गंगा नदी में सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पर निर्माणाधीन पुल रविवार को गंगा की धारा में समा गया. इसी के साथ सुशासन राज के इकबाल की भी जल समाधि हो गई. पुल के जल समाधि लेने के बाद एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो गया. इस बड़े घपले में बड़े-बड़े अफसर व ठेकेदार के गठजोड़ की कलई खुल गई.
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Bihar Bridge Collapse: गंगा नदी में सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पर निर्माणाधीन पुल रविवार को गंगा की धारा में समा गया. इसी के साथ सुशासन राज के इकबाल की भी जल समाधि हो गई. पुल के जल समाधि लेने के बाद एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो गया. इस बड़े घपले में बड़े-बड़े अफसर व ठेकेदार के गठजोड़ की कलई खुल गई. पुल के गंगा नदी में जल समाधि लेने के बाद अब सिस्टम का खेल चालू हो गया. इस घोटाले से बड़ी मछलियों को बचाने को लेकर अब आगे का काम शुरू हो गया है. खुद का दामन पाक-साफ दिखाने की कवायद में बड़े-बड़े हाकिम जुट गए हैं. जांच के नाम पर लीपापोती का खेल चालू है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुशासन की नाक बचाने के लिए सुलतानगंज-अगुवानी घाट पुल के जल समाधि लेने के बाद खगड़िया के जिस इंजिनियर योगेन्द्र कुमार को निलंबित किया उसे पुल निर्माण निगम ने ट्रांसफर कर दिया. आपको बता दें कि पथ निर्माण विभाग ने सुलतानगंज-अगुवानी घाट पर 1750 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन पुल के ध्वस्त होने के लिए पुल निगम के वरीय परियोजना अभियंता योगेन्द्र कुमार को जिम्मेदार माना और 5 जून को सस्पेंड कर दिया. अब उसी इंजीनियर को पुल निर्माण निगम ने एक दिन बाद यानि 6 जून को ट्रांसफर कर दिया है. यानी निगम को पता ही नहीं उसके अभियंता को पथ निर्माण विभाग ने सस्पेंड किया है.
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बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के एमडी ने 6 जून के आदेश में कहा है कि वरीय परियोजना अभियंता, विशेष कार्य प्रमंडल खगड़िया योगेन्द्र कुमार को वर्तमान पदस्थापन से स्थानांतरित कर निगम मुख्यालय में अगले आदेश तक पदस्थापित किया जाता है. इसी आदेश में यह भी कहा गया है कि इनकी जगह पर वरीय परियोजना अभियंता, गया शशि भूषण सिंह को पदस्थापित किया जाता है. इस संबंध में निगम का कार्यालय आदेश संख्या-52 जारी किया गया है.
अब जरा पथ निर्माण विभाग का आदेश जानिए. विभाग के अधिसूचना संख्या-3236,दिनांक 5 जून में कहा गया है कि सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पर गंगा नदी में निर्माणाधीन पुल के पीलर सहित सुपर स्ट्रक्चर ध्वस्त होने की उच्च स्तरीय जांच कराई गई. समीक्षा में उक्त परियोजना से संबंधित इंजीनियरों को चिन्हित कर कार्रवाई का निर्देश दिया गया. समीक्षा में इस परियोजना के इंजीनियर योगेन्द्र कुमार की लापरवाही प्रतीत होती है. इस आलोक में इन्हें सस्पेंड किया जाता है. निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय पटना सचिवालय निर्धारित किया जाता है.आखिर पुल निर्माण निगम ने निलंबित इंजीनियर को कैसे ट्रांसफर कर दिया, इस बारे में बताने को निगम तैयार नहीं.
(रिपोर्ट- प्रशांत झा)