Onion Price: प्याज की कीमत पर 'सर्जिकल स्ट्राइक', केंद्र सरकार के इस फैसले से नाराज किसान
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Onion Price: प्याज की कीमत पर 'सर्जिकल स्ट्राइक', केंद्र सरकार के इस फैसले से नाराज किसान

Onion price hike: जुलाई-अगस्त से लेकर अक्टूबर-नवंबर तक देश में प्याज की कीमतों में तेजी से इजाफे का ट्रेंड रहा है. इसलिए सरकार ने एहतियातन ये फैसला लिया है. जिसका महाराष्ट्र के किसान विरोध कर रहे हैं.

Onion Price: प्याज की कीमत पर 'सर्जिकल स्ट्राइक', केंद्र सरकार के इस फैसले से नाराज किसान

Export duty on Onion: टमाटर के बाद प्याज के दाम आसमान छूने की आशंका के बीच केंद्र सरकार अलर्ट मोड में आ गई है. प्याज का हाल टमाटर जैसा न हो जाए. इसके लिए सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का फैसला लिया है. ये फैसला 31 दिसंबर तक लागू रहेगा. सरकार को उम्मीद है कि इस क़दम से प्याज का निर्यात कम होगा और इससे देश में प्याज की क़ीमतें ज़्यादा नहीं बढ़ेंगी. केंद्र सरकार के इस फैसले का सीधा असर महाराष्ट्र की प्याज बेल्ट माने जाने वाले उत्तर महाराष्ट्र खासतौर पर नासिक पर पड़ना शुरू हो गया है. नासिक के आसपास बढ़े पैमाने पर प्याज़ का उत्पादन किया जाता है.

प्याज पर महाराष्ट्र में 'घमासान'

प्याज की कीमतों पर सरकार की नजर है. वहीं ज़ी न्यूज़ की टीम ने महाराष्ट्र की मंडियों का जायजा लिया तो पता चला कि सरकार के इस फैसले के चलते अब तमाम एक्सपोर्टर, ट्रेडर्स आमने सामने की लड़ाई लड़ने पर आमादा हो गए है. अगर ट्रेडर्स माल नहीं खरीदेंगे तो इसका खामियाजा आखिर में किसानों को ही उठाना पड़ेगा. लासलगांव मंडी को देश की बड़ी प्याज़ की मंडियों में से एक माना जाता है. लासलगांव मंडी के चेयरमैन बालासाहेब क्षीरसागर बताते है कि सरकार ने ये सही काम नहीं किया है. बालासाहेब क्षीरसागर के मुताबिक ये बात ट्रेडर्स के भी हित में नहीं है कि वो ज्यादा दिनों तक बाजार को बंद रखे, ऐसे में सरकार को चाहिए की जल्द से जल्द ट्रेडर्स, किसानों से बात करके इसका हल निकालें.

ज़ी न्यूज़ की पड़ताल

ज़ी न्यूज़ की टीम जब लासलगांव मंडी पहुंची तो हमेशा प्याज़ बेचने आनें वाले किसानों की ट्रॉलियों से गुलजार मंडी परिसर पूरा खाली नजर आया. नासिक की लासलगांव मंडी दुनिया की सबसे बड़ी प्याज मंडियों में एक है. जहां रोज़ाना हज़ारों टन प्याज का कारोबार होता है. लेकिन केंद्र सरकार के फ़ैसले के बाद फिलहाल यहां सन्नाटा पसरा है. यहां हमारी टीम की मुलाकात प्याज़ के एक्सपोर्टर मनोज जैन से हुई. मनोज जैन की ये दूसरी पीढ़ी है जो प्याज़ की ट्रेडिंग और एक्सपोर्ट का काम कर रही है. मनोज बताते है की सरकार ने ये बेहद गलत कदम उठाया है. अगर आज एक्सपोर्ट पर 40% ड्यूटी लगाई जायेगी तो विदेशों में बैठा हमारा क्लाइंट दूसरे देशों से सप्लाई ले लेगा, तब उसके साथ दुबारा बिजनेस रिलेशन बना पाना हमारे लिए बेहद मुश्किल हो जाएगा.

बाजार बंद

मनोज बताते है कि इस मंडी में रोज सुबह और शाम के वक्त में प्याज़ की नीलामी होती है, लेकिन फिलहाल ये बाजार बंद रखा गया है. अगर ट्रेडर ज्यादा दिनों तक प्याज़ की खरीदारी नही करेगा तो इसका बोझ किसान पर ही पड़ेगा. आनें वाले दो महीनो के प्याज़ की नई फसल आ जायेगी, तब तक अगर ये पुरानी फसल नहीं बेची गई तो किसान को कितना घाटा होगा. फिलहाल भी बाजार में पैनिक होने जैसे हालात नहीं है, आज भी कर्नाटक, आंध्रप्रदेश से नई फसल आनें वाली है, ऐसे में सरकार क्यों ये एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा रही है.

