Mango: सीतामढ़ी का आम दुबई से अमेरिका तक घोलेगा अपनी मिठास, 10 दिनों तक भी नहीं होता खराब
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Mango: सीतामढ़ी का आम दुबई से अमेरिका तक घोलेगा अपनी मिठास, 10 दिनों तक भी नहीं होता खराब

Sitamarhi Mango: बिहार के सीतामढ़ी का आम विदेशों में अपना स्वाद बिखेरेगा. किसान आलोक कुमार की पहल अब रंग ला रही है. आधुनिक तरीके से तैयार किया गया आम का फल विदेशों में भेजने की तैयारी शुरू हो गई है.

सीतामढ़ी का आम दुबई से अमेरिका तक घोलेगा अपनी मिठास

सीतामढ़ीः Sitamarhi Mango: बिहार के सीतामढ़ी का आम विदेशों में अपना स्वाद बिखेरेगा. किसान आलोक कुमार की पहल अब रंग ला रही है. आधुनिक तरीके से तैयार किया गया आम का फल विदेशों में भेजने की तैयारी शुरू हो गई है. सीतामढ़ी के बथनाहा प्रखंड के अपना खेत संस्था के संचालक कृषि समन्वयक और अग्रणी आम उत्पादक किसान आलोक कुमार ने ये सुविधा शुरू की है. 

आलोक कुमार मालदह, बंबइया, जर्दालु समेत अन्य किस्म के आम का आधुनिक तरीके से उत्पादन करते हैं. लोग आम में कीड़े मारने के लिए दवा का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह, एक डिब्बा लगाकर उसमें मादा प्रजाति का कीड़ा डालते हैं. इस वजह से सारे कीड़े डिब्बे में चला जाता है. जहां से उसका निकलना मुश्किल होता है और आम पूरी तरह सुरक्षित रहता है.

जिले का पहला ऑनलाइन स्टोर ‘अपना खेत’ से इस सीजन में जर्दा, बंबइया और मालदह आम की पहली खेप विदेश भेजने की तैयारी चल रही है. अपना खेत संस्था को इस बार भारत के 18 राज्यों के अलावा दुबई, स्वीडन और यूएसए के लिए ऑर्डर आया है. पिछले वर्ष भी विदेश से ऑर्डर आया था, लेकिन तकनीकी कारणों से सप्लाई नहीं हुई. खास बात यह है कि पैक किया गया आम 10 दिन तक खराब नहीं होता है. इस बार डाकघर के निर्यात सेवा से आम को विदेश भेजने की तैयारी चल रही है. फिलहाल ‘अपने खेत’ को तीन देश से ऑर्डर आया है.

इतना ही नहीं आलोक कुमार अन्य किसानों को भी बागवानी की ट्रेनिंग देते है. ताकि इस तकनीक का विकास हो सके और किसान ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सके. अपने गांव के अलावा सीतामढ़ी के दर्जनों गांव से आम कलेक्ट कर सप्लाई करते हैं. आलोक बताते हैं कि जिस किसान से वह आम लेते हैं, उन्हें पहले बागवानी की ट्रेनिंग देते हैं. 

इनका मानना है कि मालदह आम की मार्केटिंग के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में महोत्सव का आयोजन किया जाए. ताकि दूसरे राज्य के लोगों को इस आम का स्वाद चखाया जा सके और बिहार में आम का इकोनॉमी विकसित हो सके.

इनपुट- त्रिपुरारी शरण, सीतामढ़ी 

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