बिहार में बीते कुछ दिनों से बीजेपी-जेडीयू के रिश्तों में खटास देखने को मिल रही है. हालांकि, बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व 'ऑल इज वेल' की बात कर रहा है लेकिन राज्य में दोनों दलों के नेता आमने-सामने हैं.
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पटना: भारतीय जानता पार्टी (भाजपा) और जनता दल-यूनाइटेड के गठबंधन पर आशंकाओं के बादल मंडराने लगे हैं , क्योंकि जेडीयू के शीर्ष नेताओं ने कहा है कि पार्टी का मकसद राज्य में सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में वापसी करना है. बताया जाता है कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने कुछ मीडिया संस्थानों से कुछ दिनों पहले कहा था कि उनकी पार्टी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी होने के दर्जे को फिर से पाने की दिशा में कार्यरत है.
सबसे बड़ी पार्टी बनना जेडीयू का लक्ष्य
उन्होंने कहा था कि पार्टी वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में मिली हार को पीछे छोड़ देगी, जिसकी वजह उन्होंने एक ‘साजिश’ को बताया. तब चिराग पासवान की ‘लोक जनशक्ति पार्टी’ ने जेडीयू के सभी उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें से कई भाजपा के बागी थे, और मुख्यमंत्री नीतीश की पार्टी की सीट संख्या पांच साल पहले के 71 से घटकर 43 रह गई थी.
'बीजेपी का ‘हिंदुत्व एजेंडे’ नीतीश को कर रहा असहज'
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, 'राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में अंदरखाने बड़ी मुसीबत उभर रही है. उसकी नाव उस बाढ़ में डूब जाएगी जो बरसात के मौसम में आती है.' तिवारी का मानना है कि अपनी समाजवादी पृष्ठभूमि के कारण नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भाजपा के ‘हिंदुत्व एजेंडे’ के साथ खड़े होने में सक्षम नहीं होंगे.
बिहार को समाजवादी सरकार की जरूरत: RJD
यह पूछे जाने पर कि क्या जेडीयू और राजद के बीच फिर से समायोजन की संभावना है, जिन्होंने वर्ष 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले हाथ मिला लिया था. हालांकि दो साल बाद दोनों अलग हो गए थे. इस पर राजद प्रवक्ता ने कहा, ‘मैं केवल इतना कह सकता हूं कि बिहार को समाजवादी सरकार की जरूरत है, और इसे यह जल्द ही मिलेगी. लोग तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) में नई उम्मीद देख रहे हैं.'
बिहार में नीतीश ही एनडीए का चेहरा: बीजेपी
मृत्युंजय तिवारी ने कहा, 'यह कहना जल्दबाजी होगी कि ऐसी सरकार की संरचना कैसी होगी.' माना जाता है कि ललन ने भाजपा के हालिया दावे के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की थी. भाजपा की ओर से कहा गया था कि वह वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव और एक साल बाद होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव का इंतजार कर रही है, जिसे नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.
NDA में ऑल इज वेल: बीजेपी
जाहिर तौर पर भाजपा ने यह बयान जद (यू) को शांत करने के उद्देश्य से दिया था, जिसके मन में भगवा पार्टी के दबंग रुख के कारण खटास आ गई है. फिलहाल भाजपा अभी अपने सबसे पुराने सहयोगी के साथ विवाद में पड़ने के मूड में नहीं दिख रही है.
'बीजेपी-जेडीयू हमेशा साथ'
राज्य भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा, 'हमारे संबंध नीतीश कुमार के साथ रहे हैं और ये वर्ष 1996 से हैं, जब उनकी पार्टी को समता पार्टी कहा जाता था. उनकी पार्टी के अन्य लोग क्या कहते हैं, हम उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते.’ उन्होंने कहा कि भाजपा ने हमेशा नीतीश कुमार को बिहार में राजग का नेता माना है.
(इनपुट-भाषा)