Wrestlers Protest: जंतर मंतर से हरिद्वार तक यूं आगे बढ़ा पहलवानों का आंदोलन, जानिए पूरी टाइमलाइन
Advertisement

Wrestlers Protest: जंतर मंतर से हरिद्वार तक यूं आगे बढ़ा पहलवानों का आंदोलन, जानिए पूरी टाइमलाइन

Wrestlers protest timeline: डब्ल्यूएफआई प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के खिलाफ गंभीर आरोप लगाने वाले पहलवानों का आंदोलन दिल्ली के जंतर मंतर से शुरू होकर हरिद्वार पहुंचा और फिर अब नई करवट ले रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे हुई इस आंदोलन की शुरुआत और अब क्या कुछ होता दिख रहा है.  

Wrestlers Protest: जंतर मंतर से हरिद्वार तक यूं आगे बढ़ा पहलवानों का आंदोलन, जानिए पूरी टाइमलाइन

Sakshi Malik Vinesh Phogat, Brij Bhushan Sharan Singh latest news: दिल्ली के जंतर मंतर से पहलवानों का टेंट और तंबू उखड़ने के बाद नाराज पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया समेत कई खिलाड़ी अपने मेडल्स को गंगा नदी में बहाने के लिए हरिद्वार पहुंचे थे. देश के लिए मैडल लाने वाले पहलवान काफी देर तक वहां बैठे. खेलप्रेमियों के लिए ये भावुक कर देने वाला मौका था इसलिए खिलाड़ियों की आंखों में भी आंसू दिखाई दिए. हालांकि किसान नेता नरेश टिकैत के हस्तक्षेप के बाद पहलवानों ने फिलहाल मैडल बहाने का फैसला वापस ले लिया. मामले में आगे क्या होगा ये तो अभी भविष्य के गर्भ में है. WFI के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाने के बाद उनकी बर्खास्तगी और गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने का ये आंदोलन कैसे आगे बढ़ा आइए जानते हैं.

आंदोलन की टाइमलाइन

18 जनवरी: बजरंग पुनिया, विनेश फोगट और साक्षी मलिक सहित कई स्टार भारतीय पहलवान WFI और उसके चीफ के खिलाफ जंतर मंतर में धरने पर बैठे. पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष और अन्य कोचों पर महिला एथलीटों का यौन शोषण करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया. जिसके बाद खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई से स्पष्टीकरण मांगते हुए 72 घंटे के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

19 जनवरी: पहलवान खेल मंत्रालय के अधिकारियों से मिलते हैं और उन्हें आश्वासन दिया जाता है. इसके बाद पहलवानों ने पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह से मिलने की मांग की तो खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने पहले उन्हें अपने साथ बातचीत करने के लिए राजी कर लिया. खेल मंत्री ने चार घंटों तक चली बैठक में पहलवानों से विस्तार से बात की. इस दौरान WFI प्रमुख के खिलाफ जांच के लिए तटस्थ समिति के गठन की मांग की गई.

20 जनवरी: खेल मंत्री पहलवानों से मिलने के लिए पूरे दिन अपने आवास पर इंतजार करते हैं. लेकिन आगे की बातचीत के लिए पहलवानों ने आने से इनकार कर दिया. फिर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में  वे ये कहते हुए दिखाई देते हैं कि वे बैठक के परिणाम से खुश हैं और वो जांच कमेटी के साथ पूरा सहयोग करेंगे और डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ सबूत भी पेश करेंगे. हालांकि इस दौरान भी उन्होंने बृजभूषण सरन को तुरंत डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष पद से हटायने की मांग की. खेल मंत्री ने आश्वासन दिया कि सिंह डब्ल्यूएफआई के दिन-प्रतिदिन के कामकाज से हट जाएंगे.

21 जनवरी: खेल मंत्रालय से आश्वासन मिलने के बाद पहलवानों ने अपना विरोध प्रदर्शन खत्म कर दिया.

23 जनवरी: ओलंपियन मैरी कॉम की अध्यक्षता में एक ओवरसाइट कमेटी का गठन किया गया. हालांकि पहलवानों ने इस कमेटी में योगेश्वर दत्त के शामिल होने से नाराजगी जताते हुए इस कमेटी में अपनी तरफ से एक सदस्य शामिल करने की मांग की. इसके बाद बबीता फोगट को पहलवानों के अनुरोध पर पैनल में शामिल किया गया.

24 जनवरी: पहलवानों ने कहा कि उन्हें आश्वासन दिया गया था कि पांच सदस्यीय पैनल के गठन से पहले उनसे सलाह ली जाएगी.

9 फरवरी: निरीक्षण समिति ने महिला पहलवानों की शिकायतें सुनीं. पहलवान बाद में दूसरी सुनवाई का अनुरोध करते हैं जो 20 फरवरी को ओवरसाइट कमेटी द्वारा आयोजित की गई.

20 फरवरी: जब ओवरसाइट कमेटी की जांच चल रही थी, बजरंग, विनेश, रवि और साक्षी ने 23 फरवरी से 26 फरवरी तक साल की दूसरी रैंकिंग सीरीज इवेंट - इब्राहिम-मुस्तफा टूर्नामेंट को छोड़ने का फैसला किया. यह दूसरी घटना थी जब उन्होंने ऐसा किया.

