Kerala Wayanad Landslide News: केरल के वायनाड में भूस्खलन में दबे लोगों की खोज में क्या अंतरिक्ष तकनीक से मदद मिल सकती है. इस सवाल का अब इसरो चीफ एस सोमनाथ ने जवाब दिया है.
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ISRO Chief S Somnath on Landslide: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ का कहना है कि अंतरिक्ष तकनीक का इस्तेमाल करके भूस्खलन के मलबे के नीचे दबे लोगों का पता लगाना संभव नहीं है. केरल में भूस्खलन के बाद मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए चलाये जा रहे अभियान के बीच उनका यह बयान आया है. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष तकनीक के जरिये जमीन की एक निश्चित गहराई की जानकारी हासिल की जा सकती है लेकिन लोगों को खोजने के लिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
'अंतरिक्ष-आधारित सेंसर की सीमाएं हैं'
ISRO की ओर से इंस्टाग्राम पर आयोजित एक कार्यक्रम में वे इस संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे. सोमनाथ ने कहा, ‘मलबे के नीचे दबी वस्तुओं का पता लगाने के लिए अंतरिक्ष-आधारित सेंसर की सीमाएं हैं, जो वर्तमान में एक मुद्दा है. अंतरिक्ष तकनीक से जमीन के नीचे क्या है, इसका पता लगाना संभव नहीं है.’
'अंतरराष्ट्रीय यात्रा से मिलेगा सीखने का मौका'
भारत-अमेरिका मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए चयनित हुए दो ‘गगनयात्री’ से संबंधित सवाल का भी सोमनाथ ने जवाब दिया. सोमनाथ ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने की प्रक्रिया ही आपको बहुत कुछ सीखने का मौका देती है. हमारे एक अंतरिक्ष यात्री को तैयारी की पूरी प्रक्रिया का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इससे हमें पता चलेगा कि गगनयान मिशन के लिए गगनयात्रियों को कैसे तैयार किया जाए.’
23 अगस्त को मनाया जाएगा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस
उन्होंने कहा कि जब गगनयात्री वास्तव में उड़ान के अनुभव से गुजरेंगे, तथा वहां पहले से ही मौजूद अंतरराष्ट्रीय चालक दल के साथ काम करेंगे, तो इससे उन्हें वास्तव में वह ज्ञान और कौशल प्राप्त होगा, जो इसरो को भारत के मिशन के लिए तैयार कर देगा. सोमनाथ ने इसरो की शुरुआती असफलताओं के बारे में भी बात की, जिसने अंततः इसकी सफलताओं का मार्ग प्रशस्त किया. उन्होंने यह भी कहा कि वह 23 अगस्त को मनाए जाने वाले पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस को लेकर उत्साहित हैं.
(एजेंसी भाषा)