DNA on BMC Working Style: भारत का सबसे अमीर Municipal Corporation महाराष्ट्र के मुम्बई में हैं, जिसे आप BMC के नाम से जानते हैं. इसका सालाना बजट 45 हजार करोड़ रुपये है, इसके बावजूद हर साल मुंबई नगरी बारिश के पानी में डूब जाती है.
Trending Photos
DNA on BMC Working Style: क्या आपको पता है भारत का सबसे अमीर Municipal Corporation या महानगर पालिका किस राज्य में है? आपमें से बहुत सारे लोगों को शायद इस सवाल का जवाब पता नहीं होगा. भारत का सबसे अमीर Municipal Corporation महाराष्ट्र के मुम्बई में हैं, जिसे आप BMC के नाम से जानते हैं. 2021-22 में BMC का कुल बजट 39 हज़ार करोड़ रुपये था. आपको जानकर हैरानी होगी कि ये बजट देश के 8 राज्यों से ज्यादा था. इनमें त्रिपुरा, नागालैंड, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, सिक्किम और गोवा जैसे राज्य हैं.
BMC का बजट बढ़कर 45 हजार करोड़ रुपये का हुआ
अब तो BMC का इस साल के लिए बजट 45 हज़ार करोड़ रुपये हो गया है. अब आप सोचिए, जिस शहर के Municipal Corporation का वार्षिक बजट देश के आठ राज्यों से ज्यादा है. जो भारत का सबसे अमीर Municipal Corporation है, उस शहर की स्थिति कैसी होगी. हम आपको बताते हैं कि भारत के सबसे अमीर Municipal Corporation यानी BMC के मुम्बई का कैसा हाल है. मुम्बई में इन दिनों बारिश के बाद से ज्यादातर इलाकों में घुटनों तक पानी भरा हुआ है और कई इलाक़ों में तो बाढ़ जैसी स्थिति है.
#DNA : 45 हज़ार करोड़ के बजट पर मुंबई की बारिश भारी#MumbaiFlood @aditi_tyagi @vaidehi004 #Mumbai @ashwinipande pic.twitter.com/6chMIcIZTu
— Zee News (@ZeeNews) July 5, 2022
हर साल मुम्बई में मॉनसून की बारिश के साथ सड़कों पर पानी भर जाता है और BMC इससे निपटने में पूरा तरह नाकाम रहता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ वर्ष 2005 से 2015 के बीच मुम्बई की भारी बारिश 14 हजार करोड़ रुपये निगल चुकी है. जबकि इन 10 वर्षों में भारी बारिश के कारण 3 हजार लोगों की जानें गईं हैं और कई इमारतों को भी नुकसान पहुंचा है. मुम्बई को भारत की Financial Capital कहा जाता है. लेकिन असल में मुम्बई Flood Capital बन चुकी है.
अंग्रेजों के जमाने का ड्रेनेज सिस्टम बना परेशानी
मुम्बई में हर साल आने वाली इस बाढ़ का सबसे बड़ा कारण है, वहां का 150 साल से भी ज्यादा पुराना Drainage System. मुम्बई में Drainage System की व्यवस्था अंग्रेजों के शासनकाल में आई थी. ये बात वर्ष 1860 से 1900 के बीच की है.
अंग्रेज़ों के जमाने में जब ये Drainage System स्थापित हुआ, तब मुम्बई की आबादी ज्यादा नहीं थी और वहां खाली मैदान ज्यादा थे. Green Area ज्यादा था और दलदली भूमि वाला क्षेत्र भी बड़े इलाके में फैला था. समय के साथ मुम्बई की सूरत बदलती गई. लेकिन इसका Drainage System वही रहा. अब ये सिस्टम बूढ़ा भी हो चुका है और एक तरह से सड़ भी चुका है, जिसकी वजह से मुम्बई के लोगों को हर साल भारी बारिश से युद्ध लड़ना पड़ता है और उस युद्ध में वो हार जाते हैं.
नाले में बदल गई मीठी नदी
इन दिनों मुम्बई की मीठी नदी एक गन्दे नाले में तब्दील हो चुकी है. इसके अलावा दहिसर, पोईसर और ओशिवारा जैसी नदियां विलुप्त होने की कगार पर हैं. इन नदियों के एक बड़े क्षेत्र में बिल्डिंग्स और मकानों का निर्माण हो चुका है.
1990 के बाद से मुम्बई में 50 वर्ग किलोमीटर की जमीन ऐसी है, जो पहले नदियों और समुद्र के क्षेत्र में आती थी. लेकिन अब इस ज़मीन पर इंसानों का कब्जा हो गया है और ग्रीन एरिया भी मुम्बई में काफी सीमित हो गया है. बड़ी बात ये है कि इस बारिश से मुम्बई की सड़कों को काफी नुकसान पहुंचता है. जरा सी बारिश में ये सड़कें आईसक्रीम की तरह बह जाती हैं.
यहां बात सिर्फ़ मुम्बई की नहीं है. देश की राजधानी दिल्ली हो या कोई दूसरा बड़ा शहर सभी जगह बारिश की बूंदे शहरी व्यवस्था की अग्निपरीक्षा लेती हैं. इस परिक्षा में ये शहर फेल हो जाते हैं. मंगलवार को मुम्बई में भी कुछ ऐसा ही हुआ.
(ये ख़बर आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर)