चीनी नौसेना की गतिविधियों से भारत की चिंता बढ़ी, चीन का एक और जासूसी जहाज श्रीलंकाई पोर्ट पर डालेगा लंगर
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चीनी नौसेना की गतिविधियों से भारत की चिंता बढ़ी, चीन का एक और जासूसी जहाज श्रीलंकाई पोर्ट पर डालेगा लंगर

Chinese Navy: पिछले महीने भारत की तमाम आपत्तियों के बावजूद श्रीलंका ने चीनी नौसेना के युद्धपोत हई यांग 24 हाओ (Hai Yang 24 Hai) को कोलोंबो पोर्ट पर लैंडिंग की इजाज़त दे दी थी.

चीनी नौसेना की गतिविधियों से भारत की चिंता बढ़ी, चीन का एक और जासूसी जहाज श्रीलंकाई पोर्ट पर डालेगा लंगर

Indian Navy News: भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत से चीन (China) परेशान हो गया है. इंडियन नेवी (Indian Navy) पर नजर रखने के लिए चीन एक के बाद एक जासूसी जहाज को हिंद महासागर (Indian Ocean) में भेज रहा है. यही नहीं पिछले कुछ महीनो में चीनी नौसेना (Chinese Navy) के जहाज लगातार श्रीलंका के बंदरगाहों पर डेरा डाले हुए हैं.

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक चीन भारतीय नौसेना की तरफ से किए जाने वाले वॉर एक्सरसाइज (War Exercise) पर भी खास ध्यान दे रहा है. 

भारतीय नौसेना जिस तरह से ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान नेवी के साथ लगातार जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज (Joint Military Exercise) कर रही है उससे भी चीन परेशान है.

अक्टूबर में श्रीलंकाई पोर्ट पर डेरा डालेगा चीनी जहाज
इस साल अक्टूबर महीने में चीनी नौसेना का रिसर्च वेसल ( Research Vessel) शी यान 6 (Shi Yan 6) श्रीलंका के कोलम्बो (Colombo) और हम्बनटोटा (Hambantota) पोर्ट पर डेरा डालेगा. जानकारी के मुताबिक चीनी रिसर्च वेसल अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से लेकर नवंबर तक श्रीलंका के आसपास समुद्री इलाके में चक्कर लगायेगा.

ठीक इसी तरह से पिछले महीने भारत की तमाम आपत्तियों के बावजूद श्रीलंका ने चीनी नौसेना के युद्धपोत हई यांग 24 हाओ (Hai Yang 24 Hai) को कोलोंबो पोर्ट पर लैंडिंग की इजाज़त दे दी थी. हई यांग 24 हाओ श्रीलंका में 138 क्रू मेंबर के साथ कोलोंबो पहुंचा था.

भारतीय मिसाइलों पर नजर
चीन भारत की तरफ से किए जा रहे लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों पर भी लगातार नज़र बनाए रखे हुए है. भारतीय मिसाइलों को ट्रैक करने के लिए चीन ने पिछले साल भी युआन वांग-6 (Yuan Wang-6) नाम के मिसाइल ट्रैकर को हिंद महासागर में भेजा था. सूत्रों के मुताबिक युआन वांग-6 का मकसद भारतीय मिसाइलों (Indian Missiles) की मारक क्षमता का पता लगाना के साथ साथ सैटेलाइट को ट्रैक करना था.

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