Emotional Story: पल्लव की दर्द भरी कहानी की शुरुआत 2 महीने पहले, जब पहली बार उनके पिता को हार्ट अटैक आया. पल्लव ने ट्विटर पर पिता के इलाज में आ रही समस्याओं और अपने बेचारगी को बयां किया है.
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'मेरे पिता की जल्द ही या बहुत जल्द मौत हो जाएगी. मैं शायद उन्हें बचा नहीं पाऊंगा...' ये शब्द उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले पल्लव सिंह के हैं. पल्लव की कहानी सुनकर आपकी आंखों में भी आंसू आ जाएंगे. पल्लव की दर्द भरी कहानी की शुरुआत 2 महीने पहले हुई थी, जब पहली बार उनके पिता को हार्ट अटैक आया. पल्लव ने ट्विटर पर अपने पिता के इलाज में आ रही समस्याओं और अपनी बेचारगी को बयां किया है. पल्लव ने बताया है किस तरह उनको अपने पिता जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. लेकिन, पल्लव उनके इलाज के लिए दिल्ली स्थित एम्स की लाइन में लगे हुए हैं. पल्लव की कहानी से देश के अस्पतालों की भी सच्चाई सामने आती है. इससे पता चलता है कि एक आम आदमी को इलाज के लिए किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. तो चलिए आपको पल्लव की पूरी कहानी बताते हैं....
पल्लव ने बयां किया दर्द, पढ़कर आपकी आंखों में आ जाएंगे आंसू
पल्लव सिंह ने अपने एक्स (ट्विटर) पर कई पोस्ट शेयर किए हैं, जिसमें उन्होंने अपनी कहानी बताई है. पल्लव ने लिखा, 'मेरे पिता की जल्द ही या बहुत जल्द मौत हो जाएगी. हां, मुझे पता है मैं क्या कह रहा हूं. मैं यह बात एम्स दिल्ली की लाइन में खड़ा होकर लिख रहा हूं.' पल्लव ने अपने अगले पोस्ट में लिखा, 'मैं एक मध्यम वर्ग के भारतीय परिवार से हूं, जो भारत की अधिकांश आबादी है. मुझे आखिरकार वह बिल मिल गया है, जिसने मुझे गरीब होने से एक कदम दूर रखा है. एक अस्पताल बिल. मुझे नहीं लगता कि मैं अपने पिता को बचा पाऊंगा.'
पल्लव ने आगे लिखा, 'इसी साल 15 सितंबर को पापा को हार्ट अटैक आया था. इसके बाद उन्हें यूपी में होम टाउन देवरिया से निकटतम गोरखपुर के अस्पताल में ले जाया गया. जहां, पता चला कि तीन धमनियों में रुकावट है और हृदय केवल 20 प्रतिशत काम कर रहा है. बेहतर इलाज के लिए उन्हें हायर सेंटर रेफर किया गया. नवंबर के आखिर में उन्हें दिल्ली ले आए. मेरी बहन एम्स दिल्ली में हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाने के लिए अपॉइंटमेंट पाने के लिए 24 घंटे तक कतार में खड़ी रही. आखिर में अपॉइंटमेंट मिल गया. मैंने नहीं सोचा था कि मैं उस दिन उन्हें बचा पाऊंगा, लेकिन शुक्र है कि कुछ नहीं हुआ.'
Papa had a heart attack on September 15th this year. Taken to the nearest centre, Gorakhpur, from my hometown, Deoria, in UP.
Was diagnosed with blockage in 3 arteries and heart functioning only 20%. Referred to higher centre for further management.
— Pallav Singh (@pallavserene) December 4, 2023
इसके बाद शुरू हुई पल्लव की असली भागदौड़
पल्लव ने अगले पोस्ट में लिखा, 'एक टेस्ट के लिए जो तारीख दी गई, वो एक सप्ताह बाद की थी. जबकि, जो टेस्ट पहले ही बाहर हो चुका था. हमने सोचा, अब आगे क्या? इको कराने के लिए एक सप्ताह तक इंतजार किया. फिर डॉक्टर को दिखाने के लिए 24 घंटे तक लाइन में खड़े रहे. जिस डॉक्टर को हमने पापा को दिखाया, वो एक बहुत प्रतिष्ठित वरिष्ठ प्रोफेसर है और पद्म पुरस्कार भी जीत चुके हैं. मेरे पिता को देखने के बाद उन्होंने बताया कि दिल बहुत कमजोर है. दवाएं लिखी और बाद में आने को कहा. हां, बाद में. लेकिन, कोई तारीख नहीं दी!'
