Lok Sabha Election: जानवरों के सहारे चुनाव लड़ने वाला शख्स! जानिए छत्तीसगढ़ के इस अनोखे उम्मीदवार की कहानी?
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Lok Sabha Election: जानवरों के सहारे चुनाव लड़ने वाला शख्स! जानिए छत्तीसगढ़ के इस अनोखे उम्मीदवार की कहानी?

who is Maya Ram Nat:  छत्तीसगढ़ की जांजगीर चांपा लोकसभा सीट से प्रत्याशी माया राम नट की अगर हम बात करें तो वो न पक्का मकान, न मजबूत ठिकाना, चुनाव लड़ने का ऐसा जुनून कि हर चुनाव में अपनी किस्मत आजमाते हैं, चुनाव लड़ने का अनोखा शौक, अपने पालतू जानवर बेचकर 2001 से हर चुनाव में हिस्सा लेते हैं. 

Lok Sabha chunav Janjgir Champa candidate

Chhattisgarh Election: हम अक्सर सुनते हैं कि भारत में चुनाव लड़ने के लिए आपके पास बहुत सारा पैसा होना चाहिए, लेकिन छत्तीसगढ़ के एक लोकसभा चुनाव 2024 में एक उम्मीदवार ऐसा भी है जो भूमिहीन है. छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के इस उम्मीदवार की खास बात यह है कि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए अपना पालतू सुअर बेच दिया है. यह शख्स 2001 से हर चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहा है. इसकी चाहत देश के सर्वोच्च लोकतंत्र के मंदिर तक पहुंचने की है, जिसके चलते यह पंचायत चुनाव से लेकर जिला विधानसभा और अब लोकसभा चुनाव लड़ रहा है.

चुनाव लड़ने के अपने जुनून के लिए मशहूर
जांजगीर चांपा जिले में होने वाले लोकसभा चुनाव में एक प्रत्याशी ऐसे हैं जिन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं है, उनका नाम है माया राम नट. जांजगीर के चांपा जिले के महंत गांव निवासी माया राम नट घुमतू समुदाय से हैं और उनकी पीढ़ी बांस के डांग में करतब दिखाती आ रही है, जिसे नट या डांगचाघा के नाम से भी जाना जाता है. माया राम नट अपने कारनामों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन वह चुनाव लड़ने के जुनून के लिए भी मशहूर हैं.

2001 से हर चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं
माया राम नट के चुनाव लड़ने का सिलसिला 2001 से शुरू हुआ, माया राम नट ने पामगढ़ विधानसभा एससी आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा था, क्षेत्र क्रमांक 2 से चुनाव लड़कर कमला देवी पाटले की प्रतिद्वंदी बने थे. कमला देवी पाटले दो बार सांसद बनीं. उन्होंने कहा कि वह 2004 से हर विधानसभा, लोकसभा और जिला पंचायत चुनाव  का चुनाव लड़ते आ रहे हैं, एक बार उन्होंने अपनी बहू को जिला पंचायत चुनाव में उम्मीदवार बनाया था और जीत भी हासिल की थी.

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न पैसा, न पैतृक संपत्ति 

माया राम भूमिहीन हैं, सुअर पालन ही उनका एकमात्र व्यवसाय है. माया राम नट ने बताया कि उनके पास न तो पैसा है और न ही पैतृक संपत्ति. फिर भी वह लोकतंत्र के मंदिर तक पहुंचने की उम्मीद में चुनावी मैदान में कूद पड़ते हैं. चाहे सामने कोई भी उम्मीदवार हो, चाहे कितना भी खर्च कर ले, माया राम अपना प्रचार करने के लिए गांव-गांव जाकर लोगों को करतब दिखाते हैं और करतब दिखाने के बदले में उन्हें लोगों से इनाम भी मिलता है.

सूअर बेचकर नामांकन फॉर्म भरा
माया राम नट ने कहा कि चुनाव के लिए नामांकन फॉर्म खरीदने के लिए, उन्होंने व्यवसाय के लिए पाले गए सूअरों को बेच दिया और उनसे प्राप्त धन से उन्होंने नामांकन फॉर्म खरीदा और उन्हें जमा किया. माया राम के मुताबिक उनके पास 100 से ज्यादा छोटे-बड़े सूअर हैं. बड़े सुअर की कीमत 10 हजार रुपये तक थी और छोटा सुअर 3 से 5 हजार रुपये तक बिका. यह उनकी संपत्ति है, जिसे वे सुख-दुख और चुनाव के समय बेचकर अपना कारोबार चलाते हैं.

बेटा शिक्षक है और बहू जनपद सदस्य है
माया राम नट का बेटा शिक्षक है और बहू जनपद सदस्य है. माया राम नट घुमंतू समुदाय से हैं, उनके समुदाय के बच्चों का जाति प्रमाण पत्र नहीं बनता है. समुदाय के बच्चे स्कूल का दरवाजा भी नहीं देख पाते हैं. इसके बाद भी माया राम नट ने अपने बेटे को पढ़ाने का फैसला किया और यह राम नट की मेहनत ही है कि आज उनका बेटा शिक्षक है. इसके अलावा मायाराम ने अपनी बहू को भी चुनाव में उतारकर जनपद सदस्य बनाया है और वह खुद भी लोकसभा और विधानसभा पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.

पिछड़े वर्ग की सेवा का सपना
माया राम नट हर चुनाव में दूसरे और पांचवें स्थान पर रहते हैं. उनका मानना है कि लोग उनके विचारों के प्रति सहानुभूति रखते हैं और बदलाव चाहते हैं. जिसके चलते माया राम को कई बार 15-16 उम्मीदवारों के बीच पांचवां स्थान मिला है. माया राम का कहना है कि चुनाव सिर्फ दिखावे या प्रचार पाने के लिए नहीं होना चाहिए. उनका यह भी मानना है कि कुछ योजनाओं को अपनाने के बाद न तो किसानों को परेशानी होगी और न ही लोगों को भोजन की चिंता होगी. सबके पास जमीन होगी और सब खुशहाल होंगे. ऐसी ही सोच और विचारों के साथ वह जनता के बीच वोट मांगने जाते हैं और उनका यह जुनून जनता की सेवा करने वाले नेताओं के लिए बड़ी प्रेरणा है. उनका यह भी कहना है कि पिछड़े वर्ग की सेवा करना उनका सपना है.

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