Ekadashi Vrat Upay: एकादशी व्रत, सभी व्रतों में सबसे महत्पपूर्ण होता है. इस व्रत से मनुष्य के भाग्य खुल जाते हैं और यदि सटीक विधि से सभी एकादशियों के व्रत कर लिए जाएं तो व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी हो जाता है.
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पटनाः Ekadashi Vrat Upay: एकादशी व्रत, सभी व्रतों में सबसे महत्पपूर्ण होता है. इस व्रत से मनुष्य के भाग्य खुल जाते हैं और यदि सटीक विधि से सभी एकादशियों के व्रत कर लिए जाएं तो व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी हो जाता है. भाद्रपाद मास की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी और पद्मा एकादशी के तौर पर जाना जाता है. ये एकादशी संसार के परिवर्तनशील होने का प्रतीक है. यह संसार एक चक्र की भांति है, जिसमें सुख दुख, जीवन मृत्यु, लाभ-हानि का चक्र चलता रहता है. कोई स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहती है. इसी परिवर्तन का सूत्र समझाने का प्रयास करती है, परिवर्तनी एकादशी. कहते हैं कि भगवान विष्णु इस दिन चौमासे के अपने शयन के दौरान अपनी करवट बदलते हैं. यह करवट बदलना बताता है कि खुद भगवान विष्णु भी परिवर्तन के नियम से परे नहीं हैं, जबकि संसार के सभी परिवर्तनों के कारण वही खुद हैं.
एकादशी की तिथि के दिन व्रत करते हुए कुछ खास उपाय किए जा सकते हैं, जो आपको भगवान विष्णु का कृपा पात्र तो बनाएंगे हीं, माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी दिलाएंगे.
1. एकादशी व्रत के दिन आप भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाएं. खीर में तुलसी का पत्ता डाल दें. इससे श्रीहरि विष्णु आप पर प्रसन्न होंगे और मनोकामनाएं पूरी होंगी. ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता न तोड़ें. एक दिन पहले तोड़ सकते हैं.
2. भगवान विष्णु को पंचामृत प्रिय है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करें. प्रसाद स्वरूप पंचामृत ग्रहण करें. इससे आप पर भगवान विष्णु की कृपा होगी. धन-धान्य में वृद्धि के साथ मनोकामनाएं भी पूर्ण होंगी.
3. एकादशी व्रत वाले दिन पूजा के समय भगवान विष्णु के साथ दक्षिणावर्ती शंख की भी पूजा करें. पूजा के पश्चात पीले चावल, चने की दाल, केला, गुड़, पीले वस्त्र आदि का दान करें. विष्णु कृपा से आपके सुख और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होगी.
4. एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करें और वहां पर दीपक जलाएं. पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है. ऐसा करने से आपको भगवान विष्णु का आशीष प्राप्त होगा.
5. एकादशी के दिन शाम के समय में तुलसी की पूजा करें. तुलसी की वेदिका पर घी का दीपक जलाएं और कम से कम 5 या 11 बार परिक्रमा करें. आपके धन-धान्य में वृद्धि होगी, जीवन सुखमय होगा.
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