हंगामेदार रहे मानसून सत्र के दौरान गुरुवार को इसका अंतिम दिन साबित हुआ और इसे एक दिन पहले ही समाप्त कर दिया गया. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कोई भी सदन हो या विधान सभा, जिस तरीके से विपक्ष का आचरण रहा वह कहीं से भी स्वीकार्य नहीं है.
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रांचीः झारखंड विधानसभा में तय समय से एक दिन पहले ही मानसून सत्र का समापन कर दिया गया. सत्र की शुरुआत से अंतिम दिन तक विपक्ष जोरदार विरोध प्रदर्शन करता दिखा. इस विरोध के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के 4 विधायकों को निलंबित किया और 2 दिन बाद उस निलंबन को वापस भी ले लिया. गुरुवार को सदन के भीतर सभी विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष का पैर पकड़ लिया, भाजपा पार्टी का कहना है कि सरकार अपने कारनामे छिपाने के लिए इस तरह के फैसले अध्यक्ष पर दबाव बनाकर करवाती है. राज्य में भ्रष्टाचार, गो तस्कर अवैध खनन तमाम मुद्दों को उठाने पर हमारे विधायकों को लंबित करवाया जाता है, जनता के मुद्दों से सरकार भागती नजर आई. मानसून सत्र के दौरान विपक्ष का काम ही होता है सरकार की गलत बातों को सदन में उठाना.
हंगामेदार रहे सत्र का एक दिन पहले ही खात्मा
हंगामेदार रहे मानसून सत्र के दौरान गुरुवार को इसका अंतिम दिन साबित हुआ और इसे एक दिन पहले ही समाप्त कर दिया गया. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कोई भी सदन हो या विधान सभा, जिस तरीके से विपक्ष का आचरण रहा वह कहीं से भी स्वीकार्य नहीं है. कहीं कोई मुद्दा हो जहां सरकार जवाब देने में सक्षम नहीं हो तो इस तरह के आचरण और आंदोलन की बात हो सकती है. इन लोगों का पहले से निर्धारित था कि सदन को बाधित करना है. जनता की बात को उठने नहीं देना है. वहीं हाफिज अल हसन ने कहा कि विपक्ष द्वारा लगातार हंगामा किया जा रहा था. इसीलिए विधानसभा अध्यक्ष ने इसी तरह से 1 दिन पहले सत्र को समाप्त कर दिया गया. विपक्ष का कोई मुद्दा नहीं था बेवजह सत्र को बाधित किया जा रहा था.
कई जरूरी मुद्दों पर नहीं हुई चर्चाः स्पीकर
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सत्र की शुरुआत में ही कहा गया था कि यह सत्र भले ही छोटा होगा, लेकिन एक सार्थक सत्र के रूप में सामने आएगा. राज्य में सूखा होने, जैसी कई समस्याएं थीं, जिसे लेकर चर्चाएं होनी थीं, लेकिन एक दल के माननीय सदस्यों का व्यवहार ऐसा था कि आहत होकर 4 सदस्यों को निलंबित करना पड़ा. निलंबन वापस लिया भी गया. उम्मीद थी कि आज सदन का कार्य सुचारू रूप से चलेगा. माननीय सदस्य अगर सदन की गरिमा को ना समझे तो क्या किया जाए. हमने बार-बार लोगों से अनुरोध किया आपकी तरकस में कितने शब्द-बाण हैं, हमको कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन वह संसदीय व्यवहार के अनुरूप होना चाहिए. संसदीय व्यवहार के विपरीत आप कुछ करेंगे यह तो शासन भी बर्दाश्त नहीं कर सकता.