CM Vs Centre: दिल्ली में सीएम और केंद्र के बीच अधिकारों पर जंग! सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बहुत बड़ा फैसला
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CM Vs Centre: दिल्ली में सीएम और केंद्र के बीच अधिकारों पर जंग! सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बहुत बड़ा फैसला

Supreme Court Verdict: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार पर आज बड़ा फैसला सुनाया. दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच इस मुद्दे पर जंग लंबे समय से जारी है.

CM Vs Centre: दिल्ली में सीएम और केंद्र के बीच अधिकारों पर जंग! सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बहुत बड़ा फैसला

Delhi CM Vs LG Tussle: दिल्ली (Delhi) में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने बड़ा फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने कहा कि फैसले को लेकर सभी जजों की राय एक है यानी सीजेआई जो पढ़ेंगे, वो पूरी बेंच का फैसला होगा. सीजेआई ने कहा कि हमारे सामने सवाल प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर था. किसका नियंत्रण हो- LG या दिल्ली सरकार का. सीजेआई ने कहा कि 2018 में संविधान पीठ ने कुछ मसलों को तय किया था. हम 2019 में दी गई अशोल भूषण की राय से सहमत नहीं है. जान सें कि जस्टिस भूषण ने कहा था कि केंद्र सरकार का अधिकार बनता है सेवाओं पर). तब जस्टिस भूषण का कहना था कि दिल्ली सरकार का अधिकार नहीं बनता है.

चुनी हुई सरकार के पास प्रशासन की वास्तविक शक्ति

बता दें कि कोर्ट ने आर्टिकल 239 AA का जिक्र किया. इसके मुताबिक दिल्ली सरकार को विधानसभा का अधिकार है. चुनी हुई सरकार है. पर केंद्र सरकार के हितों को भी देखा जाना चाहिए. सीजेआई ने कहा कि लोकतंत्र और संघवाद हमारे संविधान के सबसे अहम सिद्धांत है और संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है. लोकतांत्रिक ढांचे में प्रशासन की वास्तविक शक्ति चुनी हुई सरकार के हाथों में होती है. अगर अधिकारी ये महसूस करेंगे कि चुनी हुई सरकार का उन पर नियंत्रण ही नहीं है तो निश्चित तौर पर उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होगी.

प्रशासनिक सेवाओं पर होगा दिल्ली सरकार का नियंत्रण

सीजेआई ने कहा कि अगर सरकार का अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं होगा तो सरकार पॉलिसी को कैसे लागू करेगी. कोर्ट का मानना है जो विषय दिल्ली सरकार के अधीन आते हैं उसके अधिकारियों पर नियंत्रण दिल्ली सरकार का होना चाहिए. कोर्ट ने तय किया कि प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होगा. सिर्फ उन सेवाओं पर नियंत्रण नहीं होगा जो सेवाएं पुलिस, जमीन, पब्लिक आर्डर से जुड़ी हैं. बाकी सब प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होगा.

फैसले पर सीएम केजरीवाल का ट्वीट

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, 'दिल्ली के लोगों के साथ न्याय करने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट का तहे दिल से शुक्रिया. इस निर्णय से दिल्ली के विकास की गति कई गुना बढ़ेगी. जनतंत्र की जीत हुई।'

दिल्ली CM और LG के बीच अधिकारों की जंग?

लंबे समय से केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच जंग जारी है. हम आपको बताते हैं कि इस मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार का क्या कहना है. दिल्ली सरकार का कहना है कि पुलिस पर राज्य सरकार का कंट्रोल नहीं. एलजी सरकार के कामकाज में बाधा डाल रहे हैं. केंद्र सरकार LG का इस्तेमाल कर रही है. वहीं, केंद्र सरकार ने कहा है कि दिल्ली देश की राजधानी है, उसे राज्य के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता. केंद्र के पास संसद और दूतावास की सुरक्षा की जिम्मेदारी है.

कैसे शुरू हुआ ये विवाद?

जान लीजिए कि दिल्ली में अधिकारों की 'जंग' कैसे शुरू हुई. अंग्रेजों ने दिल्ली को राजधानी बनाया. 1947 के बाद राज्यों को पार्ट A,B,C में बांटा गया. दिल्ली को पार्ट C में रखा गया. 1956 तक दिल्ली की अपनी विधानसभा होती थी. 1956 में राज्य पुनर्गठन कानून आया. दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश बना. फिर दिल्ली विधानसभा भंग करके राष्ट्रपति शासन लगाया गया. 1991 में नेशनल कैपिटल टेरिटरी एक्ट पास हुआ है. 1993 में दिल्ली में फिर विधानसभा का गठन हुआ. NCT एक्ट के तहत दोनों सरकारें मिलकर काम करेंगी, ये तय हुआ. केंद्र-दिल्ली सरकार में शक्तियां बंट गईं.

क्या है गवर्नमेंट ऑफ NCTD एक्ट?

अब हम आपको बताते हैं कि गवर्नमेंट ऑफ एनसीटीडी एक्ट क्या है, जिसे साल 2021 में संशोधित किया गया जिस पर ये पूरा विवाद है. 2021 में गवर्नमेंट ऑफ NCTD एक्ट पास हुआ है. केंद्र सरकार ने उपराज्यपाल को कई अधिकार दिए. AAP सरकार ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दे दी. AAP का आरोप है कि काम में बाधा डालने के लिए LG का इस्तेमाल हो रहा है.

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