Vinesh Phogat: गोल्डन गर्ल विनेश फोगाट का सिल्वर मेडल मिलेगा या नहीं CAS में दोनों पक्षों की तरफ से लंबी सुनवाई पूरी चुका है. बस फैसले का इंतजार है.
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Vinesh Phogat News: पेरिस ओलंपिक में विनेश को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद खेल पंचाट यानी कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स में दायर की गई अपील पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. बस फैसले का इंतजार है. विनेश के अपील पर किसी भी समय फैसला आ सकता है. यानी विनेश को ओलंपिक सिल्वर मेडल मिलेगा या नहीं, इस पर फैसला जल्द ही आने की उम्मीद है. CAS यानी खेल पंचाट ने पहले ही कह दिया था कि पेरिस ओलंपिक के खत्म होने से पहले फैसला ले लिया जाएगा. CAS में दोनों पक्षों में लंबे समय तक बहस चली. सुनवाई के दौरान विनेश भी वर्जुअली जुड़ीं. विनेश मामले पर दोनों पक्षों के बीच करीब साढ़े तीन घंटे तक बहस चली.
विनेश फोगाट ने पहले वजन के नियमों को पूरा किया था. फाइनल तक पहुंचने के लिए तीन मुकाबले लड़े. उनके शरीर को हाइड्रेशन और पोषण की जरूरत थी जिससे वो स्वस्थ रह सकें. कुश्ती के तय किए हुए स्टेडियम और ओलंपिक खेल गांव के बीच की दूरी उनकी जिम्मेदारी नहीं थी. एथलीट्स के स्वास्थ्य को सभी विचारों से ऊपर रखना चाहिए. भारत ने अपने पक्ष में ये भी कहा 100 ग्राम एक्स्ट्रा वजन विनेश के लिए एडवांटेज नहीं था. बल्कि कड़े मुकाबलों के बाद उनकी बॉडी की नेचुरल डिमांड थी. भारत की बेटी विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक में न्याय मिलने की उम्मीद और मजबूत हो गई, क्योंकि देश के टॉप वकील और पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने उनका केस लड़ा. विनेश की ओर से मोर्चा उस काबिल वकील हरीश साल्वे ने संभाला वो पाकिस्तान को झुका चुके हैं.
हरीश साल्वे के इस फैसले ने पूरे देश की उम्मीदें बढ़ा दी हैं. जाहिर है कि ये फैसला ऐसे समय में आया है जब भारतीय ओलंपिक दल को अपनी कानूनी लड़ाई जीतने के लिए किसी बड़े वकील की जरूरत थी. भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने CAS के समक्ष विनेश फोगट की अपील के लिए वकील का इंतजाम करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया था. विनेश ने दो मामलों में अपनी अयोग्यता के खिलाफ अपील की थी. पहला था कि उसे फिर से वजन करने दिया जाए, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और इस तरह से गोल्ड मैडल की फाइट अपने पूर्व निर्धारित तय समय पर पूरी हुई. विनेश की दूसरी अपील ये थी कि उन्हें सिल्वर मैडल दिया जाए. जिसके बाद खेल पंचाट न्यायालय ने कहा था कि वह इस मामले पर विचार कर सकता है. ऐसे में माना जा रहा है कि आज पूरे देश को झूमने पर मजबूर कर देने वाली खुशखबरी आ जाएगी. दरअसल भारतीय ख़ेमे ने खेल पंचाट (कॉर्ट ऑफ एर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट) में किसी भारतीय वकील को विनेश के साथ जोड़े जाने की मांग की थी. जिसके बाद हरीश साल्वे ने भारत का पक्ष मजबूती से रखा.
विनेश ने 50 किलोग्राम वेट कैटेगरी में मंगलवार को तीन मैच खेले थे. उन्होंने प्री-क्वार्टर फाइनल में टोक्यो ओलिंपिक की चैंपियन यूई सुसाकी को 3-2 से हराया था. आगे क्वार्टर फाइनल में यूक्रेन की ओक्साना को 7-5 से पटका और सेमीफाइनल में क्यूबा की रेसलर युसनेइलिस गुजमैन को 5-0 से मात दी. विनेश ओलंपिक मुकाबले में क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान थीं. लेकिन अचानक से घटनाक्रम बदले और गोल्ड जीतने का सपना देख रहीं विनेश को डिस्क्वालिफाई कर दिया गया. महज 100 ग्राम एक्स्ट्रा वजन के चलते विनेश का सपना तोड़ दिया गया था. गोल्ड मैडल वाले मुकाबले में विनेश का वजन तय कैटेगरी 50 किलोग्राम से सिर्फ100 ग्राम ज्यादा मिला था.
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जिस तरह चीते की चाल, बाज की नजर और बाजीराव की तलवार पर संदेह नही करते, कभी भी मात दे सकती है. उसी तरह साल्वे की दलीलें किसी भी केस का रुख पलटने की ताकत रखती हैं. साल्वे के आगे अच्छे-अच्छे लड़खड़ा जाते हैं. अपनी दलीलों से ही साल्वे ने इंटरनेशन कोर्ट में पाकिस्तान (Pakistan) को मात दी थी. पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव का केस बस एक रुपए में लड़कर साल्वे ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था.
हरीश साल्वे का जन्म 22 जून 1955 को हुआ था. साल्वे के दादा पी.के. साल्वे मशहूर क्रिमिनल लॉयर और परदादा मुंसिफ थे. यानी कानून उनकी रगों में था और उन्होंने बखूबी अपने परिवार की विरासत आगे बढ़ाई. उनकी मां अंब्रिती डॉक्टर और पिता एन.के.पी. साल्वे CA थे. साल्वे ने कई भारतीय बैंक और डिफॉल्टर्स के लिए भी केस लड़े हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी उन्होंने कोर्ट में पक्ष रखा. साल्वे, एक बार सलमान खान को भी हिट एंड रन केस की मुश्किल घड़ी से बाहर निकालकर जमानत दिला चुके हैं.