पुराने तेवरों में नजर आए नीतीश कुमार, जनसंख्या नीति पर नहीं जताई सहमति
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पुराने तेवरों में नजर आए नीतीश कुमार, जनसंख्या नीति पर नहीं जताई सहमति

Bihar Samachar: नीतीश कुमार ने मीडिया से मुखातिब होकर दो टूक कह दिया है कि वे जनसंख्या कंट्रोल करने के लिए कानून के पक्ष में नहीं हैं. वे मानते हैं कि जब महिलाएं शिक्षित होंगी तो प्रजनन दर अपने आप कम हो जाएगी और बिहार में ऐसा हुआ भी है.

पुराने तेवरों में नजर आए नीतीश कुमार. (फाइल फोटो)

Patna: जब केंद्र में यूपीए (UPA) की सरकार थी और जनता दल यूनाइटेड (JDU) बीजेपी (BJP) के सहयोगी दल के रूप में एनडीए (NDA) का हिस्सा थी, तब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और उनकी पार्टी हर मौके पर जरूर कहती थी कि बीजेपी और जेडीयू की विचारधारा अलग-अलग है. राम मंदिर, समान नागरिक संहिता और धारा 370 पर पार्टी बीजेपी से सहमति नहीं रखती और जेडीयू केवल ये कहती नहीं थी, जब भी मौका आता था जेडीयू मुखर होने से पीछे नहीं हटती थी. लेकिन बाद में हालात बदलते चले गए, पार्टी कमजोर होती चली गई और बीजेपी लगातार मजबूत होती चली गई. इधर, 2013 में बीजेपी गठबंधन को छोड़कर जेडीयू बाहर भी निकली फिर 2017 में दोबारा एनडीए में शामिल हुई. इस बीच बिहार की नदियों में ना जाने कितना पानी बह गया. जेडीयू विरोध तो करती थी लेकिन पार्टी नेताओं के पुराने तेवर कहीं नजर नहीं आते थे. अब जनसंख्या कानून का विरोध करके नीतीश कुमार ने अपना पुराना तेवर एक बार फिर दिखाया है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) के मौके पर नई जनसंख्या नीति जारी की. इसमें दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को सरकारी योजनाओं से वंचित रखने और कई तरह की सहूलियत नहीं देने की बात कही गई है. साथ ही 1 या 2 बच्चों वाले दंपत्ति को कई तरह की राहत देने की बात कही गई है. कुछ लोग इस कानून को बढ़ती आबादी रोकने के लिए समय की मांग बता रहे हैं तो कुछ लोग चुनाव को देखते हुए इसे ध्रुवीकरण की कोशिश बता रहे हैं. उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ जनसंख्या नियंत्रण का ये मुद्दा अब बिहार भी पहुंच गया है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया से मुखातिब होकर दो टूक कह दिया है कि वे जनसंख्या कंट्रोल करने के लिए कानून के पक्ष में नहीं हैं. वे मानते हैं कि जब महिलाएं शिक्षित होंगी तो प्रजनन दर अपने आप कम हो जाएगी और बिहार में ऐसा हुआ भी है. मुख्यमंत्री ने आंकड़ों के साथ बताया कि 4 से घटाकर वे आंकड़े को 1.6 तक लाए हैं. जाहिर है इस दिशा में काम चलता रहेगा लेकिन कानून बनाना इसका समाधान नहीं है. मुख्यमंत्री के दो टूक बयान के बाद अब पूरे मामले पर ही विराम लग गया लेकिन बीजेपी नेताओं ने भी अपनी सुविधा के हिसाब से बयान दिया है. पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) ने कह दिया कि जनसंख्या विकास में सबसे बड़ी बाधा है, इसपर लगाम लगना ही चाहिए. बयान तो चलते रहेंगे लेकिन नीतीश कुमार की दो टूक के बाद इतना तो तय हो गया है कि इस मुद्दे पर अब बिहार में कुछ होगा नहीं.

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इस बार जनसंख्या कानून पर नीतीश कुमार ने जिस तरीके से बयान दिया है, उससे ये तय हो गया कि पार्टी फिर से अपने कोर मुद्दे की तरफ फोकस कर रही है. पार्टी की रणनीति है कि गठबंधन अपनी जगह है लेकिन जिन मुद्दों पर असहमति है उसपर खुलकर स्टैंड लिया जाए. यहीं वजह है कि पार्टी ने जनसंख्या कानून पर अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है.

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