सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब नहीं चलेगा बुलडोजर, तोड़फोड़ की कार्रवाई पर लगाई रोक
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब नहीं चलेगा बुलडोजर, तोड़फोड़ की कार्रवाई पर लगाई रोक

Supreme Court: किसी भी अपराध के मामले में अब सरकार आरोपी के आवास पर बुलडोजर नहीं चलवा सकेगी. सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर को होने अगली सुनवाई तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब नहीं चलेगा बुलडोजर, तोड़फोड़ की कार्रवाई पर लगाई रोक

Madhya Pradesh News: सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर को होने अगली सुनवाई तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने साफ किया कि बिना कोर्ट की इजाजत के इस दरम्यान कोई डिमोलिशन की कार्रवाई नहीं होगी. हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि अगर सार्वजनिक रोड, फुटपाथ, रेलवे लाइन पर किसी भी तरह का अतिक्रमण है तो वो हटाया जा सकता है. उसके हटाये जाने पर कोई रोक नहीं है. कोर्ट के फैसले का असर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत सभी भाजपा शासित राज्यों में होगा. 

इधर, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर केंद्र ने सवाल उठाया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के हाथ इस तरह नहीं बांधे जा सकते हैं. इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि अगर कार्रवाई दो हफ्ते रोक दी तो आसमान नहीं फट जाएगा. आप इसे रोक दीजिए, 15 दिन में क्या होगा?

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"बुलडोजर न्याय" की आलोचना की थी
पिछले सप्ताह जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने "बुलडोजर न्याय" की आलोचना की थी और कहा था कि ऐसे देश में जहां कानून सर्वोच्च है, इस तरह की विध्वंस की धमकियां अकल्पनीय हैं. गुजरात में एक नगर निगम अधिकारी ने एक परिवार के घर को बुलडोजर से गिराने की धमकी दी है, जिनमें से एक का नाम एफआईआर में दर्ज है. परिवार ने नगर निगम के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उनके परिवार की तीन पीढ़ियां करीब दो दशकों से उस घर में रह रही हैं.

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"बुलडोजर न्याय" की आलोचना की थी
पिछले सप्ताह जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने "बुलडोजर न्याय" की आलोचना की थी और कहा था कि ऐसे देश में जहां कानून सर्वोच्च है, इस तरह की विध्वंस की धमकियां अकल्पनीय हैं. गुजरात में एक नगर निगम अधिकारी ने एक परिवार के घर को बुलडोजर से गिराने की धमकी दी है, जिनमें से एक का नाम एफआईआर में दर्ज है. परिवार ने नगर निगम के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उनके परिवार की तीन पीढ़ियां करीब दो दशकों से उस घर में रह रही हैं.

मध्य प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई पर सियासत
हाल ही में जमीयत उलेमा ए हिंद ने भी बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकार की यह कार्रवाई अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बना रही है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल ही में ऐसे मामलों की कई रिपोर्ट आई थी. आरोपियों के घरों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया. इस मामले में मध्य प्रदेश की सियासत में भी बयानबाजी देखी गई. कांग्रेस ने कानून के तहत बुलडोजर की कार्रवाई की वैधता पर सवाल उठाए, वहीं भाजपा ने जमीयत की आपत्ति पर सवाल उठाए.

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