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Karnataka Hijab Case: कर्नाटक हिजाब मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों से कई तीखे सवाल पूछे. कोर्ट ने कहा कि क्या स्कूल/ कॉलेजों में छात्र/ छात्राओं को अपनी मर्जी के मुताबिक कुछ भी पहनने की इजाजत दी जा सकती है? क्या उन्हें मिनी, मिडी या कुछ भी पहनकर आने की छूट दी जा सकती है?
स्कूल की वर्दी में तो आना ही होगा?
कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी धार्मिक परंपराओं के पालन का अधिकार है. आपको भी हिजाब या स्कार्फ पहनने का अधिकार हासिल है. लेकिन सवाल ये है कि क्या तयशुदा ड्रेस कोड वाले शैक्षणिक संस्थान में इस अधिकार का दावा किया जा सकता है. सरकार आपको पढ़ने से नहीं रोक रही. वो सिर्फ स्कूल की वर्दी में आने के लिए बोल रही है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा कि संविधान के मुताबिक भारत धर्मनिरपेक्ष देश है. क्या एक धर्मनिरपेक्ष देश में सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने का अधिकार मांगा जा सकता है. ये बहस का विषय है.
पगड़ी और चुन्नी से हिजाब की तुलना नहीं- SC
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने पगड़ी का हवाला दिया तो सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार करते हुए कहा कि पगड़ी की तुलना हिजाब से नहीं की जा सकती.
राजीव धवन ने कहा कि जहां ड्रेस कोड भी है, वहां पगड़ी पहनने की इजाजत है. खुद सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 2 में पगड़ी पहने जज की तस्वीर लगी हुई है. इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने उन्हें टोकते हुए कहा कि पगड़ी सिर्फ धार्मिक पोशाक नहीं है. मेरे दादा वकालत की प्रैक्टिश करते हुए इसे पहना करते थे. तो पगड़ी को सिर्फ धर्म से नहीं जोड़िए. सुनवाई के दौरान वकील संजय हेगड़े ने चुन्नी का उदाहरण देते हुए कहा कि ड्रेस केस में चुन्नी की इजाजत हो सकती है तो हिजाब की भी हो सकती है. इस पर कोर्ट ने कहा कि दोनों की तुलना मत कीजिए. चुन्नी सिर्फ कंधों को ढकने के लिए होता है. सिख लड़कियां गुरुद्वारे में सर ढकने के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं.
'सुप्रीम कोर्ट, गोल्फ कोर्स और रेस्टोरेंट तक में ड्रेस कोड लागू'
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सजंय हेगड़े ने दलील दी कि कोर्ट के सामने सवाल ये है कि क्या किसी को खास तरह की पोशाक पहनने के चलते शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा सकता है. क्या आप किसी को धार्मिक पोशाक पहनने के चलते आप किसी को पढ़ने से रोक सकते हैं? इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि एक बार एक महिला सुप्रीम कोर्ट में जींस पहनकर पेश हुई. उन्हें रोक दिया गया वर्ना वो भी दलील दे सकती थी कि उसे वो पहनने का हक है, जो वो पहनना चाहती है.
इस पर सजंय हेगड़े ने कहा कि लेकिन क्या सिर्फ उसके कपड़ों के चलते उसे कोर्ट का रुख करने से रोका जा सकता है. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि यहां तक कि गोल्फ कोर्स में ड्रेस कोड है. इस पर हेगड़े ने कहा कि गोल्फ कोर्स एक निजी जगह है. इस पर कोर्ट ने उन्हें टोकते हुए कहा कि आप गोल्फ कोर्स को निजी जगह नहीं करार दे सकते. यहां तक कि रेस्टोरेंट तक में ये नियम हो सकता है कि वहां शॉर्ट्स पहनने की इजाजत नहीं होगी. हेगड़े ने कहा- लेकिन ये सवाल शिक्षा के अधिकार से जुड़ा मसला है. जिसके लिए हम सब टैक्स अदा करते हैं. इस पर कोर्ट ने टोकते हुए कहा कि सिर्फ 4% लोग टैक्स अदा करते हैं.
केंद्र सरकार की दलील
केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि यहां एकमात्र मसला स्कूल/ कॉलेजों में अनुशासन कायम रखने का है. धार्मिक परंपराओं की आड़ में स्कूल की यूनिफॉर्म के उल्लंघन की इजाजत नहीं दी जा सकती.
हिजाब बैन का फैसला स्कूलों का- कर्नाटक सरकार
कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि हिजाब के बाद जब छात्र भगवा शाल पहनकर आने लगे तो स्कूलों में उपद्रव की स्थिति पैदा हो गई. इसके बाद स्कूलों की ओर से सरकार को इस बारे में लिखने पर सरकार ने आधिकारिक आदेश जारी किया. AG ने साफ किया कि सरकार ने अपनी तरफ से स्कूल/कॉलेज में कोई ड्रेस कोड तय नहीं किया, बल्कि हर शैक्षणिक संस्थान को ये अधिकार दिया कि वो अपने ड्रेस कोड खुद तय कर सकते हैं. ऐसे में कुछ संस्थानो ने हिजाब को बैन कर दिया. लेकिन इसमें सरकार का कोई रोल नहीं है. सरकार का सिर्फ इतना कहना है कि अपनी संस्था के नियमों का पालन करो.
इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या कुछ अल्पसंख्यक सस्थाओं में हिजाब पहनने की इजाजत भी है. एडवोकेट जनरल ने जवाब दिया कि बिल्कुल, अगर वो चाहें तो इसकी इजाजत दे सकते हैं. राज्य सरकार का इसमें कोई दखल नहीं है. जहां तक सरकारी शिक्षण सस्थाओं का सवाल है वहां फैसला कॉलेज डेवलपमेंट ऑथरिटी को लेना है. उडुपी कॉलेज की तरह कुछ सस्थाओं ने हिजाब की इजाजत नहीं दी है. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट में इस मसले को लेकर कल भी सुनवाई जारी रहेगी.
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