कभी 76 जवानों की नक्‍सल अटैक में गई थी जान, इसी इलाके में बच्‍चों ने न‍िकाली त‍िरंगा रैली
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कभी 76 जवानों की नक्‍सल अटैक में गई थी जान, इसी इलाके में बच्‍चों ने न‍िकाली त‍िरंगा रैली

कभी जहां नक्सल मुठभेड़ में सीआरपीएफ के 76 जवानों ने शहादत दी थी. जिस इलाके में अपहरण के बाद नक्सलियों ने तत्कालीन सुकमा कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन को कई दिनों तक अपने कब्जे में रखा, उसी इलाके से अब एक बेहद सकारात्‍मक वीड‍ियो सामने आया है. 

सुकमा ज‍िले में त‍िरंगा रैली.

अव‍िनाश प्रसाद/सुकमा: नक्सल आतंक के मामले में भारत देश के सर्वाधिक कुख्यात सुकमा जिले के नक्सल गढ़ से एक बेहद सकारात्मक वीडियो सामने आया है. सुकमा जिले का वो इलाका जहां नक्सल मुठभेड़ में सीआरपीएफ के 76 जवानों ने शहादत दी थी. जिस इलाके में अपहरण के बाद नक्सलियों ने तत्कालीन सुकमा कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन को कई दिनों तक अपने कब्जे में रखा, उसी चिंतलनार इलाके में आज गांव के नन्हे बच्चे तिरंगा रैली निकालते और भारत माता की जय के उद्घोष लगाते दिखाई दे रहे हैं. 

बस्‍तर में वायरल हो रहा वीड‍ियो
यह अपने आप में नक्सल मोर्चे पर पुलिस और आम जनता की एक बेहद बड़ी सफलता है. इन दिनों बस्तर में यह वीडियो बहुत वायरल हो रहा है. इस वीडियो में सुकमा के घोर नक्सल प्रभावित चिंतलनार में सीआरपीएफ की 223 बटालियन के जवानों की सुरक्षा में चिंतलनार गांव के दर्जनों नन्हे-मुन्ने बच्चे अपने हाथों में तिरंगा लिए हुए भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं. 

कभी दुस्साहसी लोग ही कर पाते थे इस इलाके में जाने की ह‍िम्‍मत 
एक समय था जब इस इलाके में जाना मौत को दावत देने के समान होता था. नक्सल आतंक की वजह से सुकमा के दोरनापाल से चिंतलनार का सफर दुस्साहसी लोग ही कर पाते थे. उस समय इस इलाके में तिरंगे को फहराने की परिकल्पना भी असंभव थी. 

बस्तर के आदिवासियों का देश के प्रति द‍िखा समर्पण
17 वर्षों तक लगातार नक्सल मोर्चे पर डटे रहने और अपनी जान की बाजी लगा देने वाले जवानों साथ ही देश के प्रति समर्पित बस्तर के आदिवासियों के देश के प्रति समर्पण की वजह से आज यह तस्वीर सामने निकल कर आई है. बस्तर में यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है. 

इस हमले में गई थी 76 जवानों की जान 

बता दें क‍ि 6 अप्रैल 2010 की सुबह सुकमा जिले के चिंतलनार सीआरपीएफ कैंप के पास ताड़मेटला नाम की जगह पर सीआरपीएफ के जवान और नक्सलियों के बीच बड़ी मुठभेड़ हुई थी. शुरुआती दौर में केवल कुछ ही जवानों की शहीद होने की खबर आती है लेकिन जैसे जैसे समय गुजरता है, रात होने तक वह संख्या बढ़कर 76 हो जाती है. यह नक्‍सल अटैक की एक बड़ी घटना थी. 

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