भारत पर धार्मिक भेदभाव का आरोप, यहां जानिए मोदी सरकार पर अमेरिकी प्रेशर की इनसाइड स्टोरी
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भारत पर धार्मिक भेदभाव का आरोप, यहां जानिए मोदी सरकार पर अमेरिकी प्रेशर की इनसाइड स्टोरी

India US relations: अमेरिका की पूरी कोशिश भारत पर दबाव डालकर उसे अपने पाले में करने की है. यह अमेरिका की एक सोची समझी रणनीति है कि जो देश उसकी बात न मानें उस पर दबाव डालो. इसके बावजूद अगर वह देश आनाकानी करे तो उस पर प्रतिबंधों की बौछार कर दो.

भारत पर धार्मिक भेदभाव का आरोप, यहां जानिए मोदी सरकार पर अमेरिकी प्रेशर की इनसाइड स्टोरी

US Report : भारत में धार्मिक स्वतंत्रता (religious discrimination) पर अमेरिकी रिपोर्ट को लेकर बवाल मचा हुआ है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) ने भारत पर धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाया है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब अमेरिका ने भारत को लेकर ऐसे अनर्गल और अनाप-शनाप आरोप लगाएं हों. 'दुनिया का दारोगा' वाली छवि रखने वाले अमेरिका (US) की पूरी कोशिश अब भारत पर दबाव डालकर उसे अपने पाले में करने की है. दरअसल ये अमेरिका की एक सोची समझी रणनीति है कि जो भी देश उसकी बात न मानें उस पर दबाव डालो. इसके बावजूद अगर वो देश आनाकानी करे तो उस पर प्रतिबंधों की बौछार कर दो.

भारत को रूस से दूर करने की कोशिश

अमेरिका का मुख्य उद्देश्य भारत को रूस से दूर करना है. हाल के यूक्रेन युद्ध में भारत ने कभी भी खुलकर रूस की आलोचना नहीं की. इसके अलावा भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की परवाह न करते हुए रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम की भी खरीद की. इस बात को जला-भुना बैठा अमेरिका अभी तक भुला नहीं पाया है. अमेरिका के कई अधिकारी लगातार कह रहे हैं कि वो रूस-भारत के रिश्तों को लेकर सहज नहीं हैं. साफ है कि अमेरिकी प्रशासन अपने हितों के हिसाब से भारत-रूस में दूरियां देखना चाहते हैं. हालांकि भारत ने दसियों मौकों पर ये साफ कर चुका है कि वो रूस के साथ अपने संबंधों को कभी भी कम नहीं करेगा.

भारत को कंट्रोल करने से अमेरिका को क्या लाभ?

अमेरिका की कोशिश इंडो-पैसिफिक में भारत को नियंत्रित कर एक हब के तौर पर इस्तेमाल करना है. इंडो पैसिफिक में चीन, अमेरिका विरोधी गतिविधियों में लगा हुआ है. ऐसे में अमेरिका की कोशिश भारत के कंधे पर रखकर बंदूक चलाने की है. पूरी दुनिया जानती है कि अमेरिका किसी का भी सगा नहीं है. अमेरिका ने फ्रांस जैसे अपने सबसे करीबी देश को भी नहीं बख्शा और अपने फायदे के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ अरबों डॉलर की पनडु्ब्बी डील को रद्द करवा दिया. ऐसे में अमेरिका अपने फायदे के लिए किसी की भी बलि ले सकता है.

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