पल्लव ने आगे लिखा, 'हम वापस आ गए. थोड़ी देर बाद हमें एहसास हुआ कि बीमारी बहुत गंभीर है और तत्काल सर्जरी की जरूरत है. तो फिर डॉक्टर ने पापा कोकिसी सर्जन के पास क्यों नहीं भेजा? कोई अनुमान नहीं. 45 दिनों तक प्राइवेट अस्पतालों में घूमते रहने के बाद अहसास हुआ कि प्राइवेट अस्पताल में सर्जरी कराने पर हमें घर ही नहीं, अपना सब कुछ बेचना पड़ेगा. हम फिर दोबारा एम्स पहुंचे. कई दिनों तक लाइन में खड़े रहकर बहुत कोशिश की. डॉक्टर छुट्टी पर थे. वह कब आएंगे, कुछ पता नहीं. फिर? इंतजार. आखिरकार 15 दिनों के इंतजार के बाद डॉक्टर आते हैं. फिर 24 घंटे के लिए लाइन में. डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं. हालांकि, ये समझ नहीं आया कि अभी क्यों सलाह दिया और तब क्यों नहीं दिया था? पापा का दिल केवल 20 प्रतिशत ही काम कर रहा है! कोई अनुमान नहीं.'
Hi Pallav! Please drop a QR and attach your due bills/hospital deets.
I'll try to cover for your expenses to the best of my capacity and I'm sure more people will turn up to help you out.
Let's hope for the best, and my DMs are open. Wishing you strength in the meantime.
— Kritarth Mittal | Soshals (@kritarthmittal) December 4, 2023
घंटों इंतजार और हिम्मत देने लगा जवाब
पल्लव ने अगले पोस्ट में लिखा, 'झूठ नहीं बोलूंगा, सीएन टावर में एक काउंटर से दूसरे काउंटर घूमते हुए आखिरकार उसी दिन सर्जन का अपॉइंटमेंट मिल गया. दोपहर 2 बजे का अपॉइंटमेंट मिला और डॉक्टर शाम 6 बजे आते हैं. सर्दियों में लोहे की कुर्सी पर गंभीर रूप से बीमार हृदय रोगी के साथ 4 घंटे तक इंतजार! डॉक्टर ने डॉक्यूमेंट छोड़ने और अगले दिन आने के लिए कहा ताकि उन्हें समीक्षा करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके. हम भी सहमत हुए. अगले दिन शुक्रवार को हम फिर पहुंचे. 7 बजे तक 5 घंटे इंतजार करने के बाद बताया गया कि डॉक्टर आज नहीं आएंगे, आप सोमवार को आएं. समीक्षा तैयार नहीं है. हम फिर सहमत हो गए. कोई विकल्प नहीं था.'
पल्लव ने अपने अगले पोस्ट में लिखा, 'अब आगे क्या? आज सोमवार है और इंतजार कर रहा हूं. कोई अंदाजा नहीं कि वह (डॉक्टर) यहां होंगे या नहीं. ईमानदारी से कहूं तो मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है. यह देखकर दुख होता है कि एक बार जब आप बीमार हो जाते हैं तो स्थिति कितनी खराब हो जाती है. मुझे यह भी पता है कि आगे क्या होगा. वह कुछ टेस्ट करवाने के लिए कहेंगे और फिर रिव्यू के लिए वापस आएंगे. फिर मैं उनमें से कम से कम दर्जनों लोगों को परीक्षण के लिए अपॉइंटमेंट लेने के लिए एक काउंटर से दूसरे काउंटर तक दौड़ता रहूंगा. अपॉइंटमेंट डेट एक माह बाद की होगी.'
पल्लव ने आगे लिखा, 'एक महीने के बाद डॉक्टर के पास जाएंगे. यदि वह संतुष्ट है तो सर्जरी के लिए स्वीकार कर लेंगे और एक तारीख देंगे, जो निश्चित रूप से एक साल आगे की होगी. मेरे पिता, डायबिटीक हैं और इंसुलिन लेते हैं. वो 52 साल के हैं और उनका हृदय 20 प्रतिशत काम कर रहा है. उन्हें अपनी सर्जरी करवाने के लिए कम से कम 13 महीने तक इंतजार करना होगा. हां, 13 महीने. और फ्री में नहीं, बल्कि कम से कम एक लाख रुपये देकर. 13 माह यानी एक साल से अधिक. इस हालत में उनके इतने लंबे समय तक जीवित रहने की संभावना कम है. यह मत भूलिए कि मेरी नौकरी के अलावा हमारे पास आय का कोई बड़ा सोर्स नहीं है.'
पल्लव की मां को भी है लाइलाज बीमारी
पल्लव ने बताया, 'आगे उल्लेख करने के लिए मेरी मां को भी एक लाइलाज बीमारी है, जो पिछले 2 सालों से उसी एम्स में शोध का विषय है. उनकी समस्या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. हम टेस्ट करवाने के लिए एक काउंटर से दूसरे काउंटर तक भागते हैं और फिर थोड़ी देर बाद रिव्यू!'