इस स्तिथि को बेहतर तरीके से समझने के लिए हम नोंद गांव में पहुंचे. इस गांव में अधिकतर किसान प्याज़ की फसल ही उगाता है. यहां हमारी मुलाकात हुई प्याज़ के किसान अशोक भोसले से. अशोक भोसले कहते है की सरकार और ट्रेडर्स की लड़ाई में पिसना तो सिर्फ किसान को ही है. ऐसा नहीं की किसान के पास प्याज़ नही है, लेकिन जब ट्रेडर खरीद ही नहीं रहा है, बाज़ार बंद करके रखा है तो हम अपनी फसल कहां बेचेंगे. आज की तारीख में कोई भी सब्जी 40 रुपए प्रति किलो से कम की नही है, अगर इस में प्याज़ के दाम भी इतने ही हो जाते है तो सरकार को इसमें एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की क्या सूझी है.

इसके बाद हम एक और लोकल मंडी , वेंचूर मंडी में पहुंचे. लासलगांव मंडी में तो कई एक्सपोर्टर काम करते है लेकिन वेंचूर मंडी में अधिकतर लोकल ट्रेडर ही काम करते है जो स्थानीय जरूरत के लिए ही प्याज़ का उत्पादन करते है. बावजूद इसके , ट्रेडर्स की बुलाई हड़ताल का असर यहां भी देखने के लिए मिल रहा है. हर रोज सैकड़ों ट्रैक्टर ट्राली यहां प्याज से लदे दिखाई देते थे लेकिन आज महज कुछ चन्द ही ट्रॉलियां खड़ी हुई है वो भी बिकने का इंतजार कर रही है.

निर्यात शुल्क पर आर-पार

दरअसल जुलाई-अगस्त से लेकर अक्टूबर-नवंबर तक देश में प्याज की कीमतों में तेजी से इजाफे का ट्रेंड रहा है. अक्टूबर के अंत तक नई पैदावार के मंडियों में पहुंचने के बाद ही प्याज की क़ीमतों में कुछ राहत मिलती है. प्याज की कीमतों की बात करें तो 2 हफ्ते से प्याज महंगा हो रहा है. खुदरा बाजार में कीमत 40 रुपये किलो तक पहुंच गया है. सरकार का ये फैसला भले ही महंगाई पर काबू करने के लिए लिया गया है. लेकिन प्याज के किसान इससे नाराज है. महाराष्ट्र में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हो रहा है.

प्याज पर निर्यात शुल्क क्यों?

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि प्याज पर निर्यात शुल्क इसलिए लगाया गया है ताकि देश के बाज़ारों में प्याज की उपलब्धता बनी रहे.
महाराष्ट्र में प्याज के किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बीच राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने थोड़ी देर पहले ट्वीट करके बड़ी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से उन्होंने बात की है. केंद्र सरकार ने 2 लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदने का फैसला लिया है. देवेंद्र फडणवीस ने बताया है कि महाराष्ट्र में प्याज उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए नासिक और अहमदनगर में विशेष खरीद केंद्र शुरू होंगे और 2410 रुपये क्विंटल की दर से प्याज की खरीद की जाएगी. इस फैसले से महाराष्ट्र के प्याज उत्पादकों को बड़ी राहत मिलेगी.

महाराष्ट्र सरकार से आई जानकारी

महाराष्ट्र में प्याज के किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बीच राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने थोड़ी देर पहले ट्वीट करके बड़ी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से उन्होंने बात की है. केंद्र सरकार ने 2 लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदने का फैसला लिया है. देवेंद्र फडणवीस ने बताया है कि महाराष्ट्र में प्याज उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए नासिक और अहमदनगर में विशेष खरीद केंद्र शुरू होंगे और 2410 रुपये क्विंटल की दर से प्याज की खरीद की जाएगी. इस फैसले से महाराष्ट्र के प्याज उत्पादकों को बड़ी राहत मिलेगी.

मध्य प्रदेश का हाल

मध्य प्रदेश के मंदसौर में भी प्याज की काफ़ी पैदावार होती है, लेकिन यहां भी किसान प्याज की क़ीमतों के लिए परेशान नज़र आए. वहां आम लोगों को प्याज 30 से 35 रुपये प्रति किलो तक मिल रहा है, लेकिन किसानों को इसकी क़ीमत 7 से 10 रुपये किलो ही मिल रही है. एक्सपोर्ट ड्यूटी (Export duty) लगने के बाद ये कीमत भी मिलेगी या नहीं. इसका भी कोई ठिकाना नहीं है. 

मंदसौर ही नहीं भोपाल से लेकर रतलाम तक के किसान भी इसी चिंता में डूबे नज़र आए. सरकार के इस फ़ैसले के बाद प्याज की थोक क़ीमतें तो गिरने लगी हैं, लेकिन आम ग्राहकों को अभी भी इसका फ़ायदा होता नहीं दिख रहा है. केंद्र सरकार के इस फ़ैसले से कहीं ख़ुशी तो कहीं ग़म का माहौल है. एक तरफ़ आम जनता ख़ुश है, कि प्याज उसकी पहुंच से बाहर नहीं होगा. लेकिन प्याज किसानों के लिए ये फ़ैसला किसी झटके से कम नहीं है.

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