Captain Saurabh Kalia: स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर देश के सबसे लोकप्रिय चैनल Zee News ने एक स्पेशल सीरीज शुरू की है, जिसका नाम 'शौर्य' है. गौरव गाथा के इस हिस्से को उस सैनिक को समर्पित किया गया है, जिसने कारगिल युद्ध (Kargil War) में महज 22 साल की उम्र में अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे. उस शहीद सैनिक का नाम है कैप्टन सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia).
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Captain Saurabh Kalia Veer Gatha: शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा... यह महज अल्फाज नहीं, हमारे देश के लिए जान देने वाले तमाम उन शहीदों के लिए एक श्रद्धांजलि है जिन्होंने हंसते-हंसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए. इन्हीं वीर लोगों में से एक थे कैप्टन सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia), जिन्होंने महज 22 साल की उम्र में देश के लिए कुर्बानी दे दी थी. उनकी शहादत को भुलाया नहीं जा सकता है. कैप्टन सौरभ कालिया का जन्म 29 जून 1976 को अमृतसर में डॉ. एनके वालिया के घर में हुआ था. उन्हें बचपन से ही सेना में जाने का शौक था. 1997 में ग्रेजुएशन करते समय संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा (CDS) में बैठे और सफलता हासिल की.
1999 में हुई थी पहली पोस्टिंग
दिसंबर 1998 में IMA से ट्रेनिंग के बाद फरवरी 1999 में उनकी पहली पोस्टिंग कारगिल में 4 जाट रेजीमेंट में हुई. नौकरी को अभी चार ही महीने हुए थे कि कारगिल का युद्ध शुरू हो गया. सूचना मिली कि कारगिल की चोटियों पर कुछ हथियारबंद लोग देखे गए हैं.
गोलियां हो गई थीं खत्म
वर्ष 1999 में कारगिल जिले के काकसर लंगपा इलाके में गश्त अभियान चलाया गया था. सौरभ कालिया लेफ्टिनेंट के पद पर थे और कारगिल नियंत्रण रेखा के भारतीय हिस्से में पाकिस्तानी सैनिक बड़े पैमाने पर घुसपैठ कर रहे थे. वह 14 व 15 मई को पांच साथियों के साथ पेट्रोलिंग पर निकले थे. उन्होंने काकसर क्षेत्र में घुसपैठ को रोकने के लिए 13000-14000 फीट की ऊंचाई पर बजरंग पोस्ट का गार्ड संभाला. फिर उनका सामना पाकिस्तानी सैनिकों से हो गया. इस दौरान उनकी गोलियां खत्म हो गईं. सौरभ और उनके साथी बुरी तरह जख्मी हो गए.
पाकिस्तान की कैद में रहे 22 दिन
इससे पहले कि मदद पहुंचती, दुश्मनों ने उन्हें बंदी बना लिया. पाकिस्तान ने करीब 22 दिन तक उन्हें अपनी हिरासत में रखा. उनकी लाख कोशिशों के बावजूद कैप्टन सौरभ कालिया ने देश की एक भी जानकारी दुश्मनों को नहीं दी. उनको काफी यातनाएं दी गईं. सौरभ कालिया और उनके सैनिकों के कानों को गर्म लोहे की राड से छेदा गया. उनकी आंखें निकाल ली गईं, हड्डियां तोड़ दी गईं. जब दुश्मन इन रणबांकुरों के हौसले को नहीं तोड़ पाए तो कैप्टन कालिया समेत पांच सिपाहियों को मौत के घाट उतार दिया.
कैप्टन के साथ की गई थी बर्बरता
जब पाकिस्तान ने 22 दिन बाद कैप्टन सौरभ कालिया और उनके साथियों के शव भारत को लौटाए तो पूरा देश उबल पड़ा. कैप्टन सौरभ कालिया और उनके साथियों के साथ जो बर्बरता की गई, उसने जंग के नियमों की धज्जियां उड़ाई थीं. उनके शव बुरी तरह से क्षत-विक्षत किए गए थे.
मां से थी आखिरी मुलाकात
बताया जाता है कि जब सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia) युद्ध पर जा रहे थे तब उन्होंने अपनी मां से कहा था कि ऐसा काम करके आऊंगा कि सारी दुनिया याद करेगी, लेकिन शायद किसी को नहीं पता था कि यह मुलाकात उनकी अंतिम थी.
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