पी-7 पैराशूट को अधिकतम 4,000 मीटर की ऊंचाई से सामान नीचे पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे सेना को सीमाई और मुश्किल इलाकों में अपनी ताकत बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी.
Trending Photos
Indian Army parachutes: आए दिन लगातार भारतीय सेना देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए बेहतर कार्य करती रहती है. बॉर्डर पर भी सेना की विशेष नजर रहती है. इसी कड़ी में सेना जल्द ही ऐसे खास पैराशूट से लैस होगी, जो 9.5 टन वजन तक का भारी सामान आसानी से जमीन पर उतार सकेंगे. इन पैराशूट का इस्तेमाल दुर्गम सीमाई क्षेत्रों और युद्ध के मोर्चे पर हल्की तोपों, फील्ड गन, जीप और छोटे वाहनों को पहुंचाने के लिए किया जाएगा. यह सेना की सामरिक क्षमताओं को और मजबूत बनाएगा.
पैराशूट पूरी तरह से भारत में ही तैयार
असल में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि ये पैराशूट पूरी तरह से भारत में ही तैयार किए गए हैं. इन्हें आगरा स्थित एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट स्टैब्लिशमेंट एडीआरडीई और कानपुर की ग्लाइडर इंडिया लिमिटेड (जीआईएल) ने मिलकर विकसित किया है. 9.5 टन वजन ले जाने में सक्षम यह पैराशूट दुनिया में दूसरे नंबर का सबसे शक्तिशाली सैन्य पैराशूट है. पहले स्थान पर फ्रांस की कंपनी एयरबोर्न द्वारा विकसित गीगाफ्लाई पैराशूट है, जो 19.05 टन वजन ले जा सकता है.
परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका
भारत में विकसित इन पैराशूट को पी-7 नाम दिया गया है. इनका परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है और अंतिम मंजूरी के लिए इसे डायरेक्टर जनरल क्वालिटी एश्योरेंस डीजीक्यूए के पास भेजा गया है. सेना ने इन परीक्षणों को देखा और पैराशूट को उपयुक्त पाया है. जैसे ही डीजीक्यूए की मंजूरी मिलेगी, इन्हें सेना में शामिल कर लिया जाएगा.
आसानी से दुर्गम स्थानों तक पहुंचाने में
सेना ने इन पैराशूट की 146 यूनिट खरीदने का ऑर्डर दिया है. इनका मुख्य उपयोग आईएल-76 विमान के जरिए युद्ध सामग्री पहुंचाने के लिए होगा. हल्की तोपें, जवानों की मशीनगन और अन्य उपकरणों को आसानी से दुर्गम स्थानों तक पहुंचाने में यह मददगार होंगे. वर्तमान में, जीप जैसी बड़ी चीजों को अलग-अलग पार्ट्स में ले जाना पड़ता है, लेकिन इन नए पैराशूट की मदद से पूरा वाहन एक साथ उतारा जा सकेगा.
यह भी बताया गया कि पी-7 पैराशूट को अधिकतम 4,000 मीटर की ऊंचाई से सामान नीचे पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे सेना को सीमाई और मुश्किल इलाकों में अपनी ताकत बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी. इन स्वदेशी पैराशूट के निर्माण से भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिला है. Photo: AI