4 लोगों के परिवार में 2 लोग बीमार
पल्लव ने आगे लिखा, '4 लोगों के एकल परिवार में 2 लोग पहले से ही बीमार हैं. पता नहीं अगली सुबह वे दोनों अच्छी हालत में उठेंगे या नहीं, सीधे तौर पर कहें तो जीवित! यह मेरी जिंदगी है. मैं किसी प्राइवेट अस्पताल में नहीं जा सकता, क्योंकि मैं इसका खर्च वहन नहीं कर सकता और मुझे जोखिम लेने से डर लगता है! सचमुच मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है. पता नहीं आगे क्या होगा. लेकिन, मैं निश्चित रूप से तबाह हो गया हूं. अगर, मैं मंत्री होता तो यही अस्पताल मेरे पीछे चलता और अब तक मेरी सर्जरी हो चुकी होती. लेकिन, मैं मध्यम वर्ग का व्यक्ति हूं, मतदाता हूं, जो चुनाव के दौरान राजा होता है और उसके बाद कोई नहीं. सचमुच, कोई नहीं.
In a nuclear family of 4, 2 are already ill. No idea if both of them will get up next morning in good condition, to say directly, alive!
This is my life. I can't get to a private hospital because I can't afford it and I fear to take the risk!
— Pallav Singh (@pallavserene) December 4, 2023
पल्लव ने अपने अगले पोस्ट में लिखा, 'मेरे दादा-दादी भी असाध्य रूप से बीमार थे. मेरे पिता मरते दम तक उनकी सेवा करते रहे. अब मैं अपने माता-पिता की तब तक सेवा करूंगा जब तक वे मर नहीं जाते. अस्पतालों की लाइन में खड़े होकर. अगर, मैं भाग्यशाली रहा कि बीमारी से मुक्त होकर शादी कर सका तो फिर मेरे बच्चे लाइन में लगेंगे. तो वे मेरी मौत तक मेरी सेवा करेंगे.'
सिर्फ पल्लव नहीं, ये ज्यादातर मिडिल क्लास की कहानी
पल्लव ने आगे लिखा, 'हमने जो व्यवस्था बनाई है, वह कैसी गड़बड़ है. हां, हम सभी को एक भूमिका निभानी है. शायद हममें से कुछ लोग अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे थे. कुछ भ्रष्ट थे, कुछ बेईमान थे. मुझे अहसास है कि हम किस दौर से गुजरते हैं. ये मेरी कहानी नहीं है, ये यहां के ज्यादातर लोगों की कहानी है. मुझे नहीं पता कि आगे क्या होगा. पता नहीं पापा एक साल या एक महीने या एक हफ्ते तक जीवित रहेंगे या नहीं. कोई अंदाजा नहीं कि मा कुछ वर्षों तक जीवित रहेंगी. लेकिन, मुझे अस्तित्व में रहना होगा. क्योंकि, मुझमें इस जीवन को त्यागने का साहस नहीं है. मुझे नहीं पता क्यों. मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन मैं इस दुनिया में सद्भावना के अस्तित्व का कारण बनना चाहता हूं. मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन मैं अस्तित्व में रहना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि मेरे माता-पिता अस्तित्व में रहें. हम सब चाहते हैं.
If I happened to be a minister, the same hospital would run behind me and my surgery would have got done till now. But I happen to be the middle class one, the voter, who is the king during elections, and no one after that. Literally, no one.
— Pallav Singh (@pallavserene) December 4, 2023
पल्लव ने की मदद की अपील
पल्लव ने अपने आखिरी पोस्ट में अपने पापा के साथ फोटो शेयर की और मदद की अपील की. पल्लव ने लिखा, 'हर रात, अपने पिता को बिस्तर पर अपने पास लेटे हुए मैं प्रार्थना करता हूं कि कुछ मदद मिले और उन्हें बेहतर इलाज मिले और वह भी समय पर. मुझे नहीं पता कि यह किस प्रकार का है, लेकिन मुझे मदद की जरूरत है. मैं टूट गया हूं, टूट गया हूं, बर्बाद हो गया हूं, मेरे पास पैसा भी नहीं है, लेकिन कम से कम अभी तो जिंदा हूं!'
पोस्ट वायरल होने के बाद लोगों ने बढ़ाया मदद का हाथ
पल्लव सिंह का पोस्ट वायरल वायरल होने के बाद कई लोग सामने आए हैं और मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. लोग लगातार ट्वीट कर पल्लव को हिम्मत रखने की बात कर रहे हैं.