Freebies: 4 साल... 4 विधानसभा चुनाव, नतीजों पर 'मुफ्त रेवड़ियों' ने डाला कितना असर?
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Freebies: 4 साल... 4 विधानसभा चुनाव, नतीजों पर 'मुफ्त रेवड़ियों' ने डाला कितना असर?

Freebies promises and election results: चुनावों के समय सबसे ज्यादा चर्चा 'फ्रीबीज' की होती है. इसका सबसे पहले 1920 के दशक में अमेरिकी राजनीति में इस्तेमाल हुआ. फ्रीबी शब्द का मतलब होता है, वो चीज जो मुफ्त में दी जाती है. वोटरों को रिझाने से जुड़े इस टर्म को मुफ्त की रेवड़ियां बांटने जैसे मुहावरे से जोड़ा जाता है.

Freebies: 4 साल... 4 विधानसभा चुनाव, नतीजों पर 'मुफ्त रेवड़ियों' ने डाला कितना असर?

How Freebies revadi culture affected election results: भारतीय राजनीति में 'चुनावी रेवड़ी' बांटने का प्रयोग नया नहीं है. बीते 70 सालों में कई राज्यों में हुए चुनावी नतीजे बताते हैं कि चुनाव में 'मुफ्त वादे' जीत का अहम फैक्टर साबित हुए हैं. दिल्ली, पंजाब, बंगाल जैसे कई राज्यों के बाद फ्रीबीज़ जब कर्नाटक में भी जीत का 'रामबाण' नुस्खा साबित हुआ तो एक बार फिर फ्रीबीज के फायदे और नुकसान को लेकर बहस छिड़ गई है. कांग्रेस ने कर्नाटक में अपनी 5 फ्रीबीज यानी 5 गारंटी वाले कार्ड की कामयाबी के बाद मध्यप्रदेश और हरियाणा में  500 रुपए में LPG सिलेंडर और फ्री बिजली देने का ऐलान किया है. आम आदमी पार्टी की 'केजरीवाल की गारंटी' वाले प्लान से सहमी कांग्रेस ने तो हरियाणा में अपनी सरकार बनने पर फ्री में जमीन देने का भी वादा करने में जरा भी देर नहीं लगाई. 

क्या है फ्रीबीज?

चुनावी रेवड़ियों यानी फ्रीबीज को लेकर देशभर में कई मत हैं. चुनाव आयोग के अनुसार, ‘फ्रीबीज की कोई स्पष्ट कानूनी परिभाषा नहीं है. तो RBI के मुताबिक वे योजनाएं जिनसे क्रेडिट कल्चर कमजोर होता है, सब्सिडी की वजह से कीमतें बिगड़ती हैं और लेबर फोर्स भागीदारी में गिरावट आती है, वो फ्रीबीज होती हैं. जैसे- ' फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बकाया बिल और लोन माफी और किसान लोन माफी जैसी चीजें फ्रीबीज में आती हैं.' फ्रीबीज का मामला देश की सबसे बड़ी कोर्ट में हैं. बीजेपी फ्रीबीज को देश के नुकसान से जोड़ती है तो बाकी दल बीजेपी की इस राय से इत्तेफाक नहीं रखते हैं.

इन 5 फ्रीबीज का चुनावी नतीजों में असर

'मुफ्त वादे' चुनावी नतीजों को दशकों से प्रभावित करते आए हैं. कई बार तो राजनीतिक दलों को सत्ता तक पहुंचाने में इनकी बड़ी भूमिका रही है. बीते कुछ सालों में 5 मुफ्त घोषणाएं चुनाव में गेमचेंजर साबित हुईं. जिनमें आधी आबादी यानी महिलाओं से जुड़ा मासिक भत्ता और फ्री बस यात्रा, बिजली हाफ-पानी माफ जैसी स्कीम्स, फ्री राशन, फ्री एलपीजी गैस सिलेंडर और किसान सम्मान निधि प्रमुख हैं.

इन नतीजों से समझिए

कर्नाटक में पूर्ववर्ती सरकार के करप्शन के अलावा बेरोजगारी का मुद्दा चुनाव में हावी रहा. कांग्रेस ने इसे देखते हुए 5 गारंटी स्कीम की घोषणा कर दी. कांग्रेस ने इस 5 गारंटी को अरविंद केजरीवाल की गारंटी की तर्ज पर राहुल गांधी का वचन बताकर प्रचारित प्रसारित किया. 

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में मुफ्त कोरोना वैक्सीन बड़ा मुद्दा था. बीजेपी ने सरकार में आने पर सबको मुफ्त में वैक्सीन लगवाने की घोषणा की थी. ये बात अदालत तक गई, लेकिन कोर्ट ने घोषणा पर रोक से इनकार कर दिया. 

2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में TMC ने जमकर मुफ्त योजनाओं की घोषणा की थी. ममता ने SC- ST वर्ग को सालाना 12000 रुपए देने का वादा किया था. वहीं तृणमूल ने लोगों के घर पर राशन पहुंचाने का ऐलान किया था.

2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कॉलेज जाने वाली लड़कियों को मुफ्त में स्कूटी और महिलाओं को साल में 2 गैस सिलेंडर देने का वादा किया था. चुनाव नतीजों में इस फैक्टर की झलक दिखी. 

2022 के हिमाचल विधानसभा चुनावों में भी इसी तरह फ्रीबीज़ ने बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया. हालांकि हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली बड़ा मुद्दा थी. लेकिन हिमाचल कांग्रेस ने चुनाव से पहले महिलाओं को 1500 रुपए पेंशन और 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने का ऐलान किया था, जो गेमचेंजर साबित हुआ.

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