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पटना: Bihar News: बिहार की सियासत में तो सबकुछ एकदम सामान्य सा चल रहा था. लेकिन, नीतीश कुमार के जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते और ललन सिंह की इस पद से विदाई के बाद से बिहार का सियासी पारा ज्यादा चढ़ गया है. विपक्ष के लिए तो यह लॉटरी से कम नहीं था. लेकिन, महागठबंधन के दलों के लिए भी मानो यह अच्छा संकेत नहीं था. बिहार में जब से जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार बने हैं सियासत के जानकारों की मानें तो अचानक से जेडीयू और राजद के बीच सियासी खटास ज्यादा बढ़ी नजर आ रही है. अब बिहार में क्या खेला होने वाला है इसका अनुमान लगाना तो इतना आसान नहीं है क्योंकि बिहार की सियासत को लेकर तमाम दलों के तमाम दावे हैं इस सब के बीच बिहार विधानसभा के स्पीकर अवध बिहारी चौधरी का राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचना, साथ में तेज प्रताप यादव का होना और लालू प्रसाद यादव से मुलाकात ने सुर्खियां तो बटोर ही ली है.
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बिहार की सियासत का पारा इस मुलाकात के बाद से ही तेजी से चढ़ा है. अब राजनीति के जानकार अपने कयासों को पुख्ता मानने लगे हैं कि बिहार में इंडिया गठबंधन और महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. यानी कुछ बड़ा सियासी खेला तो बिहार में होने वाला है.
अवध बिहारी चौधरी और लालू यादव की मुलाकात दस सर्कुलर रोड़ स्थित पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास पर हुई. इससे पहले बीते दिन लालू यादव से मिलने कई विधायक भी पहुंचे थे. वैसे राबड़ी देवी का जन्मदिन 1 जनवरी को है ऐसे में यहां इसकी तैयारी भी चल रही है. लेकिन, यहां लालू यादव से विधानसभा अध्यक्ष का मिलना कई सियासी सवाल खड़ा कर रहा है.
वहीं सूत्रों की मानें तो लालू यादव से मिलने बिहार के विधि मंत्री शमीम अहमद भी पहुंचे थे. वहीं पूर्व मंत्री श्याम बिहारी प्रसाद भी लालू यादव से मिलने आए थे. ऐसे में अब सियासत के जानकार इस तरह की मुलाकात को बड़ा सियासी गेम मान रहे हैं.
वैसे जिस तरह से भाजपा लगातार दावा करती रही है कि ललन सिंह को लालू, तेजस्वी के करीब होने की वजह से नीतीश उनसे नाराज थे. ललन सिंह जेडीयू का राजद में विलय की कोशिश कर रहे थे. वह तेजस्वी को सीएम बनाना चाहते थे. ऐसे में ललन सिंह को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटना पड़ा, वहीं नीतीश कुमार ने पार्टी की कमान इसलिए अपने हाथों में ली. इसके साथ ही दावा यह भी किया जा रहा है कि नीतीश की कुर्सी अभी भी खतरे में हैं तो इस सब के बीच अवध बिहारी चौधरी और लालू प्रसाद यादव की इस मुलाकात ने प्रदेश का राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है.
नीतीश कुमार के हाथ पार्टी की कमान आते हीं उनका NDA में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई है. नीतीश को छोड़कर NDA पहुचे मांझी और कुशवाहा जैसे नेता तो यह भी दावा कर रहे हैं कि नीतीश के इधर आने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है. वहीं नीतीश के जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही तेजस्वी का विदेश दौरा रद्द होना और राजद सुप्रीमो से विधानसभा अध्यक्ष की मुलाकात को सामान्य राजनीतिक घटना तो नहीं माना जा सकता है.