23 फरवरी: निरीक्षण समिति ने बृज भूषण सरन और पहलवानों द्वारा नामित अन्य गवाहों को बयान में तलब किया.

24 फरवरी: समिति ने गवाहों से पूछताछ जारी रखी.

21 मार्च: खेल मंत्रालय ने टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम के तहत इंटरनेशनल ट्रेनिंग कैंप के लिए बजरंग और विनेश के अनुरोध को मंजूरी दी. बजरंग को 16 दिनों के लिए किर्गिस्तान में प्रशिक्षण के लिए मंजूरी मिली तो विनेश को 11 दिनों के लिए पोलैंड के स्पाला में ओलंपिक तैयारी केंद्र में प्रशिक्षण के लिए हरी झंडी दी गई है. हालांकि, दोनों ने सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बावजूद ट्रेनिंग के लिए जाने से इंकार कर दिया.

8 अप्रैल: स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्टर ईएसपीएन से बात करते हुए, विनेश ने कहा कि उन्होंने विदेशी दौरे को छोड़ने का फैसला किया क्योंकि उन्हें लगा कि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ शिकायतों की जांच के संबंध में किसी भी घटनाक्रम पर नज़र रखना ट्रेनिंग से ज्यादा जरूरी है.

9 अप्रैल: बजरंग, रवि या विनेश के बिना भारतीय चुनौती का नेतृत्व करने वाले कजाकिस्तान के अस्ताना में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप शुरू हुई. तीनों ने ट्रायल छोड़ देने के बाद इवेंट के लिए क्वालीफाई नहीं किया.

23 अप्रैल: विनेश फोगट, बजरंग पुनिया, उनकी पत्नी संगीता फोगट और साक्षी मलिक डब्ल्यूएफआई और बृज भूषण के खिलाफ अपना विरोध जारी रखने के लिए जंतर-मंतर लौट आए. पहलवानों ने बृज भूषण पर एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने दो दिन पहले नई दिल्ली के कनॉट प्लेस पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की है.

24 अप्रैल: खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के प्रमुख पीटी उषा को लिखे पत्र में कहा कि WFI मामलों को IOA द्वारा नियुक्त एक तदर्थ समिति द्वारा संभाला जाएगा. पत्र में ये भी कहा गया है कि 7 मई को होने वाले चुनाव को शून्य घोषित कर दिया गया था और निगरानी समिति, जिसने अपनी रिपोर्ट दी थी वो अब अस्तित्व में नहीं रहेगी. पीटी उषा ने ये भी कहा कि भविष्य की रणनीति पर चर्चा के लिए आईओए 27 अप्रैल को कार्यकारी परिषद की बैठक होगी.

25 अप्रैल: महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर बृजभूषण के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करने वाली पहलवानों की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया.

26 अप्रैल: प्रदर्शनकारी पहलवानों ने जांच अधिकारियों की निष्क्रियता का हवाला देते हुए मामले में पीएम मोदी और महिला एवं बाल विकास मंत्री से हस्तक्षेप की मांग की

27 अप्रैल: IOA ने WFI के दिन-प्रतिदिन के मामलों को संभालने और अगले 45 दिनों के भीतर इसके चुनाव कराने के लिए तीन सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया. समिति के सदस्यों में सुमा शिरूर, भूपेंद्र सिंह बाजवा और हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जस्टिस होने की जानकारी दी गई. इसी दौरान पहलवानों के रवैये को लेकर पीटी उषा ने इस प्रदर्शन की निंदा की.

29 अप्रैल- 1 मई: AAP नेता अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी सहित राजनीतिक नेता पहलवानों का समर्थन करने के लिए जंतर-मंतर पर जाते हैं, इस विरोध प्रदर्शन को एक राजनीतिक कार्यक्रम में बदल दिया.

4 मई: सुप्रीम कोर्ट ने महिला पहलवानों द्वारा बृज भूषण के खिलाफ निचली अदालत में जाने के लिए दायर याचिका का निस्तारण कर दिया.
तब प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कहा कि उन्हें कोर्ट पर भरोसा नहीं है. इसलिए हम खाप पंचायतों को अपने साथ आने के लिए आमंत्रित करेंगे.

7 मई: किसान नेता राकेश टिकैत जंतर मंतर पर पहलवानों के साथ शामिल हुए.

23 मई: पहलवानों ने कैंडललाइट मार्च निकाला. विरोध में शामिल हुए खाप नेता.

28 मई: क्षेत्र में धारा 144 लागू होने के बावजूद पहलवानों ने नई संसद के सामने मार्च और विरोध करने की योजना बनाई. दिल्ली पुलिस ने मार्च करने वाले पहलवानों पर शिकंजा कसा, उन्हें हिरासत में लिया.

30 मई: पहलवान अपने पदक गंगा में विसर्जित करने हरिद्वार पहुंचे. 

इससे पहले बृजभूषण सरन को भी सुनवाई के लिए बुलाया गया था. हालांकि अप्रैल में पहलवानों ने मांग की थी कि बृजभूषण के खिलाफ FIR होने तक वो जंतर मंतर नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं है और उन्हें केवल सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है. इसके बाद पुलिस ने अध्यक्ष बृजभूषण सरन सिंह के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की थी.

Trending news