दिल्ली में मौत बांट रही इमारतें, क्या है हर महीने होते हादसों की वजह?
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दिल्ली में मौत बांट रही इमारतें, क्या है हर महीने होते हादसों की वजह?

राजधानी दिल्ली से इमारत गिरने के कई मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इसके पीछे की वजह क्या है? मरम्मत के बिना किसी पुराने जर्जर मकान में रहना या फिर खराब मटेरियल से घर का निर्माण, इन हादसों की मुख्य वजह है.

दिल्ली में मौत बांट रही इमारतें, क्या है हर महीने होते हादसों की वजह?

नई दिल्ली: रविवार को राजधानी दिल्ली में बड़ा हादसा हुआ. दिल्ली के लाहौरी गेट के फराश खाना इलाके में दिल्ली वक्फ बोर्ड की एक इमारत जमींदोज हो गई. हादसे में एक बच्चे की मौत हो गई, जबकि 7 लोग घायल हो गए. दरअसल ये कोई पहली बार नहीं जब राजधानी से ऐसी कोई खबर सामने आई है, इससे पहले भी कई ऐसे हादसे हो चुके हैं. 

दिल्ली में हादसे होते हैं, जान जाती हैं, कुछ जानें बचा भी ली जाती हैं. इनकी जांच होती है फिर कार्रवाई भी होती ही होगी, लेकिन सवाल ये कि क्या दिल्ली में इमारत गिरने के हादसे अचानक ही हो रहे हैं या हर हादसे के पीछे कोई वजह है? दरअसल, दिल्ली में सरकार, प्रशासन और जिम्मेदार लोगों की लापरवाही और अनदेखी के चलते ये हादसे आम हो गए हैं.

9 अक्टूबर 2022 को जिस लाहौरी गेट इलाके में हादसा हुआ, उस इलाके में ज्यादातर निर्माण दीवारों के ऊपर वजन डालकर बिना लेंटर की मदद से बनाए जाते हैं. कोई हैरानी नहीं कि यहां फिर ऐसा कोई हादसा सामने आए. तारीख गवाह है कि हर महीने दिल्ली में कम से कम एक इमारत गिरने का हादसा हुआ ही है.

4 अक्टूबर 2022
दिल्ली के राजौरी गार्डन इलाके में चार मंजिला इमारत गिर गई. एक इमारत को तोड़ते समय पास की दूसरी इमारत गिर गई. इस हादसे में 3 लोग मलबे में दब गए, जिन्हें बचा लिया गया. लेकिन इमारत तोड़ रहे लापरवाह आरोपी फरार हो गए.

16 सितंबर 2022
दिल्ली के गोकुलपुरी इलाके में दो मंजिला मकान की छत गिरने से 2 लोगों की मौत हो गई, वहीं 7 लोगों को समय रहते मलबे से बाहर निकाल लिया गया. छानबीन में पता चला कि हादसे वाली इमारत 20 साल पहले खराब मटेरियल से बनी थी और उसकी पहली मंजिल पर काफी भारी सामान रखा हुआ था. इसी दिन द्वारका सेक्टर-23 थाना इलाके में दोपहर में CBSE हेडक्वार्टर की निर्माणाधीन इमारत में मचान गिरने से पांच मजदूर घायल हो गए थे.

9 सितंबर 2022
दिल्ली की आजाद मार्केट में 4 मंजिला निर्माणाधीन इमारत गिरने से 3 मजदूरों की मौत हो गई. पुलिस के मुताबिक बिल्डिंग गिरने की वजह ओवरलोडेड होना बताया गया. चार मंजिल बन जाने के बाद 5वां फ्लोर बनाने की तैयारी थी. साथ ही 4 मंजिल बनने के बाद इसमें बेसमेंट की खुदाई भी की गई.

24 जुलाई 2022
दिल्ली के दयालपुर में ढाई मंजिला मकान जमींदोज़ हो गया. हादसे में एक शख्स की जान चली गई, जबकि 7 से 8 लोग घायल हो गए. 

16 जुलाई 2022
दिल्ली के अलीपुर इलाके के बकौली गांव में निर्माणाधीन गोदाम की दीवार गिर गई थी, जिससे एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत हो गई थी और 8 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे. इस हादसे के लिए दिल्ली सरकार ने बीजेपी शासित दिल्‍ली नगर निगम को जिम्‍मेदार ठहराया था कि उन्‍हें गोदाम के अवैध निर्माण की जानकारी थी, लेकिन फिर भी कार्रवाई नहीं की गई.

30 जून 2022
दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में 6 टूटी चौक पर पुरानी इमारत गिर गई.

16 जून 2022
दिल्ली के पहाड़गंज में खन्ना सिनेमा के पास करीब 100 साल पुरानी इमारत ढहने से साढ़े तीन साल के एक बच्चे अमजद की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य इस हादसे में घायल हो गए. इमारत काफी पुरानी होने के बावजूद कभी इसकी मरम्मत को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई.

21 मई 2022
द्वारका के पोचनपुर में एक मकान के बेसमेंट का निर्माण चल रहा था, तभी पास ही के पुराने जर्जर डीडीए फ्लैट की दीवार और छत गिर गई, जिससे जगदीश नाम के एक शख्‍स की मौत हो गई और 10 साल के एक बच्चे समेत 2 लोग घायल हुए थे.

25 अप्रैल 2022
दिल्ली के सत्यनिकेतन इलाके में इमारत गिरने से 2 लोगों की मौत हो गई और 5 लोग घायल हुए थे. इमारत में मरम्मत का काम चल रहा था और मरम्मत के दौरान लापरवाही ने इन मजदूरों की जान ले ली.

11 फरवरी 2022
उत्तरी दिल्ली के बवाना में एक इमारत गिरने से 9 साल की बच्ची समेत 4 लोगों की मौत हो गई.

साल              हादसा                    असर
2018      4 बिल्डिंग ढही    8 मौत, 15 घायल
2019      3 इमारत गिरी     2 मौत, 5 घायल
2020      5 बिल्डिंग ढही    11 मौत, 11 घायल
2021      5 बिल्डिंग ढही    7 मौत, 13 घायल

ये आंकड़े महज़ उन बड़ी दुर्घटनाओं के हैं, जिनमें किसी की मौत हुई. वैसे इमारत ढहने से हुए हादसों की संख्या इन आंकड़ों से ज्यादा है. 2022 में इमारत गिरने के हादसे आए दिन हो रहे हैं. जाहिर है हादसे की इमारतों को बनने के पीछे पूरा सिस्टम ही इस खेल में शामिल रहा है. दिल्ली में बीजेपी शासित नगर निगम हो या AAP शासित दिल्ली सरकार, दोनों इस लापरवाही के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं. आम जनता भी समझने को तैयार नहीं है कि मरम्मत के बिना किसी पुराने जर्जर मकान में रहना कितना खतरनाक है. जिस घर में आप रह रहे हैं, अगर वो अवैध है, खराब मटेरियल से बना है, जर्जर है या छत ओवरलोडेड है, तो सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि आप भी मौत के घर में रह रहे हों.