नेशनल हेराल्ड मामले में चला ED का चाबुक, 751 करोड़ की संपत्ति अटैच
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नेशनल हेराल्ड मामले में चला ED का चाबुक, 751 करोड़ की संपत्ति अटैच

National Herald Case: नेशनल हेराल्ड मामले में ED ने बड़ी कार्रवाई की है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (Associated journals Ltd) की 751.09 करोड़ की संपत्ति अटैच की है.

फाइल फोटो

National Herald Case: ईडी ने नेशनल हेराल्ड मामले में पहली बड़ी कारवाई करते हुए 751.09 करोड़ की संपत्ति को अटैच कर लिया है. अटैच की गई संपत्ति में दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में AJL (Associated Journals Ltd) की 661.69 करोड़ की संपत्ति है जिसे अखबार चलाने के नाम पर बनाया गया था. इसके अलावा Young Indian के पास AJL के 90.21 करोड़ के शेयर है जिसे एजेंसी ने अटैच किया है.

कांग्रेस नेताओं पर लटकी ईडी की तलवार

एजेंसी ने इस मामले की जांच दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में दाखिल शिकायत के आधार पर शुरू की थी. इस पर अदालत ने 26 जून 2014 को संज्ञान लेते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, मोतीलाल वोरा, सुमन दूबे और ऑस्कर फर्नाडिस को नोटिस जारी किया था. इसके अलावा यंग इंडिया को भी इसमें आरोपी बनाया गया और इस मामले में कुल सात आरोपी थे.

राहुल गांधी और सोनिया गांधी से हुई थी लंबी पूछताछ

इस मामले में एजेंसी ने जून-जुलाई 2022 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी से लंबी पूछताछ की थी. दोनों पर आरोप है कि इन्होनें नवंबर 2010 में यंग इडिंया नाम से कंपनी बनाई जिनमें दोनों के 76 फीसदी शेयर थे और सिर्फ 50 लाख देकर नेशनल हेराल्ड की 2000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति पर मालिकाना हक ले लिया. यंग इंडिया कंपनी में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के अलावा मोतिलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस के पास शेयर थे. इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नाडिस के अलावा सुमन दूबे और सैम पित्रोदा भी आरोपी है. हालांकि मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस की साल 2020 और 2021 में मौत हो चुकी है.

सभी आरोपियों को दिसंबर 2015 में इस मामले में निचली अदालत से जमानत मिली हुई है क्योंकि ये मामला सीधा दिल्ली की अदालत में ले जाया गया था. इसी के बाद ED ने मनी लॉड्रिंग का मामला दर्ज कर इस मामले में अपनी जांच शुरू की थी.

हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा में अखबार निकालता था नेशनल हेराल्ड

Associate Journal नेशनल हेराल्ड नाम से हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा में अखबार निकालता था और इसे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने साल 1938 में शुरू किया था. देश की आजादी से पहले ये अखबार स्वत्रंता सेनानियों की आवाज था लेकिन आजादी के बाद ये अखबार कांग्रेस पार्टी का मुखपत्र बन कर रह गया था. AJL को नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में काफी सस्ते दामों पर जमीन दी गई थी लेकिन धीरे-धीरे ये अखबार बंद होने की कगार पर आ गया था. अखबार को चलाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने गलत तरीके से 90 करोड़ का बिना ब्याज लोन दिया लेकिन बावजूद इसके ये अखबार चल नहीं पाया और साल 2008 में पूरी तरह से बंद हो गया था.

90 करोड़ का कर्ज माफ?

आरोप है कि साल 2010 में राहुल गांधी ने यंग इंडिया नाम से कंपनी बनाई और कांग्रेस पार्टी को 50 लाख देकर नेशनल हेराल्ड का 90 करोड़ का कर्ज माफ करा दिया और Associate Journal की 2000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति यंग इंडिया यानी राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पास आ गई.

राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पास पूरी संपत्ति

ED की जांच में भी पता चला कि यंग इंडिया ने 90.21 करोड़ के AJL के लोन को लेने के बाद कांग्रेस पार्टी को कहा कि या तो वो लोन चुकाए या फिर AJL के इक्विटी शेयर उसके नाम करे. इसी के बाद AJL ने EGM-Extraordinary General Meeting बुलाई और प्रस्ताव पास कर कहा कि शेयर कैपिटल इश्यू कर 90.21 करोड़ के फ्रेश शेयर यंग इंडियन(YI) को जारी करे. इस नए शेयर को जारी करने से 1000 से ज्यादा शेयरहोल्डिंग घट कर महज 1 फीसदी की रह गई थी. इसकी वजह से AJL अब YI की संपत्ति बन गई और उसे Young Indian ने अपने कब्जे में ले लिया है यानी राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पास पूरी संपत्ति आ गई.

ITO पर हेराल्ड बिल्डिंग को खाली करने के नोटिस

केंद्र सरकार ने साल 2018 में दिल्ली के ITO पर हेराल्ड बिल्डिंग को खाली कराने के नोटिस भी AJL जो अब यंग इंडिया के पास है को भेजा था. सरकार ने कहा था कि इस बिल्डिंग को अखबार के प्रिटिंग और पब्लिशिंग के लिए साल 1962 में लीज पर दिया गया था लेकिन इसमें अखबार से जुड़ा कोई काम नहीं हो रहा इसलिए लीज खत्म की जाती है और बिल्डिंग को खाली कराने का नोटिस दिया. हालांकि, इस नोटिस के जवाब में पहले पार्टी दिल्ली हाइकोर्ट गई थी और जब वहां से स्टे ऑर्डर नहीं मिला तो सुप्रीम कोर्ट गई. सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2019 में अगले आदेश तक सरकार की कारवाई पर रोक लगा दी थी.

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