Jitan Ram Manjhi: जीतन राम मांझी की बगावत से बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है. नीतीश कुमार के सबसे समर्थकों में से एक मांझी अब उनके ही खिलाफ जहर उगल रहे हैं. अब उन्होंने नीतीश कुमार पर नए सिरे से बड़े आरोप लगाए हैं.
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Jitan Ram Manjhi: जीतन राम मांझी की बगावत से बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है. नीतीश कुमार के सबसे समर्थकों में से एक मांझी अब उनके ही खिलाफ जहर उगल रहे हैं. अब उन्होंने नीतीश कुमार पर नए सिरे से बड़े आरोप लगाए हैं. उन्होंने दावा किया है कि बिहार में मुख्यमंत्री बने रहने के लिए नीतीश कुमार कुछ भी कर सकते हैं. वे तेजस्वी यादव को कभी मुख्यमंत्री नहीं बनाएंगे. संवाददाताओं से बात करते हुए मांझी ने नीतीश कुमार पर कई गंभीर आरोप लगाए.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सवाल किया कि क्या नीतीश कुमार ने भाजपा से हाथ नहीं मिलाया? मैं दावे के साथ कहता हूं कि वे(नीतीश कुमार) तेजस्वी को मुख्यमंत्री नहीं बनाएंगे, हो सकता है एक ऐसा समय आए जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनने के लिए फिर से भाजपा के साथ चले जाएं.
#WATCH क्या नीतीश कुमार ने भाजपा से हाथ नहीं मिलाया? मैं दावे के साथ कहता हूं कि वे(नीतीश कुमार) तेजस्वी को मुख्यमंत्री नहीं बनाएंगे, हो सकता है एक ऐसा समय आए जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनने के लिए फिर से भाजपा के साथ चले जाएं: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, गया pic.twitter.com/XaeSw1ocL0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 16, 2023
इससे पहले नीतीश ने सत्तारूढ़ महागठबंधन से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को निकाले जाने का बचाव करते हुये आरोप लगाया कि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के संस्थापक वस्तुत: भारतीय जनता पार्टी के लिये विपक्षी दलों की जासूसी कर रहे थे.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘समय पूर्व चुनाव की बात मैंने ऐसे ही कही थी, लेकिन इसकी प्रबल संभावना है. जो लोग केंद्र की सत्ता में बैठे हैं, उन्हें इस बात की भनक है कि विपक्षी खेमे में काफी गतिविधि चल रही है.’ विपक्षी एकता के प्रयास के तहत भारतीय जनता पार्टी के विरोधी विभिन्न दलों के नेता यहां 23 जून को एक बैठक के लिए जुटेंगे.
मांझी ने हाल ही में कहा था कि 2014 में लोकसभा चुनाव में जद(यू) की हार के बाद हुयी शर्मिंदगी से बचने के लिये नीतीश ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था, इस पर नीतीश ने कहा कि उन्होंने पार्टी सदस्यों की इच्छा के खिलाफ पद छोड़ा था. उन्होंने कहा, ‘कोई भी नहीं चाहता था कि मैं इस्तीफा दूं, लेकिन मैं अपनी बात पर कायम रहा. पार्टी के लोगों में इस बात पर आम सहमति नहीं थी कि मेरा उत्तराधिकारी कौन होगा। इसलिए मुझे हस्तक्षेप करना पड़ा और मैंने मांझी को यह सोचकर चुना कि अनुसूचित जाति का एक व्यक्ति प्रदेश का मुख्यमंत्री बने.’
(एजेंसी इनपुट के साथ)