नेशनल लोक अदालत में जज ने 28 मामलों में तलाक रुकवाये, ऐसे मिटाई रिश्तों की खटास
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh1438399

नेशनल लोक अदालत में जज ने 28 मामलों में तलाक रुकवाये, ऐसे मिटाई रिश्तों की खटास

धमतरी के जज का आइडिया का नतीजा यह रहा कि बहुत से कपल्स ने तलाक लेने से इंकार कर दिया है. रिश्तों को बचाने में जज ने अहम भूमिका निभाई है. 

नेशनल लोक अदालत में जज ने 28 मामलों में तलाक रुकवाये, ऐसे मिटाई रिश्तों की खटास

देवेन्द्र मिश्रा/धमतरी: देशभर में तलाक का मुद्दा पिछले कुछ समय से चर्चा में रहा है. तलाक को लेकर कई तरह के मामले भी सामने आए हैं. समय इतना आगे निकल गया है कि जिन रिश्तों में गर्माहट होती थी, अब टूटने में एक पल नहीं लगता. शादी को मजबूत बंधन कहा जाता था लेकिन अब तो मैरिज के कुछ ही महीनों बाद तलाक की नौबत आ जाती है. धमतरी के जज का आइडिया का नतीजा यह रहा कि बहुत से कपल्स ने तलाक लेने से इंकार कर दिया है. रिश्तों को बचाने में जज ने अहम भूमिका निभाई है. जज ने बुजुर्ग महिला को न्याय दिलाया है तो वहीं कई साल से अलग रह रहे दंपती को एक करवाया है. बुजुर्ग ने जज को आशीर्वाद दिया. तलाक के लिए पहुंचे दंपत्ति ने एक दूसरे को माला पहनाकर जीवन एक साथ बिताने की कसम खाई है.

दरअसल न्यायाधीश के न्याय के सामने मुजरिम हो या मुलजिम सभी को नतमस्तक होना पड़ता है. लेकिन अगर न्यायाधीश अदालत में फरियादी का आशीर्वाद लेने लगे. तो निश्चित तौर पर ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर नज़ारा कहा जायेगा. शनिवार को लगे नेशनल लोक अदालत में कुछ ऐसा ही हुआ. लोक अदालत में कुटुम्ब विवाद के मामलों की सुनवााई हो रही थी. जज थे विनोद कुमार. 

60 साल की उम्र में फिर एक हुए बुजुर्ग दंपति, फैमिली कोर्ट में की शादी!

बेटा नहीं दे रहा था भरण-पोषण
एक वृद्ध महिला को उसका बेटा भरण पोषण नही दे रहा था. मां के लाख गुहार लगाने पर भी बेटा सुन नही रहा था. बुजुर्ग महिला का और कोई सहारा नही था. महिला ने कोर्ट से मदद मांगी. जज ने उसके बेटे को कुछ ऐसा समझाया कि बेटा अब अपनी माँ को 3 हज़ार रुपये हर महीने देने को राजी हो गया. इस राजीनामे से बुजुर्ग महिला इतनी अभिभूत हो गई. जज विनोद कुमार को जी भर के आशीर्वाद देने लगी. अपनी मां की उम्र की महिला की भावना का आदर करते हुए जज विनोद कुमार अपनी कुर्सी से उतरकर महिला का आशीर्वाद लेने हाथ जोड़ कर खड़े हो गए. ये नज़ारा अदालत और जज दोनों की मानवीय संवेदना की झलक दिखलाता है.

कुल 43 कुटुंब के मामले आए
बताया गया कि धमतरी लोक अदालत में कुल 43 कुटुंब विवाद के मामले थे. जिनमे से 28 मामलों में जज ने राजीनामा करवा दिया. आपको जानकर हैरानी होगी कि ज्यादातर मामले तलाक के थे. लेकिन राजीनामा होने के बाद अब ये परिवार बिखरने से बच गए. बेहद कम उम्र के दंपत्ती जो एक दूसरे से अलग होने अदालती लड़ाई वर्षों से लड़ रहे थे. वो अपनी लड़ाई भूल कर फिर से नया जीवन जीने को राजी हो गए. और एक दूसरे के लिए जो मन मे मैल था वो अदालत में धो कर साफ कर दिया. टूटता घर जुड़ जाने का श्रेय सभी ने जज को दिया.

जज को मिल चुका नेशनल अवार्ड
इन मामलों की कानूनी लड़ाई के लिए पैरवी करने वाले वकीलों ने बताया कि, ऐसा धमतरी के अदालत में पहली बार हुआ है. जब तलाक से ज्यादा राजीनामा में केस खत्म हुआ है. वकीलों के मुताबिक ये नतीजे जज विनोद कुमार के कारण आए है. उन्होंने ये भी बताया कि जज विनोद कुमार को एक दिन में सबसे ज्यादा राजीनामा करवाने पर नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है.

Trending news