मध्य प्रदेश में कोरोना लॉकडाउन के कारण शराब की दुकानें बंद होने से मार्च और अप्रैल महीने में ही राज्य सरकार को 1800.69 करोड़ के राजस्व का घाटा हुआ है. मई में शराब ठेके नहीं खुलने से राज्य सरकार को 1000 करोड़ का नुकसान होने की संभावना है.
इधर शराब कारोबारियों ने दुकानें खोलने की समय सीमा कम करने और बिड के पुराने रेट को ही बरकरार रखने को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. इससे राज्य सरकार की परेशानी बढ़ गई है.
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शासन के आदेश के बाद भी शराब की दुकानें नहीं खोलने वाले लाइसेंसी ठेकेदारों को गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने चेतावनी देते हुए कहा, 'ठेकेदार किसी जिद पर आएंगे और दुकानें नहीं खोलेंगे तो हम नए सिरे से विचार करेंगे. नए व्यक्ति पर भी विचार करेंगे. हठधर्मिता करेंगे तो बर्दाश्त नही होगी. यह नहीं हो सकता कि किसी व्यक्ति को ब्लैक में शराब बेचने की अनुमति दे दें.'
आबकारी विभाग का मध्य प्रदेश के राजस्व में कितना बड़ा योगदान है यह सरकारी आकड़े बताते हैं. राज्य के आबकारी विभाग से मार्च और अप्रैल माह में 3263.69 करोड़ के राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य था, लेकिन लॉकडाउन के चलते 1463 करोड़ राजस्व प्राप्ति हुई. मार्च महीने में 1995 करोड़ राजस्व का लक्ष्य था लेकिन 1342 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई.
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अप्रैल महीने मे 1150 करोड़ राजस्व का लक्ष्य था लेकिन 121 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई. अप्रैल महीने में राज्य सरकार को 1029 करोड़ राजस्व का हुआ नुकसान. लाॅकडाउन के दौरान शराब की दुकानें बंद रहने से राज्य सरकार को 118.69 करोड़ वैट की क्षति हुई है.
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