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Biometric Alert: आप अपने दफ्तर जाते हैं तो बायोमीट्रिक अटेंडेंस लगाते हैं. इसी तरह जब आप आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज बनवाने जाते हैं तो बायोमेट्रिक पहचान की जाती है. बायोमेट्रिक यानी आपके शरीर की वो पहचान, जो कभी नहीं मिटती और ऐसी ही पहचान होते हैं आपके फिंगर प्रिंट. हर इंसान के फिंगरप्रिंट्स दूसरे इंसान के फिंगरप्रिंट्स से कभी मैच नहीं हो सकते हैं और ना ही फिंगरप्रिंट कभी बदलते हैं. इसलिए ये लोगों की पहचान का सबसे आसान और भरोसेमंद तरीका माना जाता है.
पुलिस भी रह गई भौचक्की!
लेकिन हैदराबाद में पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पकड़ा है, जो लोगों के फिंगर प्रिंट बदल देता था. आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि ऐसा कैसे हो सकता है. लेकिन ऐसा वाकई हो रहा था. हैदराबाद में सिर्फ 25 हजार रुपये में हाथों की उंगलियों के निशान बदलने वाले रैकेट को पुलिस ने पकड़ा तो उनकी Modus Operandi सुनकर पुलिस भी Shocked रह गई. ये आरोपी लोगों की उंगलियों की सर्जरी कर उनके फिंगर प्रिंट्स में फेरबदल कर देते थे. ताकि वो एजेंसियों को चकमा देकर नकली आधार कार्ड बनवा सकें और फिर बदली पहचान के साथ खाड़ी देशों में नौकरी करने के लिए जा सकें.
क्या है पूरा मामला?
तेलंगाना पुलिस की गिरफ्त में मौजूद लोग ऐसे वैसे ठग नहीं है. इनकी कारस्तानी सुन आप भी हैरान रह जाएंगे. क्योंकि ये नटवरलाल लोगों के फिंगर प्रिंट बदलने का रैकेट चलाते थे. ये लोग कुवैत और दूसरे खाड़ी देशों से डिपोर्ट किए गए लोगों की उंगलियों की सर्जरी कर उनके फिंगरप्रिंट बदल देते थे. ताकि वो फर्जी पहचान पत्र के साथ वहां दोबारा जा कर नौकरी कर सकें. पुलिस के मुताबिक आरोपी केरल और राजस्थान में ऐसी 11 सर्जरी कर चुके हैं और पकड़े जाते वक्त भी वो कुछ लोगों की सर्जरी करने की तैयारी में थे. पुलिस के अनुसार कुवैत जैसे देशों में पहचान के लिए सिर्फ फिंगर प्रिंट का ही इस्तेमाल होता है और ये सिस्टम की इसी खामी का फायदा उठा रहे थे. हालांकि फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट्स के मुताबिक किसी इंसान के फिंगर प्रिंट पूरी तरह कभी नहीं बदले जा सकते और ऐसी कोशिशें उनके लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं. अब पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर इस रैकेट से जुड़े बाकी लोगों का पता लगाने में जुटी है. ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.
लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा
कहते हैं कि हाथ की लकीरें मिटाई नहीं जा सकतीं और न ही किस्मत बदली जा सकती है. लेकिन ये आरोपी लोगों की उंगलियों की लकीरें मिटा कर. उनकी किस्मत बदलने का कारोबार कर रहे थे. लेकिन आज उनकी अपनी किस्मत उन्हे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है और ये लोग किस तरह से फर्जीवाड़ा कर रहे थे और थोड़े से फायदे के लिए न सिर्फ लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे थे, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी खतरा पैदा कर रहे थे.
बता दें कि सुरक्षा एजेंसियां अपराधियों की पहचान के लिए फिंगर प्रिंट्स का ही सहारा लेती हैं और ऐसे लोगों का डेटा भी रखा जाता है. आज देश में आधार कार्ड, पासपोर्ट और डाइविंग लाइसेंस भी बिना फिंगर प्रिंट्स के नहीं बनते. यहां तक कि सिम कार्ड लेने के लिए भी आपको अपनी उंगलियों या अंगूठे के निशान देने होते हैं और ये सब इसलिए किया जाता है, ताकि इन दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल न हो सके. क्राइम सीन पर भी पुलिस सबसे पहले फ्रिंगर प्रिंट्स की ही पहचान करती है और इन्हीं के सहारे अपराधियों को पकड़ कर सजा दिलाए जाने के भी सैकड़ों मामले देखे गए हैं.
लेकिन आप सोचिए अगर कोई फिंगर प्रिंट्स में फेरबदल कर ले तो वो सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी किस तरह से खतरा बन सकता है. इसीलिए ये खबर कोई छोटी खबर नहीं है और ये देश की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क करने वाली खबर है. आज इस मामले को बेहद गंभीरता से लेना चाहिए ताकि इस तरह का फर्जीवाड़ा करके कोई भी देश की सुरक्षा को नुकसान न पहुंचा सके.
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